WHO के नए दिशानिर्देश: मेनिनजाइटिस से मौतों की रोकथाम और प्रभावी उपचार की रणनीति | New WHO guidelines: Preventing deaths from meningitis

मेनिनजाइटिस: एक जानलेवा बीमारी जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता

WHO के नए दिशानिर्देश: क्या बदलाव लाएगी यह पहल?
बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस 
ले सकता है 24 घंटे में जान
मेनिनजाइटिस बेल्ट: सब-सहारा अफ्रीका में क्यों है सबसे ज्यादा खतरा?
टीकाकरण और जल्द निदान: मेनिनजाइटिस से बचाव के प्रमुख उपाय
निम्न आय वाले देशों में चुनौतियाँ और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव

2030 तक मेनिनजाइटिस उन्मूलन क्या है WHO की महत्वाकांक्षी योजना


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मेनिनजाइटिस की रोकथाम और उपचार के लिए नए दिशानिर्देश (New guidelines for prevention and treatment of meningitis) जारी किए हैं। जानें कैसे यह पहल लाखों जानें बचा सकती है, विशेषकर मेनिनजाइटिस बेल्ट क्षेत्र में। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर में बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस के खतरों, टीकाकरण की आवश्यकता (Dangers of Bacterial Meningitis, Need for Vaccination) और निम्न आय वाले देशों में चुनौतियों के बारे में विस्तृत जानकारी...
New WHO guidelines: Strategies for prevention and effective treatment of deaths from meningitis
New WHO guidelines: Strategies for prevention and effective treatment of deaths from meningitis




मेनिनजाइटिस से मौतों की रोकथाम व कारगर उपचार के लिए, WHO के नए दिशानिर्देश

10 अप्रैल 2025 स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरुवार को कहा कि दिमागी बुखार (meningitis) के निदान और प्रभावी उपचार के लिए तैयार नए दिशानिर्देशों को अपनाने से लाखों मौतों को टाला जा सकता है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने इस बीमारी का समय रहते पता लगाने, जल्द उपचार शुरू करने और पीड़ितों के लिए दीर्घकालिक देखभाल सुनिश्चित करने के इरादे से पहली बार इन गाइडलाइन को जारी किया है.

मेनिनजाइटिस, मस्तिष्क और मेरुदण्ड के इर्द-गिर्द मौजूद झिल्लियों (membranes) में ख़तरनाक सूजन का आना है, जो कि अक्सर बैक्टीरिया और वायरस संक्रमण के कारण होती है.

किसी भी आयु वर्ग में लोग मेनिनजाइटिस से संक्रमित हो सकते हैं, जोकि खाँसते या छींकते समय निकलने वाली बूंदों या फिर व्यक्तियों में नज़दीकी सम्पर्क से फैलती है. इससे निम्न और मध्यम आय वाले देश सबसे अधिक प्रभावित हैं.

यह बीमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा ख़तरा है, जिसमें मौत होने या लम्बे समय तक जटिल स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित होने का जोखिम होता है. इसके लिए तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है.

सब-सहारा अफ़्रीका में इस संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले सामने आते हैं. इस बीमारी के प्रकोप के कारण इस क्षेत्र को अक्सर 'मेनिनजाइटिस बेल्ट' के रूप में भी देखा जाता है जोकि पश्चिम में सेनेगल और गाम्बिया से लेकर पूर्व में इथियोपिया तक फ़ैला हुआ है.

इस बीमारी का सबसे घातक रूप बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस है, जो महज़ 24 घन्टों में किसी की जान ले सकता है. साथ ही, हर छह संक्रमित व्यक्तियों में से एक की मौत हो जाती है.

मेनिनजाइटिस से जुड़े मामलों के लिए WHO में टीम प्रमुख डॉ. मैरी-पिएर प्रीज़ियोसी ने कहा, "मेनिनजाइटिस से पीड़ित प्रत्येक परिवार को पता है कि यह बीमारी कितनी भयावह मुश्किलें पैदा कर सकती है."

लम्बी पीड़ा

WHO के मुताबिक़, बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस से पीड़ित लगभग 20 प्रतिशत लोग दीर्घकालिक जटिलताओं से ग्रस्त हो जाते हैं, जिसमें बेहद कष्टदायी, आजीवन प्रभाव वाली विकलांगताएँ शामिल हैं.

मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए WHO इकाई के प्रमुख डॉ. तरुण दुआ ने गुरूवार को जिनीवा में नए दिशानिर्देशों को पेश करते हुए पत्रकारों को बताया कि टीकाकरण प्रयासों पर अतिरिक्त ध्यान दिया जाना अहम है, ताकि मस्तिष्क के ठीक से काम न करने समेत अन्य गम्भीर समस्याओं से बचाव हो सके.

डॉ. दुआ के अनुसार, इस संक्रमण से सुनने की क्षमता में कमी आती है, जिससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो सकती है. लेकिन, अगर WHO के नए दिशानिर्देशों के अनुसार इसे जल्दी पहचान लिया जाए, तो उसका इलाज़ किया जा सकता है और बच्चों का स्कूल और समाज में बेहतर ढंग से समावेश किया जा सकता है.

यूएन विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूली बच्चों में तीन या चार संक्रमण मामलों के समूह का एंटीबायोटिक दवाओं से उपचार किया जा सकता है, मगर यह तभी सम्भव है जब टीकाकरण का स्तर ऊँचा हो.

आसान नहीं परीक्षण

इसके बावजूद, कई देशों में सिर्फ़ मेनिनजाइटिस ही नहीं, बल्कि कई बीमारियों के ख़िलाफ़ प्रतिरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, वैक्सीन सुरक्षा प्रदान करने के साधन नहीं हैं. इसके अलावा, उनके पास बीमारी का निदान करने के लिए आवश्यक उन्नत तकनीक का भी अभाव है.

अक्सर, इसकी जाँच के लिए रीढ़ की हड्डी में सुई लगाकर उससे निकले तरल पदार्थ का परीक्षण करना होता है.” ख़राब स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण कई निम्न आय वाले देशों में इन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

WHO के अनुसार, आपात हालात, संकट या युद्धों से प्रभावित देशों की संख्या बढ़ रही है, इसलिए लोगों को उतनी जल्दी उपचार नहीं मिल पाता है, जितनी जल्दी उन्हें मिलना चाहिए. नतीजतन, मेनिनजाइटिस को पनपने की जगह मिल जाती है. ये नए दिशानिर्देश, वर्ष 2030 तक मेनिनजाइटिस को ख़त्म करने के प्रयासों का हिस्सा हैं, जिसमें रोकथाम प्रयासों पर विशेष रूप से बल दिया गया है.

इसके तहत, साझेदार संगठनों के साथ मिलकर देशों को बीमारी से जुड़ा डेटा जुटाने, उसका विश्लेषण करने में समर्थन दिया जाएगा और उस पर नियंत्रण के लिए लागू की गई रणनीतियों पर भी नज़र रखी जा सकती है.


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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।