ग़ाज़ा संकट: ढहती स्वास्थ्य सेवाओं और सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में उठे सवाल | Healthcare crisis in Gaza

ग़ाज़ा में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट: मानवाधिकारों पर मंडराता खतरा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में ग़ाज़ा संकट पर मंथन

  • अस्पताल बने रणभूमि: ग़ाज़ा में स्वास्थ्य केंद्रों पर बढ़ते हमले
  • फलस्तीनी मरीज़ों का संघर्ष: इलाज के लिए वर्षों की प्रतीक्षा
ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और मानवाधिकार उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपात बैठक बुलाई। अस्पतालों पर हमले और फलस्तीनी मरीज़ों के अधिकारों पर गंभीर चिंताएं जताई गईं। इस संबंध में ग़ाज़ा में अस्पतालों पर हमले और ग़ाज़ा में मानवाधिकार उल्लंघन के बीच फलस्तीनी मरीज़ों का संघर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र समाचार की खबर....
Gaza is facing a serious health crisis, hospitals have become battlefields
Gaza is facing a serious health crisis, hospitals have become battlefields


ग़ाज़ा : ढहती स्वास्थ्य सेवाओं से उपजी चिन्ताओं के बीच, सुरक्षा परिषद की आपात बैठक

3 जनवरी 2025 शान्ति और सुरक्षा

ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध के कारण दरकती स्वास्थ्य सेवाओं और आम फ़लस्तीनियों के लिए उपचार व देखभाल की बदहाल व्यवस्था पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की शुक्रवार को एक आपात बैठक हुई है, जिसे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रतिनिधि ने परिषद के सदस्य देशों को वहाँ मौजूदा हालात से अवगत कराया है. 2025 में सुरक्षा परिषद की यह पहली बैठक है, जिसे जनवरी महीने के लिए अध्यक्ष देश अल्जीरिया द्वारा बुलाया गया.

मानवाधिकार मामलों के लिए उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने सदस्य देशों को वीडियो लिन्क के ज़रिये सम्बोधित किया. उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में दुनिया की आँखों के सामने मानवाधिकारों के लिए विनाशकारी स्थिति बरक़रार है.

उनके कार्यालय ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में अस्पतालों पर किए जा रहे हमलों के तौर-तरीक़े अपनाए जाने, और मरीज़ों, स्वास्थ्यकर्मियों व अन्य आम नागरिकों को जान से मारे जाने पर जानकारी जुटाई थी.

उच्चायुक्त टर्क ने बताया कि ये हमले इसराइली हवाई हमलों के साथ शुरू हुए, जिसके बाद ज़मीनी धावे बोले गए है, कुछ मरीज़ों व कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया गया, और उन्हें वहाँ से जबरन बाहर निकाला गया. इसके बाद से अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएँ ठप हैं.

इस बीच, हमास और अन्य हथियारबन्द गुट इसराइल पर छिटपुट, अंधाधुंध हमले कर रहे हैं, और स्वास्थ्य केन्द्रों समेत अन्य नागरिक प्रतिष्ठान भी इनकी चपेट में आ रहे हैं. यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने इस पूर्ण रूप से अस्वीकार्य बताया है.

“युद्ध के दौरान अस्पतालों की रक्षा की जानी सबसे अहम है और इसका सदैव, हर पक्ष द्वारा सम्मान किया जाना होगा.”

उन्होंने क्षोभ व्यक्त किया कि ग़ाज़ा में अस्पताधों की बर्बादी, फ़लस्तीनियों को उनके स्वास्थ्य देखभाल के अधिकार से वंचित रखने से आगे बढ़कर है. ये स्वास्थ्य केन्द्र उन लोगों के लिए एक शरण स्थल भी हैं, जिनके पास भागने के लिए कोई अन्य जगह नहीं है.

वोल्कर टर्क के अनुसार, पिछले शुक्रवार को कमाल अदवान अस्पताल का विध्वंस इसी रुझान को दर्शाता है. ये उत्तरी ग़ाज़ा का इक़लौता ऐसा बड़ा अस्पताल था जहाँ स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराई जा रही थीं.

“कुछ कर्मचारियों और मरीज़ों को अस्पताल से जबरन बाहर निकाला गया, जबकि महानिदेशक समेत अन्य को हिरासत में ले लिया गया. यातना व बुरे बर्ताव की भी अनेक रिपोर्ट मिली हैं.”

OHCHR प्रमुख ने कहा कि ग़ाज़ा में अस्पतालों के इर्दगिर्द इलाक़ों में इसराइली सैन्य कार्रवाई का भयावह असर हुआ है, जबकि इस समय देखभाल सेवाओं की विशाल ज़रूरत है.

“कुछ फ़लस्तीनी आबादी के लिए यह अपने साथ विशेष रूप से तबाही लाया है. पिछले कुछ दिनों में शरीर के तापमान में अत्यधिक गिरावट से छह नवजात शिशुओं की जान जा चुकी है.”

‘अस्पताल बन गए हैं रणभूमि’

ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉक्टर रिक पीपरकोर्न ने भी सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों को ग़ाज़ा में संकट पर जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा इस समय गम्भीर स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है, जहाँ अक्टूबर 2023 के बाद से अब तक क़रीब सात फ़ीसदी आबादी युद्ध में हताहत हो चुकी है. “2025 की शुरुआत एक गम्भीर और बेहद चिन्ताजनक स्थिति में हुई है, जबकि हिंसा गहन रूप धारण कर रही है.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि अब तक हिंसा में घायल हुए एक लाख से अधिक फ़लस्तीनियों में से क़रीब 25 फ़ीसदी पीड़ित, जीवन को बदल कर रख देने वाली अवस्था का सामना कर रहे हैं.

डॉक्टर पीपरकोर्न ने चेतावनी दी है कि बेहतर इलाज के लिए मरीज़ों को अन्य अस्पतालों, देशों में भेजे जाने के प्रयास बेहद सुस्त रफ़्तार से हो रहे हैं. 12 हज़ार से अधिक लोग विदेश में बेहतर उपचार की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

“मौजूदा दर पर, गम्भीर रूप से बीमार सभी मरीज़ों को यहाँ से बाहर ले जाने में क़रीब 5 से 10 वर्ष तक का समय लग सकता है.”

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने स्वास्थ्य केन्द्रों पर 654 हमलों की पुष्टि की है, जिनमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई है, बडी संख्या में लोग घायल हुए हैं. “मगर, इन विपरीत परिस्थितियों में भी स्वास्थ्यकर्मियों, WHO और साझेदार संगठनों ने जितना सम्भव हो सके, इन सेवाओं को जारी रखा है.”

यूएन एजेंसी के प्रतिनिधि ने ग़ाज़ा के लिए सहायता का स्तर बढ़ाने, उपचार के लिए मरीज़ों को अन्य देशों के लिए रवाना किए जाने में तेज़ी लाने, अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून का अनुपालन करने और युद्धविराम लागू किए जाने का आग्रह किया है.

Web Title: Gaza is facing a serious health crisis, hospitals have become battlefields

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।