वैश्विक चुनौतियों का समाधान : विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी क्यों ज़रूरी है? | International Day for Women and Girls in Science in Hindi
STEM में महिलाओं की भागीदारी अहम क्यों है?
- विज्ञान जगत में लैंगिक असमानता की क्या है सच्चाई
- AI और डिजिटल टेक्नोलॉजी में पुरुषों का दबदबा
- STEM करियर में महिलाओं के लिए चुनौतियाँ और समाधान
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का संदेश
- वैश्विक विकास के लिए महिला वैज्ञानिकों की भूमिका
- STEM में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम
विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में महिलाओं की भागीदारी क्यों ज़रूरी है?
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने ‘विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस’ (International Day for Women and Girls in Science in Hindi) पर कहा कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान महिलाओं के बिना संभव नहीं!
📌क्या विज्ञान जगत में अब भी महिलाओं को संघर्ष करना पड़ रहा है?
- 📌कैसे STEM में महिला वैज्ञानिकों की संख्या बढ़ाने के लिए हो रहे हैं वैश्विक प्रयास?
- 📌AI और डिजिटल टेक्नोलॉजी में महिलाओं की भागीदारी क्यों ज़रूरी है?
- क्या विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से दुनिया बेहतर होगी?
- ⚡क्या पुरुष प्रधान विज्ञान जगत में महिलाएँ अपनी जगह बना पाएंगी?
- ⚡आपका क्या कहना है? अपनी राय कमेंट में बताएं! ⬇️
संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर से International Day for Women and Girls in Science के बारे में जानिए
वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए, विज्ञान जगत में महिलाओं की भागेदारी बढ़ाना ज़रूरी
11 फरवरी 2025 महिलाएँ
महिलाओं को विज्ञान, टैक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग व गणित जैसे क्षेत्रों से जितना दूर रखा जाएगा, वैश्विक चुनौतियों से निपटने की हमारी क्षमता उतनी ही अधिक सीमित हो जाएगी. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार, 11 फ़रवरी, को ‘विज्ञान में महिलाओं व लड़कियों के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ पर जारी अपने सन्देश में यह बात कही है.
विज्ञान में महिलाओं व लड़कियों की अहमियत की ओर ध्यान आकर्षित करने और उनके योगदान के प्रति जागरूकता प्रसार के इरादे से, 11 फ़रवरी को अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है.
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि 10 वर्ष पहले जब पहली बार यह दिवस मनाया गया, तो एक बुनियादी सच्चाई को स्वीकार किया गया था: विज्ञान एवं टैक्नॉलॉजी के ज़रिये एक बेहतर दुनिया के निर्माण में महिलाओं की हिस्सेदारी अहम है.
उन्होंने कहा कि जब वह एक शिक्षक के तौर पर इंजीनियरिंग विषय को पढ़ाते थे, तो उन्होंने महिला वैज्ञानिकों की असाधारण प्रतिभा, सृजनात्मकता व दृढ़ता को प्रत्यक्ष रुप से अनुभव किया.
मगर, वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल एक-तिहाई ही है. उन्हें पर्याप्त स्तर पर वित्तीय साधन उपलब्ध नहीं हैं, प्रकाशन अवसरों का अभाव है और युनिवर्सिटी में नेतृत्व पदों पर उनकी मौजूदगी कम है.
“महिलाओं व लड़कियों को विज्ञान, टैक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, गणित (STEM) में अपने करियर बनाने के लिए ऊँची चोटी पर चढ़ना पड़ रहा है.”
उन्होंने कहा कि नई डिजिटल टैक्नॉलॉजी के विकास में मौजूदा परिस्थिति को देखा जा सकता है. कृत्रिम बुद्धमिता समेत इस क्षेत्र में हर स्तर पर पुरुषों का दबदबा है. पूर्वाग्रह से ग्रस्त ऐल्गोरिथम और टैक्नॉलॉजी में जुड़ी असमानताओं के कारण डिजिटल जगत में महिलाओं के प्रति पुरुष वर्चस्ववादिता को हवा मिलने का जोखिम है.
यूएन प्रमुख के अनुसार, महिलाओं को जितना STEM क्षेत्र से बाहर रखा जाएगा, उतना ही तात्कालिक वैश्विक चुनौतियों से निपटने की हमारी सामूहिक शक्ति सीमित होगी. जलवायु परिवर्तन से लेकर खाद्य सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और टैक्नॉलॉजी क्षेत्र में रूपान्तरकारी बदलावों तक.
समान अवसरों पर बल
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सभी को समान अवसर मुहैया कराने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है. इसके लिए स्कॉलरशिप अवसरों में विस्तार करना, STEM में महिलाओं व लड़कियों के लिए इंटर्नशिप अवसरों के लिए दरवाज़े खोलना, और महिलाओं को आकर्षित करने वाले कार्यस्थल तैयार करना अहम होगा.
साथ ही, शुरुआत से ही लड़कियों को STEM क्षेत्र में पढ़ाई-लिखाई के लिए प्रोत्साहित करना होगा. मीडिया के ज़रिये विज्ञान जगत में महिला नेताओं को बढ़ावा देना और लैंगिक रुढ़ीवादिताओं को तोड़ना भी ज़रूरी है.
पिछले वर्ष सितम्बर महीने में, सदस्य देशों ने भविष्य के लिए एक सहमति पत्र पर मुहर लगाई थी, जिसमें वैज्ञानिक क्षेत्रों में महिलाओं व लड़कियों की पूर्ण रूप से, समान भागीदारी सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया गया है.
उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय दिवस की 10वीं वर्षगाँठ पर, महिलाओं व लड़कियों को STEM क्षेत्र में करियर बनाने का रास्ता तैयार करने में मदद देनी होगी. वे इसकी हक़दार हैं और दुनिया को उनकी ज़रूरत है.
Women make up only 35% of STEM graduates worldwide.@UNESCO encourages more women and girls to get involved in science education.
— UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳 (@UNESCO) February 11, 2025
On #WomenInScience Day, let's amplify their voices!https://t.co/17n0KW3RMk pic.twitter.com/1bH2f8aaH0
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