ग़ाज़ा में इसराइली हमलों के बीच मानवीय संकट गहराया, आम फ़लस्तीनियों की पीड़ा चरम पर | Havoc on common people in Gaza

इसराइली हमलों में तेज़ी, ग़ाज़ा में आम लोगों पर कहर

  • मानवीय सहायता बाधित, अकाल का खतरा मंडराया
  • बच्चों और महिलाओं की हालत चिंताजनक: यूनिसेफ़
  • स्कूल और घर बने निशाना, विस्थापितों की संख्या बढ़ी
  • यूएन एजेंसियाँ चेतावनी पर चेतावनी दे रहीं
  • पूर्वी येरूशेलम में इसराइली प्रदर्शनकारी और UNRWA परिसर विवाद

खेती पर भी पड़ा असर, खाद्य संकट की आशंका

ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य हमलों के तेज़ होते दौर में आम फ़लस्तीनियों की ज़िंदगी बदतर होती जा रही है। UN एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि सीमित मानवीय सहायता से अकाल नहीं टाला जा सकता। विस्थापितों की हालत भयावह है और युद्ध के चलते खाद्य उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह ख़बर
Havoc on common people in Gaza
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ग़ाज़ा: इसराइली सैन्य हमलों में तेज़ी के बीच, आम फ़लस्तीनियों की बढ़ती पीड़ा

26 मई 2025 मानवीय सहायता

ग़ाज़ा में बीते सप्ताहांत इसराइली हमलों के बाद, मानवीय सहायताकर्मियों ने सोमवार को फिर आगाह किया है कि टुकड़ों में मानवीय सहायता आपूर्ति की अनुमति देने से अकाल को नहीं टाला जा सकता है.

इसराइली सेना की समन्वय इकाई ने शनिवार को बताया कि ग़ाज़ा में अब तक 388 मानवीय सहायता ट्रक प्रवेश कर चुके हैं. पिछले दो महीनों से राहत सामग्री पर थोपी गई पाबन्दी के बाद हाल ही में सहायता ट्रकों को प्रवेश की अनुमति दी गई है.

मानवीय सहायताकर्मियों ने चेतावनी दोहराई है कि ग़ाज़ा में हर दिन 500 से 600 ट्रकों के ज़रिये सामान पहुँचाने की आवश्यकता है, ताकि स्थानीय आबादी की ज़रूरतों को पूरा किया जा सके.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने यूएन न्यूज़ को बताया कि 11 सप्ताह तक ग़ाज़ा में भोजन, दवा और अन्य सामान नहीं पहुँचने के बाद फिर से जीवनरक्षक सहायता की अनुमति दी गई है, मगर यह अपर्याप्त है.

उन्होंने कहा कि यह संकेतात्मक ही प्रतीत होता है, जिसे केवल दिखावटी तौर पर किया जा रहा है, ग़ाज़ा में बच्चों व आम नागरिकों के भूख संकट से निपटने की की वास्तविक कोशिश नहीं है.

स्कूल, हमले की चपेट में

इस बीच, इसराइली सैन्य बलों द्वारा सोमवार को उत्तरी ग़ाज़ा में तथाकथित आतंकवादियों और उनके ठिकानों पर की गई कार्रवाई में तेज़ी आई है, जिसमें कम से कम 50 लोगों के मारे जाने की ख़बर है.

ग़ाज़ा सिटी में एक स्कूल हमले की चपेट में आया, जहाँ हिंसक टकराव से विस्थापन का शिकार हुए सैकड़ों लोगों ने शरण ली हुई थी. स्वास्थ्य प्रशासन के अनुसार, ग़ाज़ा सिटी में एक घर पर हुए अन्य हवाई हमले में चार लोगों की जान गई है.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) द्वारा संचालित आश्रय स्थलों में विस्थापित लोग हताशा भरे माहौल में जीवन गुज़ार रहे हैं. भोजन के अभाव की वजह से आम नागरिकों की पीड़ा बढ़ी है.

यूएन एजेंसी ने बताया कि अनेक परिवारों ने खाली पड़ी इमारतों, क्षतिग्रस्त घरों में शरण ली है. साफ़-सफ़ाई की ख़राब व्यवस्था है और कुछ मामलों में सैकड़ों लोग एकमात्र शौचालय पर निर्भर हैं. महिलाओं व बच्चों को खुले में सोना पड़ रहा है.

यूएन खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) औ यूएन सैटेलाइट केन्द्र (UNOSAT) ने सचेत किया है कि ग़ाज़ा में कृषि-योग्य भूमि के केवल पाँच फ़ीसदी पर ही खेती की जा सकती है. युद्ध के कारण खाद्य उत्पादन क्षमता पर गहरा असर हुआ है और अकाल का जोखिम बढ़ा है.

इसराइली बाशिन्दों का प्रदर्शन

उधर, क़ाबिज़ पूर्वी येरूशेलम में सोमवार को इसराइली प्रदर्शनकारियों ने फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के परिसर में अवैध रूप से प्रवेश किया है.

यूएन एजेंसी के प्रवक्ता ने बताया कि इसराइली संसद, क्नेसेट का एक सदस्य भी उन प्रदर्शनकारियों में शामिल था, जिन्होंने परिसर में प्रवेश किया.

इसराइल में सोमवार को राष्ट्रीय अवकाश है, जोकि 1967 में छह दिन तक चले युद्ध की स्मृति में है, जब सैन्य बलों ने पूर्वी येरूशेलम और पश्चिमी तट को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था.

UNRWA का यह परिसर, क़ाबिज़ पूर्वी येरूशेलम के शेख जर्राह इलाक़े में स्थित है, जहाँ अतीत में भी केन्द्र के बाहर आगज़नी की घटनाएँ हुई हैं.

जनवरी महीने के अन्त तक, यूएन एजेंसी ने विरोध दर्ज कराते हुए अपने कर्मचारियों को इस परिसर से हटा लिया था, जब क़ाबिज़ पूर्वी येरूशेलम में यूएन एजेंसी के कामकाज पर पाबन्दी लगाने वाला इसराइली क़ानून लागू हुआ था.

इस परिसर को अब भी एक यूएन केन्द्र के रूप में दर्जा प्राप्त है, जिसे अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत संरक्षण हासिल है.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।