दक्षिण सूडान: हिंसा और अकाल से 77 लाख लोगों की जान खतरे में! UN की बड़ी चेतावनी | 7.7 million people are on the verge of starvation in South Sudan

दक्षिण सूडान में 77 लाख लोग भुखमरी के कगार पर – WFP की चेतावनी

हिंसा और विस्थापन ने बढ़ाया संकट, UN ने किया अंतरराष्ट्रीय मदद का आह्वान

  • 2018 के शांति समझौते के बाद फिर गृहयुद्ध की आशंका – क्यों फंसा है दक्षिण सूडान?
  • हैजा और भुखमरी का दोहरा संकट – अपर नाइल प्रांत में आपातकाल
  • महिलाओं पर संकट की सबसे भारी मार – यौन शोषण और तस्करी का बढ़ता खतरा
  • कटौतियों के कारण बंद हो सकते हैं UN के सुरक्षित केंद्र – लाखों जिंदगियों पर संकट
दक्षिण सूडान में हिंसक संघर्ष और भुखमरी (Violent conflict and famine in South Sudan) ने 77 लाख लोगों को खाद्य संकट में धकेल दिया है। WFP ने चेतावनी जारी करते हुए अंतरराष्ट्रीय सहायता की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर से जानिए कैसे महिलाएँ और बच्चे इस संकट की सबसे बड़ी शिकार बन रहे हैं। #दक्षिणसूडान #अकाल #UN #मानवीयसंकट
7.7 million people are on the verge of starvation in South Sudan


दक्षिण सूडान: हिंसक टकराव व भूख संकट से, लाखों लोगों के लिए नाज़ुक हालात

9 अप्रैल 2025 मानवीय सहायता

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने चेतावनी जारी की है कि दक्षिण सूडान में बढ़ते हिंसक टकराव के बीच, देश के पूर्वोत्तर हिस्से में 77 लाख से अधिक लोग गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं.

बताया गया है कि सूडान में हिंसा के कारण देश में वापसी करने वाले लोगों के लिए हालात ज़्यादा ख़राब हैं. विनाशकारी स्तर पर भूख से जूझ रहे लोगों की कुल संख्या में से क़रीब 50 फ़ीसदी इन्हीं में से हैं.

दक्षिण सूडान में पहले से ही समुदाय नाज़ुक हालात मे रह रहे हैं, और 11 लाख से अधिक विस्थापितों के वहाँ पहुँचने से मौजूदा संसाधनों पर भीषण दबाव है और राहत प्रयास प्रभावित हुए हैं. आगामी दिनों में यह संकट और गहराने की आशंका है.

इसके मद्देनज़र, यूएन खाद्य एजेंसी (WFP) ने दानदाताओं से अपना समर्थन बढ़ाने की अपील की है, ताकि मानवीय तबाही को टाला जा सके.

वर्षों की अस्थिरता


दक्षिण सूडान ने वर्ष 2011 में सूडान से स्वाधीनता हासिल की थी, मगर उसके बाद से ही यह टकराव और अस्थिरता से जूझता रहा है.

वर्ष 2013 में राष्ट्रपति सल्वा कीर के वफ़ादार सैन्य बलों और पूर्व उप राष्ट्रपति रिएक मचार के समर्थकों में गृहयुद्ध भड़क उठा था. कई वर्षों तक जातीय हिंसा, सामूहिक अत्याचार और मानवीय संकट जारी रहने के बाद 2018 में नाज़ुक हालात में एक शान्ति समझौते पर सहमति हुई.

मगर, परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच बढ़ती झड़पों और आम नागरिकों पर हमलों के बीच पिछले महीने के अन्त में, मुख्य विपक्षी नेता और प्रथम उप राष्ट्रपति रिएक मचार को नज़रबन्द किए जाने की ख़बरें थी, जिससे देश में फिर से गृहयुद्ध छिड़ने की आशंका है.

हिंसक टकराव, बीमारियाँ


मौजूदा संकट केवल स्थानीय आबादी को भरपेट भोजन न मिल पाने तक ही सीमित नहीं है. देश के अपर नाइल प्रान्त में हैज़ा संक्रमण का प्रकोप है. यूएन एजेंसी ने प्रभावित इलाक़ों के लिए हवाई मार्ग से 35 मीट्रिक टन राहत सामग्री रवाना की है.

यूएन की साझेदारी में विश्व भर में खाद्य सुरक्षा पर नज़र रखने वाले प्लैटफ़ॉर्म (Integrated Food Security Phase Classification (IPC) के अन्तर्गत, किसी देश या क्षेत्र में भूख सम्बन्धी स्थिति को पाँच वर्गों में विभाजित किया गया है.

इनमें चौथा चरण, आपात स्थिति और पाँचवा चरण, विनाशकारी या अकाल जैसे हालात हैं.

WFP का उद्देश्य प्रभावित क्षेत्र में साढ़े चार लाख से अधिक लोगों तक खाद्य सहायता मुहैया कराना है, मुख्यत: आपात व विनाशकारी स्तर पर खाद्य असुरक्षा से जूझ रही आबादी के लिए.

मगर, लड़ाई की वजह से सहायता प्रयासों में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है और छह इलाक़ों में लड़ाई व असुरक्षा की वजह से खाद्य वितरण भी बन्द किया गया है.

दोराहे पर महिलाएँ

हिंसक टकराव का दायरा बढ़ने और भूख संकट के गहरा होने का ख़ामियाज़ा स्थानीय महिलाओं व लड़कियों को भुगतना पड़ रहा है. असुरक्षित हालात की वजह से अनेक महिलाएँ अपनी जान बचाकर भागने के लिए मजबूर हुई हैं.

कठिन हालात में महिलाएँ यौनकर्मी बनने के लिए मजबूर हो रही हैं, और कामकाज, भोजन व जल की तलाश में उन पर तस्करी व यौन शोषण का शिकार बनने का जोखिम है.

इसके मद्देनज़र, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के लिए यूएन एजेंसी (UNFPA) ने ऐसे सुरक्षित केन्द्रों की व्यवस्था की है, जहाँ महिलाओं को न केवल आश्रय, बल्कि परामर्श सेवा, कौशल विकास प्रशिक्षण, और लिंग-आधारित हिंसा की रोकथाम पर अहम जानकारी मुहैया कराई जाती है.

मगर, वित्तीय समर्थन में कटौतियों की वजह से मई में कम से कम दो केन्द्रों को बन्द करने पर मजबूर होना पड़ सकता है, जिससे हज़ारों महिलाओं व लड़कियों के लिए यह समर्थन ख़त्म हो जाएगा.

UNFPA ने जीवनरक्षक सेवाओं को जारी रखने के लिए 88 लाख डॉलर की एक अपील जारी की है, मगर फ़िलहाल कोई ख़ास समर्थन नहीं मिल पाया है.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।