केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन: मानव-जनित जलवायु परिवर्तन ने भारी बारिश को 10% अधिक तीव्र बना दिया

केरल के वायनाड जिले में हाल ही में हुए घातक भूस्खलनों की मुख्य वजह भारी बारिश है, जिसे मानव-जनित जलवायु परिवर्तन ने 10% अधिक तीव्र बना दिया। वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन के अध्ययन के अनुसार, उत्तरी केरल में भूस्खलन और बाढ़ से बचने के लिए सशक्त चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता है।
Landslide in Kerala's Wayanad district: Human-caused climate change made heavy rains 10% more intense



केरल के वायनाड जिले में हाल ही में हुए घातक भूस्खलनों की मुख्य वजह भारी बारिश बनी है, जिसे मानव-जनित जलवायु परिवर्तन ने 10% अधिक तीव्र बना दिया था। वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन (डब्ल्यूडब्ल्यूए) के प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक त्वरित विश्लेषण में यह जानकारी सामने आई है।

डब्ल्यूडब्ल्यूए की रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि उत्तरी केरल के पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन के जोखिम का कठोर आकलन और पहले से अधिक सक्षम चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचा जा सके।

अध्ययन के अनुसार, एक दिन की भारी बारिश की घटनाएं, जो पहले दुर्लभ थीं, अब जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक सामान्य हो रही हैं।

घटना का विवरण

30 जुलाई को केरल के वायनाड जिले में हुई भारी बारिश ने क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचाया। एक दिन में 140 मिमी से अधिक बारिश हुई, जो लंदन की वार्षिक वर्षा के लगभग एक चौथाई के बराबर है। यह भारी बारिश पहले से ही भारी मानसून की बारिश से संतृप्त मिट्टी पर गिरी, जिससे कई क्षेत्रों में भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं हुईं। इन भूस्खलनों में कम से कम 231 लोगों की जान चली गई, जबकि 100 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं और बचाव कार्य जारी है।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

डब्ल्यूडब्ल्यूए के वैज्ञानिकों ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण वायनाड में एक दिन में होने वाली मानसूनी बारिश लगभग 10% अधिक भारी हो गई है। इस प्रकार की बारिश की घटनाएं, जो पहले अत्यंत दुर्लभ थीं, अब जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक सामान्य हो रही हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर विश्व ने जल्द ही जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग बंद नहीं किया, तो एक दिन की भारी बारिश की घटनाएं 4% और बढ़ सकती हैं, जिससे और भी अधिक विनाशकारी भूस्खलन की घटनाओं का खतरा बढ़ जाएगा।

भविष्य की चुनौतियाँ और सुझाव

अध्ययन में यह भी पाया गया कि वायनाड जिले की मिट्टी केरल में सबसे अधिक ढीली और अपरदनशील है, जिसके कारण मानसून के दौरान भूस्खलन का उच्च जोखिम बना रहता है। इस प्रकार के जोखिमों को कम करने के लिए, वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण को सीमित किया जाए, वनों की कटाई और खनन गतिविधियों को न्यूनतम किया जाए, और साथ ही भूस्खलन के जोखिम का कठोर आकलन किया जाए।

चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस क्षेत्र में बारिश की पूर्वानुमान सही था और कुछ गांवों को समय रहते खाली कर लिया गया था। हालांकि, बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु इस बात का संकेत है कि चेतावनी प्रणाली कई लोगों तक नहीं पहुंच पाई और इसमें यह स्पष्टता नहीं थी कि किस क्षेत्र में क्या प्रभाव हो सकते हैं। इस कारण से, भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिए चेतावनी और निकासी प्रणालियों को और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

अध्ययन के निष्कर्ष

यह अध्ययन 24 वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा किया गया, जिसमें भारत, मलेशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, स्वीडन, नीदरलैंड्स, और यूनाइटेड किंगडम की विभिन्न विश्वविद्यालयों और मौसम विज्ञान एजेंसियों के विशेषज्ञ शामिल थे। उन्होंने पाया कि मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के कारण वातावरण में अधिक नमी संग्रहित हो रही है, जिससे भारी बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

यह अध्ययन जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले चरम मौसम घटनाओं पर किए गए अनुसंधानों (The study is based on research done on extreme weather events caused by climate change.) के बड़े समूह के अनुरूप है। 
वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक दुनिया जीवाश्म ईंधनों से दूर होकर अक्षय ऊर्जा का प्रयोग नहीं करती, तब तक मानसूनी बारिश और भी अधिक तीव्र होती रहेगी, जिससे भूस्खलन, बाढ़ और भारत में लोगों के लिए दुखदायी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती रहेंगी। डब्ल्यूडब्ल्यूए का अध्ययन "मानव-जनित जलवायु परिवर्तन से अधिक तीव्र हुई बारिश से उत्तरी केरल में भूस्खलन, अत्यधिक संवेदनशील समुदायों पर विनाशकारी प्रभाव" शीर्षक के तहत प्रकाशित किया गया है और इसे डब्ल्यूडब्ल्यूए की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।
डॉ सीमा जावेद
Landslide in Kerala's Wayanad district: Human-caused climate change made heavy rains 10% more intense

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।