भूख का बढ़ता संकट: रिकॉर्ड स्तर पर खाद्य असुरक्षा | 50 million people in West and Central Africa at risk of starvation

WFP की चेतावनी: संसाधनों की भारी कमी, राहत कार्य खतरे में

2019 से अब तक हालात कैसे बदले?

  • युद्ध, विस्थापन और मौसम: संकट के पीछे की बड़ी वजहें
  • तत्काल मदद की अपील: 5 करोड़ लोगों के जीवन पर खतरा
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी और मध्य अफ़्रीका में 5 करोड़ से ज़्यादा लोग भुखमरी के गंभीर खतरे में हैं। युद्ध, विस्थापन, खाद्य मुद्रास्फीति और जलवायु संकट इस मानवीय त्रासदी को और गहरा बना रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस ख़बर से जानिए WFP की चेतावनी और ज़मीनी हालात।
50 million people in West and Central Africa at risk of starvation
50 million people in West and Central Africa at risk of starvation


पश्चिमी और मध्य अफ़्रीका में 5 करोड़ लोग भुखमरी के जोखिम में

9 मई 2025 मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने आगाह किया है कि पश्चिमी और मध्य अफ़्रीका क्षेत्र में लाखों लोग, युद्ध व टकराव, विस्थापन, आर्थिक कठिनाइयों और बारम्बार घटित होने वाले अत्यन्त चरम मौसम के कारण, भूख के रिकॉर्ड स्तर का सामना कर रहे हैं. ये सब घटनाएँ या त्रासदियाँ, इस क्षेत्र को एक बड़े संकट की ओर धकेल रही हैं.

नवीन विश्लेषण से मालूम होता है कि 3 करोड़ 60 लाख से अधिक लोग, अपनी बुनियादी खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गम्भीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. जून से अगस्त तक के कमज़ोर मौसम के दौरान, यह संख्या बढ़कर 5 करोड़ 20 लाख से अधिक होने का अनुमान है.

इनमें लगभग तीस लाख लोग आपात स्थितियों का सामना कर रहे हैं, और माली में 2 हजार 600 लोग ऐसे हैं जो भूख के भयावह स्तर के जोखिम में हैं.

ज़रूरतें ऐतिहासिक रूप से उच्च स्तर पर हैं और संसाधन सीमित हैं. इन हालात ने, लाखों लोगों की जान दाँव पर लगा दी है.

WFP के, पश्चिमी और मध्य अफ़्रीका के क्षेत्रीय निदेशक मार्गोट वैन डेर वैल्डेन ने कहा है, "अगर तत्काल धनराशि नहीं मिली तो WFP को, पहुँच बनाए जाने वाले लोगों की संख्या और वितरित की जानी वाली खाद्य सामग्री के आकार दोनों में और भी अधिक कमी करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा."

‘बेहद कठिन और भयावह’


WFP के वरिष्ठ शोध सलाहकार ओलो सिब के अनुसार, 2019 में, केवल 4 प्रतिशत आबादी खाद्य असुरक्षित थी, जिसकी संख्या अब 30 प्रतिशत हो गई है.

ओलो सिब ने, जिनीवा में स्थित पत्रकारों को, डकार से सम्बोधित करते हुए कहा, “हमें उम्मीद है कि हमारी आवाज़ सुनी जाएगी क्योंकि साहेल में खाद्य सुरक्षा की यह स्थिति बेहद कठिन और भयावह बनी हुई है.”

उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी फ़सलों के लिए, दो से तीन बार फिर से रोपण करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, और उनके लिए, प्रत्येक असफल बुवाई, एक अतिरिक्त वित्तीय बोझ है, क्योंकि उन स्थानों पर उर्वरकों और बीजों की लागत बहुत अधिक है.

उन्होंने बताया कि चरवाहे आमतौर पर अनाज ख़रीदने के लिए अपने पशुधन को बेचते हैं. इस साल वे चिन्तित हैं क्योंकि पाँच साल के औसत की तुलना में खाद्य पदार्थों की लागत में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. लेकिन साथ ही, वे अपने सामान को बेचने के लिए बाज़ारों तक नहीं पहुँच पा रहे हैं.

युद्ध व टकराव, खाद्य मुद्रास्फीति और बाढ़

WFP ने कहा है कि पश्चिमी और मध्य अफ़्रीका में भूख की स्थिति को गहरा करने वाले कारकों में से एक है लगातार टकराव और युद्धों की स्थिति.

लड़ाई ने पूरे क्षेत्र में सबसे कमज़ोर हालात वाले एक करोड़ से ज़्यादा लोगों को विस्थापित किया है, जिसमें चाड, कैमरून, मॉरितॉनिया और निजेर में 20 लाख से ज़्यादा शरणार्थी और शरण चाहने वाले शामिल हैं.

लगभग 80 लाख लोग अपने देशों के भीतर ही विस्थापित हुए हैं, मुख्य रूप से नाइजीरिया और कैमरून में.

इस बीच, खाद्य और ईंधन की बढ़ती लागत से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ गई है, जिससे भूख का स्तर नई ऊँचाइयों पर पहुँच गया है.

यूएन खाद्य सहायता एजेंसी ने कहा कि साथ ही, बार-बार होने वाले चरम मौसम ने परिवारों की, अपना पेट भर पाने की क्षमता को ख़त्म कर दिया है.

50 लाख लोग हैं जोखिम में

WFP, पश्चिमी अफ़्रीका और साहेल में मानवीय सहायता कार्रवाई करने और महत्वपूर्ण सहायता बढ़ाने के लिए तैयार है.

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने, अक्टूबर के अन्त तक अपने जीवन रक्षक कार्यों को सहारा देने के लिए, 71. करोड़ डॉलर की राशि जुटाने की मांग की है.

इसका उद्देश्य इस वर्ष लगभग 1.2 करोड़ लोगों तक महत्वपूर्ण सहायता पहुँचाना है.

एजेंसी ने कहा कि अगर तत्काल धन नहीं मिला तो 50 लाख लोगों के लिए, मानवीय सहायता ख़त्म हो जाने का जोखिम है.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।