अमेरिकी रोक से वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों पर खतरा, WHO प्रमुख ने जताई चिंता | Public health at risk due to US aid ban
अमेरिकी सहायता रोक से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर जोखिम : WHO प्रमुख का चेतावनी
- PEPFAR कार्यक्रम की वित्तीय सहायता में कमी, एचआईवी उपचार प्रभावित
- युगांडा में इबोला प्रकोप, WHO ने तात्कालिक सहायता जारी की
- डीआर काँगो में हिंसक संघर्ष, स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव
बच्चों के कैंसर उपचार के लिए WHO की नई पहल, बिना क़ीमत के दवाएँ प्रदान
नई दिल्ली, 13 फरवरी 2025. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO ) ने अमेरिकी सरकार द्वारा वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों के लिए सहायता धनराशि रोकने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। WHO प्रमुख, डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने चेतावनी दी है कि इस कदम से स्वास्थ्य कार्यक्रमों में गंभीर व्यवधान आ सकता है, विशेष रूप से एचआईवी उपचार और पोलियो उन्मूलन अभियानों पर। युगांडा में इबोला के प्रकोप और डीआर काँगो में संघर्षों से उत्पन्न स्वास्थ्य संकट के बावजूद, WHO ने अपनी आपातकालीन कार्रवाई जारी रखी है। इसके साथ ही, WHO ने बच्चों के कैंसर उपचार के लिए नई पहल शुरू की है, जिसमें दवाइयाँ बिना क़ीमत के उपलब्ध कराई जा रही हैं। पढें संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह खबर
सहायता धनराशि पर अमेरिकी रोक से, वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों पर जोखिम, WHO प्रमुख की चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया भर में अहम स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए सहायता धनराशि रोके जाने की अमेरिकी सरकार की घोषणा और उसके असर पर गहरी चिन्ता जताई है. यूएन एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने बुधवार को आगाह किया कि इस क़दम से विश्व भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों के लिए सीधा ख़तरा है.
WHO महानिदेशक ने बुधवार को पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए वित्तीय सहायता निलम्बित किए जाने से एचआईवी उपचार में व्यवधान आएगा, पोलियो उन्मूलन प्रयासों को झटका लगेगा और अफ़्रीका में एमपॉक्स बीमारी से निपटने के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं होंगे.
इनमें एड्स/एचआईवी के विरुद्ध लड़ाई में अमेरिकी योजना PEPFAR (President's Emergency Plan for AIDS Relief) एक अहम पहल है, जिसे क़रीब 20 वर्ष पहले स्थापित किया गया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प प्रशासन द्वारा इस कार्यक्रम के लिए वित्तीय समर्थन रोके जाने से 50 से अधिक देशों में एचआईवी के उपचार, परीक्षण व रोकथाम सेवाओं पर तुरन्त असर हुआ.
हालांकि, इसके बाद जीवनरक्षक सेवाओं के लिए छूट दिए जाने की बात कही गई है, मगर एचआईवी की रोकथाम के लिए कार्यक्रमों को इससे बाहर रखा गया है. क्लीनिक बन्द हैं और स्वास्थ्यकर्मियों को छुट्टियों पर जाने के लिए कहा गया है.
डॉक्टर टैड्रॉस ने अमेरिकी सरकार से सहायता धनराशि पर रोक लगाने के अपने निर्णय पर तब तक पुनर्विचार की अपील की है, जब तक अहम स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वैकल्पिक समाधान मुहैया नहीं हो जाते.
युगांडा में इबोला का प्रकोप
यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि युगांडा में इबोला के 9 संक्रमण मामलों की पुष्टि हुई है, जिनमे से एक मरीज़ की मौत हो गई है.
इसके मद्देनज़र, प्रभावित इलाक़ों में आपात टीम को तैनात किया गया है और निगरानी, उपचार व संक्रमण नियंत्रण उपायों को समर्थन दिया जा रहा है.
नए संक्रमण मामलों के सामने आने के कुछ ही दिन के भीतर, एक वैक्सीन का परीक्षण शुरू किया गया है, जबकि उपचार के लिए दवाओं के परीक्षण की अनुमति मांगी गई है.
यूएन स्वास्थ्य संगठन ने आपात हालात से निपटने के लिए स्थापित सहायता कोष से अतिरिक्त 20 लाख डॉलर की धनराशि आवंटित की है, ताकि इबोला पर क़ाबू पाने के प्रयासों को समर्थन दिया जा सके.
डीआर काँगो में हिंसक टकराव
डॉक्टर टैड्रॉस ने बताया कि काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में उपजे मानवीय संकट से स्वास्थ्य सेवाओं पर भीषण दबाव है. अब तक, देश के पूर्वी हिस्से में एम23 लड़ाकों और सरकारी सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई में 900 से अधिक लोगों की जान गई है और चार हज़ार से अधिक घायल हुए हैं.
उन्होंने कहा कि देश के नॉर्थ व साउथ कीवू प्रान्तों में बड़ी संख्या में लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है, मगर केवल एक-तिहाई आबादी को यह सेवा मिल पा रही है. एमपॉक्स व हैज़ा समेत अन्य संक्रामक बीमारियों के फैलने का जोखिम है.
ज़रूरी दवाओं व ईंधन की क़िल्लत है, जिससे इन हालात से निपटने के लिए यूएन एजेंसी की क्षमता पर असर हुआ है.
बच्चों के लिए कैंसर उपचार
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने बताया है कि बच्चों में कैंसर बीमारी के उपचार के लिए दवाएँ मुहैया कराने के इरादे से निम्न- व मध्य-आय वाले देशों के लिए एक पहल शुरू की गई है.
मंगलवार को मंगोलिया व उज़्बेकिस्तान में बच्चों में कैंसर बीमारी के उपचार के लिए बिना किसी क़ीमत के दवाएँ उपलब्ध कराए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. आगामी दिनों में चार अन्य देशों में दवाओं की खेप रवाना किए जाने की योजना है.
हर वर्ष, क़रीब चार लाख बच्चों के कैंसर बीमारी से पीड़ित होने के मामले सामने आते हैं, और इनमें से अधिकाँश निम्न-आय वाले देशों में रहते हैं. मगर इन देशों में या तो कैंसर बीमारी के उपचार के लिए दवाएँ उनकी पहुँच से बाहर हैं या फिर उपलब्ध नहीं हैं. इस वजह से, मृत्यु दर 70 फ़ीसदी तक पहुँच जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका में बच्चों की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अग्रणी केन्द्र सेंट जूड्स रिसर्च अस्पताल के साथ मिलकर यह पहल शुरू की गई है, ताकि उन 50 देशों में पहुँच बनाई जा सके जहाँ आवश्यकताएँ विशाल स्तर पर हैं.
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