दुनियाभर में बच्चों के टीकाकरण में प्रगति जारी, लेकिन 1.4 करोड़ से अधिक नवजात अब भी टीकों से वंचित | Progress continues in vaccinating children worldwide

विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ की रिपोर्ट

Progress continues in vaccinating children worldwide, but more than 14 million newborns are still deprived of vaccines
Progress continues in vaccinating children worldwide, but more than 14 million newborns are still deprived of vaccines


जिनेवा / न्यूयॉर्क 14 जुलाई 2025: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ ने संयुक्त रूप से एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर 89% शिशुओं — यानी लगभग 11.5 करोड़ बच्चों — को डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी (DTP) युक्त टीकों की पहली खुराक मिली, जबकि 85% बच्चों — लगभग 10.9 करोड़ — ने तीनों खुराक पूरी की। यह आंकड़े राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज के नए डेटा पर आधारित हैं।

"जीरो डोज़" बच्चे

हालांकि 2023 की तुलना में एक लाख 71 हजार बच्चों को पहली बार टीका मिला और एक मिलियन (10 लाख) बच्चों ने पूरी श्रृंखला पूरी की, फिर भी करीब 2 करोड़ शिशु कम से कम एक खुराक से वंचित रह गए। इनमें से 1.43 करोड़ ऐसे बच्चे थे जिन्हें एक भी टीका नहीं मिला — इन्हें "जीरो डोज़" बच्चे कहा जाता है।

यह संख्या इम्यूनाइजेशन एजेंडा 2030 के लक्ष्यों से 40 लाख अधिक है और 2019 के आंकड़ों से 14 लाख अधिक।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉ. टेड्रोस का बयान


WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस ने कहा, "टीके जीवन बचाते हैं और व्यक्ति, समाज व देश की समृद्धि के लिए जरूरी हैं। बच्चों को टीकाकरण मिलना जारी रहना एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। विदेशी मदद में कटौती और वैक्सीन को लेकर फैलाई जा रही झूठी जानकारी दशकों की प्रगति को खतरे में डाल सकती है।"

उन्होंने सभी देशों से अपील की कि वे स्थानीय समाधान विकसित करें और अपने संसाधनों से निवेश बढ़ाएं ताकि हर बच्चे को टीकों से सुरक्षा मिल सके।

असमानता और संकट में देशों की हालत चिंताजनक


195 देशों के डेटा में पाया गया कि 2019 से अब तक 131 देशों ने पहले DTP टीके की 90% से अधिक कवरेज बनाए रखी है, लेकिन इस संख्या में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई है। जिन 64 देशों ने 2019 में यह लक्ष्य नहीं पाया था, उनमें केवल 17 देश ही इसे बेहतर कर सके। वहीं 47 देशों में या तो कोई सुधार नहीं हुआ या हालात बदतर हो गए हैं।

मानवीय संकट वाले देशों में टीकाकरण की खराब स्थिति

रिपोर्ट में बताया गया कि विशेष चिंता की बात यह है कि उन देशों में जहां संघर्ष, अस्थिरता या मानवीय संकट हैं — जैसे सूडान, यमन, अफगानिस्तान आदि — वहां टीकाकरण की स्थिति सबसे खराब है। दुनिया के 26 ऐसे देशों में 25% नवजात रहते हैं, लेकिन ये देश वैश्विक स्तर पर 50% से अधिक गैर-टीकाकृत बच्चों के लिए जिम्मेदार हैं।

इन संकटग्रस्त देशों में 2019 में 36 लाख बच्चे बिना टीका के थे, जो 2024 में बढ़कर 54 लाख हो गए हैं।

गावी के समर्थन से कम-आय वाले देशों में प्रगति

Gavi – वैक्सीन एलायंस के सहयोग से 57 निम्न-आय वाले देशों में टीकाकरण में प्रगति देखी गई है। इन देशों में 2024 में लगभग 6.5 लाख ऐसे बच्चों को टीकाकरण प्राप्त हुआ, जिन्हें पहले टीका नहीं मिला था।

लेकिन दूसरी ओर, उच्च और मध्य आय वाले देशों में कुछ गिरावट देखने को मिल रही है, जो पहले 90% या अधिक टीकाकरण दर बनाए हुए थे।

WHO ने चेताया है कि थोड़ी सी गिरावट भी संक्रामक रोगों के प्रकोप की आशंका बढ़ा सकती है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।

खसरा और एचपीवी वैक्सीन में वृद्धि, लेकिन लक्ष्य से दूर

एचपीवी वैक्सीन (गर्भाशयग्रीवा कैंसर से सुरक्षा) के क्षेत्र में उत्साहजनक प्रगति हुई है। 2024 में वैश्विक स्तर पर 31% किशोरियों को कम से कम एक खुराक मिली, जबकि 2019 में यह आंकड़ा केवल 17% था। हालांकि 2030 तक 90% टीकाकरण का लक्ष्य अभी काफी दूर है।

खसरा के टीकाकरण में भी मामूली सुधार हुआ है — पहली खुराक 84% बच्चों को और दूसरी खुराक 76% बच्चों को मिली, जो 2023 की तुलना में थोड़ा बेहतर है। फिर भी 3 करोड़ से अधिक बच्चे खसरे के खिलाफ पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। 2024 में 60 देशों में खसरे के बड़े या विघटनकारी प्रकोप हुए, जो 2022 के 33 देशों से लगभग दोगुना है।

भविष्य की राह : क्या करना होगा?

WHO और यूनिसेफ ने चेताया कि अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो यह प्रगति रुक सकती है या पलट सकती है। उन्होंने सभी सरकारों और साझेदार संगठनों से निम्नलिखित कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की:

  • Gavi के 2026–2030 रणनीतिक चक्र के लिए वित्तपोषण अंतर को पूरा करना,
  • संघर्ष और संकटग्रस्त क्षेत्रों में टीकाकरण को प्राथमिकता देना,
  • स्थानीय रणनीतियों और घरेलू निवेश को बढ़ावा देना,
  • वैक्सीन से जुड़ी गलत सूचनाओं को रोकना,
  • और मजबूत डेटा तथा निगरानी प्रणाली में निवेश करना।
इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि दुनियाभर में टीकाकरण की दिशा में प्रयास जारी हैं और कुछ क्षेत्रों में आशाजनक सुधार दिख रहा है। लेकिन जीरो डोज़ बच्चों की संख्या, राजनीतिक अस्थिरता, झूठी जानकारी और स्वास्थ्य बजट में कटौती जैसी समस्याएं इस प्रगति को बाधित कर सकती हैं।

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।