UNDP की नई रिपोर्ट में चेतावनी —दुनिया की 80% निर्धन आबादी जलवायु संकट के साए में!

UNDP Global Poverty and Climate Report 2025

  • जलवायु परिवर्तन और निर्धनता संबंध 2025
  • UNDP Poverty Climate Index 2025 in Hindi
  • South Asia Climate Poverty Hotspots
  • UNDP बहुआयामी निर्धनता सूचकांक रिपोर्ट
  • जलवायु जोखिम और गरीब आबादी पर प्रभाव
  • UN Climate Conference COP30 Brazil 2025

Climate adaptation and poverty reduction policies

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की लगभग 80 फीसदी निर्धन आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहाँ उन्हें जलवायु परिवर्तन से उपजे खतरों—जैसे झुलसा देने वाली गर्मी, बाढ़, सूखा और वायु प्रदूषण—का सीधा सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट बताती है कि जलवायु संकट वैश्विक निर्धनता को और गहराई से बढ़ा रहा है। दक्षिण एशिया और सब-सहारा अफ्रीका सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र हैं, जहाँ करोड़ों लोग बहुआयामी निर्धनता और पर्यावरणीय जोखिमों से एक साथ जूझ रहे हैं। इस संबंध में पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह ख़बर
80% of the world's poor are vulnerable to climate-related risks - UNDP
80% of the world's poor are vulnerable to climate-related risks - UNDP


विश्व की 80 फ़ीसदी निर्धन आबादी, जलवायु सम्बन्धी जोखिमों के साए में - UNDP

17 अक्टूबर 2025 आर्थिक विकास

विश्व भर में 88 करोड़ से अधिक निर्धनता से पीड़ित लोग ऐसे इलाक़ों में रहते हैं, जहाँ उन्हें अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखे या वायु प्रदूषण जैसे जलवायु जोखिमों का सीधे तौर पर सामना करना पड़ता है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने अपनी नई रिपोर्ट में एक ऐसी दुनिया को उजागर किया है, जिसमें जलवायु संकट वैश्विक निर्धनता को और गम्भीर बना रहा है.
शुक्रवार को प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, बहुआयामी निर्धनता केवल एक सामाजिक-आर्थिक समस्या नहीं है, बल्कि यह पृथ्वी पर बढ़ते जलवायु दबाव और उससे उपज रही अस्थिरता से भी गहराई से जुड़ी है.
अपने दैनिक जीवन में जलवायु जोखिमों का सामना करने की वजह से पहले से ही निर्धनता का शिकार लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं.

निर्धनता व जलवायु समस्याओं का सामना कर रहे लोगों के पास सीमित संसाधन या सम्पत्ति होती है और अक्सर उनकी सामाजिक संरक्षा उपायों तक पहुँच नहीं होती है, जिससे परिस्थितियाँ और बिगड़ जाती हैं.

‘वैश्विक बहुआयामी निर्धनता सूचकांक’ के अन्तर्गत तैयार की गई इस रिपोर्ट को, अगले महीने यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप30) से पहले जारी किया गया है, जोकि ब्राज़ील में आयोजित हो रहा है.
इस सूचकांक के ज़रिए, आम लोगों के रोज़मर्रा के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं, जैसेकि शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, बुनियादी सेवाओं की सुलभता समेत अन्य क्षेत्रों में निर्धनता का आकलन किया जाता है.
यूएन विकास कार्यक्रम के कार्यवाहक प्रशासक हाओलिएग शू ने बताया कि वैश्विक निर्धनता से निपटने और एक अधिक स्थिरतापूर्ण विश्व को आकार देने के लिए यह ज़रूरी है कि क़रीब 90 करोड़ निर्धन लोगों को संकट में डालने वाले जलवायु जोखिमों का सामना किया जाए.

उन्होंने कहा कि अगले महीने ब्राज़ील में कॉप30 जलवायु सम्मेलन में विश्व नेताओं को अपने राष्ट्रीय जलवायु संकल्पों में ऊर्जा भरनी होगी, ताकि विकास पथ पर अवरुद्ध प्रगति को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा सके.
निर्धनता, जलवायु जोखिमों का बोझ
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि निर्धन समुदाय, अक्सर एक साथ, अनेक मोर्चों पर आपस में गुंथे हुए पर्यावरणीय चुनौतियों से जूझ रहे हैं.

अध्ययन दर्शाता है कि विश्व भर में 1.1 अरब लोग बहुआयामी निर्धनता में जीवन गुज़ार रहे हैं, जिनमें से कम 88.7 करोड़ किसी न किसी रूप में एक जलवायु सम्बन्धी जोखिम से भी सीधे तौर पर प्रभावित हैं.

65 करोड़ से अधिक लोगों को दो या उससे अधिक जलवायु जोखिमों से जूझना पड़ता है, जबकि 30 करोड़ से अधिक लोग तीन या फिर जलवायु सम्बन्धी चुनौतियों का एक साथ सामना कर रहे हैं.
30.9 करोड़ लोग ऐसे क्षेत्रों में बसे हैं, जहाँ वे बहुआयामी निर्धनता से पीड़ित होने के साथ-साथ तीन या चार जलवायु जोखिमों से भी जूझते हैं.

निर्धन समुदायों के लिए सबसे बड़े जलवायु जोखिम झुलसा देने वाली गर्मी (60 करोड़ लोग) और वायु प्रदूषण (57 करोड़) है. बाढ़ की दृष्टि से सम्वेदनशील इलाक़ों में 46 करोड़ से अधिक निर्धन लोग बसे हैं, जबकि 20 करोड़ से ज़्यादा सूखे से प्रभावित इलाक़ों में रहते हैं.

सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र

दक्षिण एशिया और सब-सहारा अफ़्रीका को जलवायु व निर्धनता से जुड़ी कठिनाइयों से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र (हॉटस्पॉट) माना गया है, जहाँ सबसे बड़ी संख्या में क्रमश: 38 करोड़ और 34 करोड़ लोग रहते हैं.

दक्षिण एशिया में लगभग हर निर्धन व्यक्ति, 99 फ़ीसदी, किसी न किसी जलवायु जोखिम की चपेट में है. 35 करोड़ निर्धन लोग दो या उससे अधिक जोखिमों का सामना कर रहे हैं, जोकि विश्व के किसी अन्य क्षेत्र की तुलना में सबसे अधिक संख्या है.

निम्नतर-मध्यम-आय वाले देशों में बसी निर्धन आबादी को सबसे अधिक जलवायु जोखिमों से जूझना पड़ता है, जहाँ 54 करोड़ कम से कम एक जोखिम की चपेट में हैं.

रिपोर्ट में सचेत किया गया है कि बहुआयामी निर्धनता के ऊँचे स्तर से प्रभावित देशों में इस सदी के अन्त तक तापमान में भी बड़े उछाल का सामना करना पड़ सकता है.
समग्र कार्रवाई पर बल
इसके मद्देनज़र, निर्धनता उन्मूलन के साथ-साथ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती, जलवायु अनुकूलन प्रयासों को मज़बूती देने पर बल दिया गया है.

साथ ही, महत्वपूर्ण पारिस्तिथिकी तंत्रों को बहाल किया जाना होगा, ताकि आम लोगों व पृथ्वी को इसका लाभ मिल सके.

कार्यवाहक प्रशासक शू ने कहा कि इन जटिल और आपस में गुंथे मुद्दों को हल करने के लिए समग्र समाधानों की आवश्यकता होगी, जिनमें पर्याप्त निवेश किया गया हो और जिन्हें जल्द से जल्द अमल में लाया जाए.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।