ग़ाज़ा में इसराइल की ‘बफ़र ज़ोन’ योजना पर UN की निन्दा | जबरन विस्थापन और युद्ध अपराध का आरोप | Israel's 'buffer zone' plan in Gaza

ग़ाज़ा में ‘बफ़र ज़ोन’ योजना और इसराइल की मंशा

  • UN मानवाधिकार कार्यालय ने जताई गम्भीर चिंता
  • जबरन विस्थापन: क्या यह मानवता के विरुद्ध अपराध है?
  • पत्रकारों पर हमले और मीडिया प्रतिबंध
  • ज़रूरी सहायता और दवाओं की भारी किल्लत
  • युद्ध के नियमों का उल्लंघन और नागरिकों की पीड़ा

संयुक्त राष्ट्र की पुनः अपील – खोली जाएँ सीमा चौकियाँ

UN ने इसराइल की ग़ाज़ा में 'बफ़र ज़ोन' योजना की निन्दा की है, इसे जबरन विस्थापन और मानवता के विरुद्ध अपराध बताया गया है। मदद की ज़रूरत गम्भीर है। पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह खबर....
UN condemns Israel's 'buffer zone' plan in Gaza | Allegations of forced displacement and war crimes
UN condemns Israel's 'buffer zone' plan in Gaza | Allegations of forced displacement and war crimes



ग़ाज़ा: 'बफ़र ज़ोन' बनाने की इसराइली योजना, मानवाधिकार कार्यालय ने की निन्दा

11 अप्रैल 2025 मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने शुक्रवार को आशंका जताई कि इसराइल की मंशा ग़ाज़ा में आम नागरिकों को स्थाई रूप से हटाने और वहाँ एक बड़े 'बफ़र ज़ोन' को आकार देने की है. यूएन कार्यालय ने ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली बमबारी और फ़लस्तीनी आबादी को जगह छोड़कर जाने के आदेशों के बीच इस योजना की निन्दा की है.

ग़ाज़ा पट्टी में दो महीने से लागू युद्धविराम, मार्च के मध्य में टूटने के बाद हिंसक टकराव फिर शुरू हो गया था. इसराइल ने 2 मार्च से अपनी सीमा चौकियाँ बन्द की हुई हैं.

मानवीय सहायता रोके जाने के कारण पिछले कई सप्ताह से 21 लाख से ज़्यादा ग़ाज़ावासियों के लिए भोजन, पीने का पानी और अन्य बुनियादी सेवाओं की आपूर्ति नहीं हो पाई है.

हाल के हफ्तों में इसराइल ने नागरिक प्रतिष्ठानों, रिहायशी इमारतों और अस्थाई शिविरों—पर हमले तेज़ किए हैं, जिनमें कई लोग हताहत हुए हैं या मलबे में दबे होने से लापता हैं.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, 18 मार्च से 9 अप्रैल के बीच इसराइली बलों ने आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए बनाए गए घरों और टैंट को 36 अलग-अलग हमलों में 224 बार निशाना बनाया.

जबरन विस्थापन

OHCHR की प्रवक्ता रवीना शमदसानी ने शुक्रवार को मीडियाकर्मियों पर बढ़ते हमलों पर भी चिन्ता जताई.

उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2023 में हमास द्वारा किए गए घातक हमलों के बाद भड़की लड़ाई में अब तक ग़ाज़ा में लगभग 209 पत्रकार मारे जा चुके हैं. इसराइल ने अन्तरराष्ट्रीय मीडिया के ग़ाज़ा पट्टी में प्रवेश पर भी रोक लगाई हुई है.

यूएन कार्यालय प्रवक्ता शमदसानी ने माना कि कुछ इलाक़ों से नागरिकों को अस्थाई रूप से बाहर निकाला जाना, कुछ विशेष हालात में वैध हो सकता है.

लेकिन जगह खाली करने के “आदेशों का जो स्वरूप और दायरा है, उससे यह गम्भीर चिन्ता उपजती है कि इसराइल की मंशा इन इलाक़ों से आम नागरिकों को स्थाई रूप से हटाना है ताकि एक तथाकथित बफ़र ज़ोन को बनाया जा सके.”

“क़ाबिज़ क्षेत्र में नागरिक आबादी को स्थाई रूप से विस्थापित करना जबरन हस्तांतरित किए जाने के समान है, जोकि चौथी जिनीवा कन्वेंशन का गम्भीर उल्लंघन है और मानवता के विरुद्ध एक अपराध है.”

युद्ध अपराध

उनके अनुसार, युद्धरत पक्षों को युद्ध के नियमों का पालन करना चाहिए — विशेष रूप से, लड़ाकों और आम नागरिकों के बीच भेद के सिद्धान्तों का, यानी निहत्थे आम नागरिकों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए. इसके साथ ही, आनुपातिकता और सतर्कता जैसे सिद्धान्तों का भी पालन ज़रूरी है.

प्रवक्ता शमदसानी ने कहा कि उन नागरिकों पर इरादतन हमले करना, जो लड़ाई में सीधे शामिल नहीं हैं, एक युद्ध अपराध है. यह फ़लस्तीनी नागरिकों की पहले से हताशा भरी स्थिति को और भी गम्भीर बनाता है.

OHCHR ने बार-बार चेतावनी दी है कि फ़लस्तीनियों को सामूहिक रूप से दंडित करने और आम नागरिकों को भूखा रखने को, युद्ध के एक तौर-तरीक़े के रूप में इस्तेमाल में लाना, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपराध है.

रवीना शमदसानी ने चिन्ता जताई कि इसराइल द्वारा ग़ाज़ा में फ़लस्तीनियों पर ऐसा जीवन थोपा जा रहा है जो उनके एक समुदाय के रूप में अस्तित्व के लिए ही ख़तरा बनता जा रहा है.

ज़रूरी सामान की क़िल्लत

ग़ाज़ा में दवाओं का भंडार तेज़ी से ख़त्म हो रहा है, खाद्य सामग्री की भी कमी महसूस की जा रही है, जबकि सीमा चौकियाँ बन्द है.

पश्चिमी तट और ग़ाज़ा के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रतिनिधि, डॉ. रिक पीपरकॉर्न के अनुसार, दुबई में लगभग साढ़े तीन करोड़ टन ज़रूरी सामान ग़ाज़ा में भेजे जाने के लिए तैयार है, लेकिन उसकी अनुमति नहीं मिल पा रही है.

डॉ. पीपरकॉर्न ने कहा कि जिन मरीज़ों को तुरन्त बेहतर उपचार की ज़रूरत है, उन्हें अन्य देशों में भेजे जाने की प्रक्रिया सुस्त हो गई है.

इसके साथ ही, अन्तरराष्ट्रीय आपात चिकित्सा टीमों की संख्या भी घट गई है, जिससे अस्पतालों को वह मदद नहीं मिल रही है, जिसकी उन्हें ज़रूरत है, क्योंकि मरीज़ों की संख्या बेहद अधिक है.



इसके मद्देनज़र, यूएन ने ग़ाज़ा में अति-महत्वपूर्ण सहायता सामग्री की आपूर्ति के लिए सीमा चौकियों को खोले जाने की अपील दोहराई है.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।