WHO के अंतर्गत ऐतिहासिक मसौदे पर सहमति |Global pandemic agreement Historic draft agreed under WHO

वैश्विक महामारी समझौता: WHO के अंतर्गत ऐतिहासिक मसौदे पर सहमति | 2025 की बड़ी स्वास्थ्य पहल

  • समझौते का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
  • WHO की भूमिका और डॉक्टर टैड्रॉस का बयान
  • 'एक स्वास्थ्य' दृष्टिकोण और प्रस्तावित प्रावधान
  • देशों की सम्प्रभुता और WHO की सीमाएं
  • कोविड-19 से मिली सीख और भविष्य की तैयारी

क्या अमेरिका इस समझौते का हिस्सा होगा?

WHO की अगुवाई में वैश्विक महामारी से निपटने के लिए ऐतिहासिक समझौते का मसौदा तैयार है, जिसे मई 2025 में विश्व स्वास्थ्य सभा में प्रस्तुत किया जाएगा । पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की खबर
Global pandemic agreement Historic draft agreed under WHO
Global pandemic agreement Historic draft agreed under WHO


महामारियों से निपटने के लिए वैश्विक समझौते के मसौदे पर सहमति

16 अप्रैल 2025 स्वास्थ्य

दुनिया को महामारियों का मुक़ाबला करने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से, देशों के बीच एक वैश्विक महामारी तैयारी समझौते के मसौदे को, बुधवार को जिनीवा मे अन्तिम रूप दिया गया है जिसे आगामी मई में, विश्व स्वास्थ्य सभा में पारित किए जाने के लिए प्रस्तुत किया जाएगा.

इस समौदे पर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के तत्वावधान में तीन वर्षों से अधिक समय से बातचीत जारी थी.

इस मसौदे में भविष्य के वैश्विक स्वास्थ्य ख़तरों का सामना करने के लिए, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग, समानता और सहनक्षमता को मज़बूत करने के लिए, एक रूपरेखा प्रस्तुत की गई है.

WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्ऱस ऐडहेनॉम घेब्रेयेसस ने कहा, "दुनिया के देशों ने आज जीनीवा में इतिहास रच दिया."

उन्होंने कहा, "देशों ने, महामारी समझौते पर आम सहमति बनाने में, न केवल दुनिया को सुरक्षित बनाने के लिए एक पीढ़ीगत समझौता किया, बल्कि देशों ने यह भी दिखाया है कि बहुपक्षवाद जीवित है और अच्छी तरह से काम कर रहा है.”

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि आज की विभाजित दुनिया में – देश अब भी साझा आधार खोजने और साझा ख़तरों के लिए साझा कार्रवाई निर्धारित करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं.

‘एक स्वास्थ्य’ तरीक़ा

इस मसौदे पर बातचीत दिसम्बर 2021 में शुरू हुई थी जब कोविड-19 महामारी अपने चरम पर थी. तब WHO के सदस्य देशों ने क़ानूनी रूप से एक बाध्यकारी अन्तरराष्ट्रीय मसौदे की तत्काल आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की थी और अन्तर-सरकारी वार्ता संस्था (INB) की स्थापना की थी.

इस प्रक्रिया में वार्ता के 13 औपचारिक दौर शामिल रहे, जिनमें से कई दौर तो सुबह तक चलीं, जो आख़िरकार, बुधवार को रात भर चले अन्तिम सत्र के बाद आम सहमति में तब्दील हुईं.

प्रस्तावित समझौते के प्रमुख तत्वों में, महामारी की रोकथाम के लिए “एक स्वास्थ्य” तरीक़े के प्रति प्रतिबद्धता, मज़बूत राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली, एक समन्वय वित्तीय तंत्र की स्थापना और स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए, वैश्विक रूप से समन्वित आपूर्ति श्रृंखला और रसद नैटवर्क बनाना शामिल है.

मसौदे में लाभ-साझा करने की प्रणाली, प्रौद्योगिकी और ज्ञान हस्तान्तरण के साथ-साथ, क्षमता निर्माण के लिए बढ़ा हुआ समर्थन भी प्रस्तावित है

साथ ही, एक कुशल, प्रशिक्षित और बहु-विषयक राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य आपातकालीन कार्यबल की रूपरेखा भी तैयार की गई है.

देशों की सम्प्रभुता बरक़रार

समझौते के मसौदे में, सार्वजनिक स्वास्थ्य निर्णयों में, देशों की राष्ट्रीय सम्प्रभुता की पुष्टि की गई है. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि समझौते में ऐसा कुछ भी नहीं है जो WHO को, तालाबन्दी, टीकाकरण अभियान या किसी देश की सीमा बन्द करने जैसे स्वास्थ्य उपायों को अनिवार्य बनाने का अधिकार देता हो.

अब यह मसौदा वैश्विक स्वास्थ्य के लिए संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च मंच - 78वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में विचार के लिए प्रस्तुत किया जाएगा, जिसकी आगामी बैठक 19 मई से शुरू होने वाली है.

यदि इस मसौदे को इस सभा में अपनाया जाता है, तो इसे अलग-अलग देशों से समर्थन की ज़रूरत होगी.

ख़बरों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका ने जनवरी में, वैश्विक स्वास्थ्य निकाय (INB) से हटने की घोषणा के बाद अन्तिम दौर की वार्ता में भाग नहीं लिया, इसलिए यह देश, इस समझौते से बाध्य नहीं होगा.

कोविड-19 से सीख, भविष्य पर नज़र

यह समझौता, कोविड-19 महामारी के बाद सामने आया है. ग़ौरतलब है कि उस महामारी ने वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों में महत्वपूर्ण कमज़ोरियों और निदान, उपचार और टीकों तक पहुँच में असमानताओं को उजागर किया है.

इस वायरस ने दुनिया भर में लगभग 70 लाख लोगों की जान ले ली, अर्थव्यवस्थाओं को बुरी तरह से बाधित किया और दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया.

साथ ही इस महामारी ने इतिहास में सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सम्भव बनाया, जिसके तहत अप्रैल 2023 तक वैश्विक स्तर पर वैक्सीन की 13.3 अरब से अधिक टीके लगाए गए.

डॉक्टर टैड्रॉस ने, भविष्य पर नज़र टिकाते हुए, इस समझौते के दीर्घकालिक महत्व पर जोर दिया. "इस समझौते का महत्व हमारी मौजूदा चुनौतियों से कहीं आगे है."

"यह समझौता भविष्य की पीढ़ियों के लिए - हमारे बच्चों और नाती-नातिनों के लिए महत्वपूर्ण है. हम महामारी से निपटने के लिए तैयारी और उसका मुक़ाबला करनेके लिए एक मज़बूत ढाँचा तैयार करके, यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन्हें एक सुरक्षित और स्वस्थ दुनिया विरासत में मिले."

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।