Soft Drink बनाम मिठाई: कौन ज़्यादा हानिकारक है | Soft drinks vs sweets: Which is more harmful?

एक नवीनतम मेटा-अध्ययन में खुलासा हुआ है कि मीठे पेय पदार्थों में मौजूद चीनी, ठोस खाद्य पदार्थों में पाई जाने वाली चीनी की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज़ के लिए अधिक हानिकारक है। जानिए इस अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष।

Soft drinks vs sweets: Which is more harmful?

क्या मीठे पेय पदार्थ खाने में मौजूद चीनी से ज़्यादा हानिकारक हैं? नया अध्ययन देता है चौंकाने वाले संकेत

एक नया अंतरराष्ट्रीय मेटा-अध्ययन इस धारणा को चुनौती देता है कि चीनी अपने आप में समान रूप से हानिकारक होती है, चाहे वह भोजन में हो या पेय पदार्थों में। शोधकर्ताओं ने पाया है कि मीठे पेय पदार्थों में मौजूद तरल चीनी ठोस खाद्य पदार्थों की तुलना में टाइप 2 मधुमेह (T2D) के विकास में कहीं अधिक गंभीर भूमिका निभाती है।

29 अध्ययनों की समेकित समीक्षा से निकले निष्कर्ष

यह मेटा-अध्ययन “Dietary Sugar Intake and Incident Type 2 Diabetes Risk: A Systematic Review and Dose-Response Meta-Analysis of Prospective Cohort Studies” ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी (यूटा) (Brigham Young University in Provo), पैडरबोर्न यूनिवर्सिटी (Paderborn University) और फ्रीबर्ग यूनिवर्सिटी (University of Freiburg) जर्मनी के शोधकर्ताओं ने मिलकर किया। इसमें यूरोप, अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और लैटिन अमेरिका में किए गए 29 अध्ययनों का विश्लेषण किया गया।

शोध में 10,384 रिकॉर्ड शामिल किए गए, जिसमें से गहन समीक्षा के बाद 106 अध्ययनों को चुना गया। अनुवर्ती अवधि 2.2 से लेकर 24 वर्षों तक थी। अध्ययन Advances in Nutrition में प्रकाशित हुआ है।

मीठे पेय और टाइप 2 डायबिटीज़ के बीच है मजबूत संबंध

शोध के अनुसार,

·      मीठे पेय पदार्थों (जैसे कोल्ड ड्रिंक, स्पोर्ट्स ड्रिंक) की रोजाना 12 औंस (लगभग 355 मिलीलीटर) खपत से T2D का खतरा 25% तक बढ़ जाता है।

·      फलों के रस के प्रति सर्विंग के साथ जोखिम 5% बढ़ जाता है।

ठोस खाद्य पदार्थों में चीनी? जोखिम कम!

शोधकर्ताओं ने आश्चर्यजनक रूप से पाया कि यदि चीनी ठोस भोजन के साथ खाई जाए, तो वह न केवल कम हानिकारक होती है, बल्कि संभावित रूप से टाइप 2 मधुमेह के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव भी दिखा सकती है।

प्रति दिन 20 ग्राम चीनी का सेवन मधुमेह के खतरे को घटा सकता है।

चीनी की खपत और उसके स्रोत — क्यों है फर्क?

ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर कैरन डेला कोर्टे (Karen Della Corte) के अनुसार:

"चीनी शरीर पर कैसे असर डालती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह कैसे और किसके साथ ली जाती है।"

तरल चीनी जैसे मीठे पेय में कोई फाइबर, प्रोटीन या वसा नहीं होता, जो उसके अवशोषण को धीमा कर सके। इसलिए यह तुरंत शरीर में शुगर स्पाइक और इंसुलिन प्रतिक्रिया पैदा करता है।

तरल शर्करा से मधुमेह का खतरा कैसे बढ़ता है?

मिशेल रूथेनस्टीन, कार्डियोलॉजी डाइटिशियन (Michelle Routhenstein, MS, RD, CDCES, CDN cardiac dietitian), बताती हैं:

"मीठे पेयों में फ्रुक्टोज अधिक होता है, जो सीधे लीवर को प्रभावित करता है। लीवर जब अधिक फ्रुक्टोज को संसाधित नहीं कर पाता, तो वह उसे वसा में बदल देता है – जिससे इंसुलिन प्रतिरोध और T2D का खतरा बढ़ता है।"

क्या सभी प्रकार की चीनी को 'दुश्मन' मानना सही है?

नहीं।

अध्ययन के मुताबिक, चीनी का हानिकारक या लाभकारी प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि वह क्या खाकर ली गई है। ठोस खाद्य पदार्थों के साथ ली गई चीनी फाइबर, प्रोटीन और वसा की उपस्थिति के कारण धीरे-धीरे पचती है और इससे रक्त शर्करा में अचानक उछाल नहीं आता।

विशेषज्ञों की राय में ‘चीनी को नकारना नहीं, समझदारी से अपनाना जरूरी’ है

डेला कोर्टे कहती हैं:

"यह धारणा कि 'सभी चीनी बुरी हैं', अब पुरानी हो चुकी है। हमें अब अधिक समझदारी और वैज्ञानिक नजरिए से देखना होगा कि हम कैसे और कितनी चीनी ले रहे हैं।"

रूथेनस्टीन जोड़ती हैं:

"मैं कम कार्ब डाइट की समर्थक नहीं हूं। बल्कि मैं संतुलन और गुणवत्ता पर ज़ोर देती हूं – जैसे कि फाइबर, हेल्दी फैट्स और प्रोटीन के साथ चीनी का सेवन।"

परिणाम : स्वास्थ्य की कुंजी संतुलन में है

यह शोध स्पष्ट करता है कि

·      मीठे पेय पदार्थों से बचना टाइप 2 डायबिटीज़ से बचाव का महत्वपूर्ण तरीका है।

·      भोजन के साथ सीमित मात्रा में ली गई चीनी नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि कुछ मामलों में लाभदायक हो सकती है।

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आहार से चीनी को पूरी तरह हटाने के बजाय उसके स्रोत और सेवन के तरीकों पर ध्यान दें। खासतौर से तरल रूप में ली जाने वाली चीनी से बचें और संतुलित भोजन को प्राथमिकता दें।

स्रोत:

अध्ययन: Advances in Nutrition

मुख्य लेखक: डॉ. कैरन डेला कोर्टे

योगदान: Tyler Bosler 1

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।