संयुक्त राष्ट्र में आम नागरिकों की सुरक्षा पर मंथन: दंडमुक्ति की संस्कृति पर लगेगा लगाम? | Protection of Civilians Week

संयुक्त राष्ट्र में शुरू हुआ 'संरक्षण सप्ताह 2025'

ग़ाज़ा, सूडान और यूक्रेन में आम नागरिकों की भयावह स्थिति
आम नागरिकों के अधिकार और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून
OCHA और रेड क्रॉस की भूमिका व प्रयास
दंडमुक्ति की संस्कृति बन रही है सबसे बड़ा संकट
सशस्त्र संघर्षों में आम लोगों की बढ़ती मौतें – क्या समाधान है?

वैश्विक स्तर पर नागरिकों की सुरक्षा फिर से प्राथमिकता में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र में आम नागरिकों की रक्षा हेतु संरक्षण सप्ताह (Protection of Civilians Week) शुरू। ग़ाज़ा, सूडान, यूक्रेन में बढ़ती मौतों के बीच दंडमुक्ति पर सख़्त रुख। पढ़िए इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह खबर
Protection of Civilians Week in Hindi
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आम नागरिकों के संरक्षण के लिए सप्ताह: 'दंडमुक्ति की संस्कृति से निपटना होगा'

19 मई 2025 शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 19 मई से 23 मई तक, आम नागरिकों के संरक्षण के लिए सप्ताह की शुरुआत हुई है, जिसके तहत, संयुक्त राष्ट्र, उसके सदस्य देश और नागरिक समाज के प्रतिनिधि सशस्त्र टकरावों के दौरान आम नागरिकों की रक्षा के उपायों पर चर्चा करेंगे.

अक्टूबर 2023 के बाद से अब तक, ग़ाज़ा पट्टी में 50 हज़ार आम नागरिकों की जान जा चुकी है. वहीं सूडान में पिछले दो वर्षों के दौरान परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच लड़ाई में 18 हज़ार आम लोग मारे गए हैं.

वहीं, यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों के पूर्ण स्तर पर आक्रमण शुरू होने के बाद मृतक आँकड़ा 12 हज़ार है.

सोमवार, 19 मई, को शुरू हुए संरक्षण सप्ताह के आठवें संस्करण के दौरान, सशस्त्र संघर्षों के दौरान होने वाली मौतों व विस्थापन को टालने के रास्तों पर चर्चा होगी.

संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी कार्यालय (OCHA), हिंसक टकराव के दौरान नागरिकों के लिए केन्द्र, स्विट्ज़रलैंड और अन्तरराष्ट्रीय रैड क्रॉस समिति के समन्वय में आयोजित इस सप्ताह की थीम है: आम नागरिकों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय.

संरक्षण गारंटी का हनन

अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी और मानवाधिकार क़ानून के अन्तर्गत, स्पष्ट दिशानिर्देश स्थापित किए गए हैं, ताकि सशस्त्र टकरावों के दौरान आम नागरिकों की रक्षा की जा सके.

मगर, OCHA ने ध्यान दिलाया कि इन क़ानूनों का पालन करने के बजाय, दंडमुक्ति की संस्कृति को बल मिल रहा है, जिसमें उनके प्रति बेपरवाही दर्शाई जाती है. साथ ही, इन क़ानूनों को अमल में लाने की प्रक्रिया राजनीति का शिकार बन रही है.

यूएन मानवतावादी कार्यालय के अनुसार, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत स्पष्ट संरक्षण प्राप्त होने के बावजूद, आम नागरिकों को हिंसक टकरावों का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ता है.

यह इसलिए भी चिन्ताजनक है, चूँकि लड़ाई के दौरान हताहत होने वाले आम नागरिकों की संख्या बढ़ रही है. पिछले एक दशक में, विश्व भर में, सशस्त्र संघर्षों की संख्या बढ़ी है.

इस वजह से, पिछले 20 वर्षों से हिंसक टकराव में आ रही गिरावट का रुझान बदल चुका है, जिसके मद्देनज़र, आम नागरिकों की रक्षा सुनिश्चित किया जाना फिर से वैश्विक प्रयासों के केन्द्र में है.

2022 और 2023 के दौरान, संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, सशस्त्र टकराव के दौरान आम नागरिकों की मौतों में 72 फ़ीसदी का उछाल दर्ज किया गया.

Web Title: Protection of Civilians Week 2025: 'The culture of impunity must be tackled'

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।