म्याँमार संकट: हवाई हमलों और रोहिंग्या प्रवास की भयावह स्थिति पर पूरी रिपोर्ट | Full report on the horrific situation of Rohingya migration

म्याँमार में हवाई हमलों का बढ़ता ख़तरा

रोहिंग्या समुदाय की जानलेवा यात्राएँ और उनकी दुर्दशा

  • संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी और मानवीय सहायता की अपील
  • अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका और ज़रूरतें
म्याँमार में जारी संकट के चलते हवाई हमलों में नागरिक हताहत हो रहे हैं। रोहिंग्या अल्पसंख्यक समुद्री यात्रा कर जान बचाने का जोखिम उठा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने मानवीय सहायता के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अपील की है। पढ़ें संयुक्त राष्ट्र समाचार की पूरी रिपोर्ट।
Myanmar crisis: Full report on air strikes and the dire situation of Rohingya migration
Myanmar crisis: Full report on air strikes and the dire situation of Rohingya migration


म्याँमार संकट: हवाई हमलों में लोग हताहत, रोहिंग्या लोगों की जानलेवा यात्राएँ

संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता मामलों की समन्वय एजेंसी (OCHA) ने बुधवार को बताया कि म्याँमार में सुरक्षा स्थिति अत्यधिक गम्भीर बनी हुई है, अनेक क्षेत्रों में हवाई हमलों में तेज़ी देखी गई है, जिसके कारण अनेक लोग हताहत हुए हैं.

15 से 17 जनवरी के बीच, दक्षिण-पूर्वी इलाक़े में हवाई हमलों और झड़पों में नौ लोगों की मौत होने और 31 अन्य लोगों के घायल होने की ख़बरें हैं.

राख़ीन प्रान्त में, 18 जनवरी को मरौक-यू बस्ती में, तीन हवाई हमले हुए जिनमें 28 लोगों के मारे जाने और 25 अन्य लोगों के घायल होने की ख़बरे हैं. इनके अलावा, पश्चिमोत्तर इलाक़े में, पिछले सप्ताह हवाई हमलों में कथित तौर पर 19 नागरिकों की जान चली गई और लगभग 41 अन्य घायल हो गए.

OCHA ने आम लोगों की सुरक्षा के बारे में गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है और हिंसा जारी रहने के माहौल में व आवश्यक सेवाओं तक सीमित पहुँच के बीच, युद्ध-प्रभावित समुदायों के सामने दरपेश बढ़ते जोखिमों की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया है.

यूएन सहायता समन्वय एजेंसी युद्ध में शामिल सभी पक्षों से, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का पालन करने और आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आहवान दोहराया है.

इस दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को सेना द्वारा फ़रवरी 2021 में, सत्ता से बेदख़ल कर दिए जाने के बाद, सुरक्षा स्थिति लगातार अस्थिर बनी हुई है. उस समय सेना ने देश की प्रमुख राजनैतिक और सरकारी हस्तियों को गिरफ़्तार भी कर लिया था.

तत्मादाव नाम से भी मशहूर सेना के सत्ता अधिग्रहण के बाद से कम से कम 6 हज़ार लोग मारे गए हैं, और अनगिनत लोग घायल हुए हैं. इनमें बहुत से लोग बारूदी सुरंगों और बिना फटे विस्फटोकों (UXO) की चपेट में आने से अपंग हुए हैं.

सुरक्षा की ख़ातिर जानलेवा यात्राएँ

इस संकट ने बहुत कमज़ोर हालात में रहने वाली आबादी को असमान रूप से प्रभावित किया है, और प्रभावितों में अधिकतर मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यक लोग शामिल हैं. सैकड़ों लोग उत्पीड़न और हिंसा से बचने के लिए समुद्र में ख़तरनाक यात्राएँ करने का जोखिम उठा रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी - UNHCR के अनुसार, लगभग 460 रोहिंग्या लोग, कई सप्ताहों तक समुद्री यात्राओं में रहने के बाद 3 से 5 जनवरी के बीच, मलेशिया और इंडोनेशिया पहुँचे.

