फैशन की दौड़ में धरती का दम घुट रहा! क्या करें? | UN की चेतावनी | International Day of Zero Waste in Hindi
फैशन की दौड़ में धरती का दम घुट रहा! क्या करें? | UN की चेतावनी | Zero Waste Day 2025
- फैशन = धरती का दुश्मन?
- UN की बड़ी चेतावनी!
- हर सेकंड 1 ट्रक कपड़े फेंके जाते हैं!
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International Day of Zero Waste in Hindi |
फ़ैशन की होड़ में, विश्व भर में कचरे के बढ़ते संकट पर चेतावनी
27 मार्च 2025 एसडीजीसंयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ‘अन्तरराष्ट्रीय शून्य कचरा दिवस’ के सिलसिले में यूएन महासभा में आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि टैक्सटाइल उद्योग, फ़ैशन व कपड़ों की अनियंत्रित खपत का पर्यावरण पर गम्भीर असर हो रहा है, जिसे रोकने के लिए तुरन्त क़दम उठाए जाने की ज़रूरत है.
महासचिव गुटेरेस ने समस्या की विकरालता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि हर एक सेकेंड में कचरे से लदे एक ट्रक के बराबर कपड़ों को या तो जला दिया जाता है या फिर कचरा निपटान स्थल (landfill) पर फेंक दिया जाता है.
यूएन महासचिव ने आगाह किया कि कपड़ों को तेज़ रफ़्तार से बनाया और फेंका जा रहा है, जोकि नएपन, तेज़ी और इस्तेमाल के बाद त्याग देने के व्यवासायिक मॉडल पर आधारित है. “यदि हमने अपनी कार्रवाई तेज़ नहीं की, तो पहनने-ओढ़ने की होड़ पृथ्वी की जान ले सकती है.”
इस वर्ष मनाए जा रहे अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर फ़ैशन व बुने हुए वस्त्रों पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि टैक्सटाइल उत्पादन में अक्सर हज़ारों रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है, जोकि आम लोगों व पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं.
साथ ही, भूमि व जल समेत अन्य संसाधनों का दोहन होता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्रों पर दबाव पनपता है, और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से जलवायु संकट को ईंधन मिलता है.
फ़ैशन उद्योग, प्रदूषण के लिए एक बड़ी वजह है और वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में इसका क़रीब आठ फ़ीसदी योगदान है.
एक बड़ा संकट
यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि फ़ैशन जगत में कचरा संकट, एक बड़ी वैश्विक समस्या की ओर इंगित करता है. उनके अनुसार, फ़ैशन एक विषैले हिमखंड का नुकीला हिस्सा भर है. “कचरा, हर सैक्टर में एक बड़ा मुद्दा है.
हर वर्ष, मानवता दो अरब टन कचरे का उत्पादन करती है.” यूएन प्रमुख ने चिन्ता जताई कि ज़हरीले तत्वों से भरा कचरा हमारी मिट्टी, जल और हवा में समा रहा है और हम तक पहुँच रहा है, जिसका सर्वाधिक ख़ामियाज़ा निर्धनों को भुगतना पड़ता है.
एक अरब से अधिक लोग झुग्गी-झोपड़ियों व अनौपचारिक बस्तियों में रहते हैं, जहाँ कचरा प्रबन्धन की कोई व्यवस्था नहीं है और बीमारियाँ फैलती रहती हैं.
“धनी जगत, ग्लोबल साउथ में कचरे की बाढ़ ला रहा है, पुराने कम्पयूटर्स से लेकर एकल-इस्तेमाल वाली प्लास्टिक तक.”
अनेक देशों के पास इस कचरे के निपटान के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है और कचरा बीनने वाले लोगों के लिए जोखिम भी.
खपत घटाने पर बल
यूएन प्रमुख ने इस वर्ष की थीम का उल्लेख करते हुए कहा कि कपड़ों को अक्सर चंद मर्तबा पहनने के बाद फेंक दिया जाता है और इसलिए उनकी खपत में कमी लानी होगी.
विशेषज्ञों का मानना है कि कपड़ों के इस्तेमाल की अवधि को दोगुना किए जाने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 44 प्रतिशत तक की कमी लाना सम्भव है.
इस क्रम में, फ़ैशन डिज़ाइनर द्वारा रीसाइकिल किए गए सामान के साथ प्रयोग करना अहम होगा. “उपभोक्ताओं द्वारा सततता (sustainability) की मांग की जा रही है. अनेक देशों में, फिर से बिक्री के लिए बाज़ारों की धूम है.”
यूएन प्रमुख ने हर व्यक्ति से कचरे के विरुद्ध लड़ाई में अपना योगदान देने का आग्रह किया और ध्यान दिलाया कि सततता व शून्य-कचरा को बढ़ावा देने वाली नीतियों व नियम व्यवस्था को अपनाना होगा.
महासचिव ने सचेत किया कि व्यवसायों को हरित दावे करने की लीपापोती से बचना होगा और कचरे में वास्तव में कमी लाने के लिए ठोस क़दम उठाने होंगे, जिसमें सप्लाई चेन में संसाधनों की दक्षता बढ़ाना एक अहम उपाय है.
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