इस यात्रा के दौरान कम से कम दस लोगों की मौत होने की ख़बरें हैं. केवल तीन सप्ताह पहले ही, 115 अन्य शरणार्थी श्रीलंका पहुँचे थे. इन यात्राओं में कम से कम छह लोगों की समुद्र में ही मौत हो गई थी.

एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के लिए UNHCR क्षेत्रीय ब्यूरो की निदेशक हाई क्यूंग जून ने कहा, "जीवन बचाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए."

उन्होंने कमज़ोर परिस्थितियों वाले शरणार्थियों को स्वीकार करने और उनका समर्थन करने वाले देशों की सराहना भी की.

चिन्ताजनक चलन

UNHCR ने यह भी चेतावनी दी कि म्याँमार में स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, इसलिए आने वाले महीनों में और अधिक लोगों के पलायन का अनुमान है.

वर्ष 2024 में, 7 हज़ार 800 से अधिक रोहिंग्या लोगों ने नावों के ज़रिए, म्याँमार से बाहर निकलने का प्रयास किया, जो उससे पिछले वर्ष 2023 की की तुलना में, 80 प्रतिशत की वृद्धि है.

इस तरह की जानलेवा यात्राएँ करने वालों में, 2024 में बच्चों की संख्या 44 प्रतिशत थी, और 2023 में 37 प्रतिशत थी.

UNHCR ने देशों से, समुद्र में सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने पर ध्यान केन्द्रित करने, मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने और अपने तटों पर आने वाले शरणार्थियों और शरण चाहने वालों के ख़िलाफ़ झूठी कहानियों व नफ़रत भरे भाषणों से निपटे जाने का आग्रह किया.

हाई क्यूंग जून ने कहा, "हम सभी देशों से खोज और बचाव प्रयासों को जारी रखने और यह सुनिश्चित करने का आहवान करते हैं कि जीवित बचे लोगों को उनकी ज़रूरत के अनुसार सहायता और सुरक्षा मिले."

धन की भारी कमी

म्याँमार का संकट मानवीय कार्यों के लिए उपलब्ध अपर्याप्त धन के कारण और भी गम्भीर हो गया है, जिससे लाखों लोग, महत्वपूर्ण सहायता से वंचित रह गए हैं.

मानवीय सहायता कार्यकर्ताओं का अनुमान है कि इस वर्ष लगभग 2 करोड़ लोगों यानि, कुल आबादी के एक तिहाई से अधिक हिस्से को सहायता की आवश्यकता होगी. इनमें 63 लाख मिलियन बच्चे और 71 लाख महिलाएँ शामिल हैं.

तत्काल आवश्यकता के बावजूद, मानवीय सहायता कार्रवाई के लिए अब भी धन की भारी कमी है.

2024 में, एक अरब डॉलर की धनराशि की ज़रूरत थी मगर उसका केवल 34 प्रतिशत हिस्सा ही प्राप्त हुआ, जिससे अनुमानित 14 लाख लोग कोई सहायता प्राप्त किए बिना ही रह गए.

वर्ष 2025 के लिए, मानवीय सहायताकर्मियों ने सबसे कमज़ोर हालात वाले 55 लाख लोगों को जीवन रक्षक सहायता प्रदान करने के लिए एक अरब 10 करोड़ डॉलर की राशि जुटाने की अपील जारी की है.

म्याँमार के लिए संयुक्त राष्ट्र के अन्तरिम रैज़िडेंट और मानवीय समन्वयक मार्कोलुइगी कोर्सी का कहना है, "म्याँमार के लोग 2025 में पर्याप्त धन की कमी की पुनरावृत्ति बर्दाश्त नहीं कर सकते, उनकी सहायता के लिए अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ़ से निर्णायक कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है, जिसमें अधिक संसाधन शामिल, और उन्हें इसकी तत्काल आवश्यकता है."

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।