शहर, जलवायु परिवर्तन और डॉ. अंजल प्रकाश का दृष्टिकोण: एशियाई शहरों की चुनौतियां और समाधान | Cities and climate change

शहर और जलवायु परिवर्तन: डॉ. अंजल प्रकाश का नजरिया

नेपाल: काठमांडू और हिमालय के पिघलते ग्लेशियर

  • भारत: महानगरों की जलवायु परिवर्तन से जंग
  • पाकिस्तान: कराची में जल संकट और बाढ़ की चुनौती
  • बांग्लादेश: ढाका के संघर्ष और समाधान की राह
  • चीन: बीजिंग और शंघाई में वायु प्रदूषण की कहानी
  • समावेशी प्रयासों से जलवायु संकट का समाधान
  • उम्मीद और समाधान: डॉ. अंजल प्रकाश का संदेश
शहर केवल ईंट-पत्थर की इमारतें नहीं हैं, बल्कि सपनों का केंद्र हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन के साए में एशियाई शहरों की चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं। डॉ. अंजल प्रकाश ने काठमांडू, मुंबई, कराची, ढाका और शंघाई जैसे शहरों के सामने मौजूद समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा की। जानें कैसे जलवायु परिवर्तन इन शहरों को प्रभावित कर रहा है और बेहतर शहरी नियोजन व सामुदायिक प्रयासों से इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।
Dr. Anjal Prakash, Research Director and Adjunct Professor, Bharti Institute of Public Policy, ISB
Dr. Anjal Prakash, Research Director and Adjunct Professor, Bharti Institute of Public Policy, ISB



नई दिल्ली, 28 जनवरी 2025. “आपने कभी सोचा है, शहर सिर्फ ईंट-पत्थर की इमारतों और भीड़-भाड़ वाले बाजारों का नाम नहीं हैं। ये ज़िंदगियों के सपनों का कैनवास हैं। लेकिन ये सपने, जिनमें हम और आप जीते हैं, आज जलवायु परिवर्तन के साये में हैं। और एशिया के शहर तो इस बदलाव के केंद्र में खड़े हैं।” यह कहना है डॉ. अंजल प्रकाश का।

डॉ. अंजल प्रकाश की बातों में एक सहज गंभीरता होती है। वो ऐसा बोलते हैं कि लगता है जैसे कोई करीबी दोस्त हमें हमारी दुनिया के बदलते मौसम के किस्से सुना रहा हो। एक बातचीत में उन्होंने कहा, “देखिए, नेपाल का काठमांडू हो या भारत का मुंबई, बांग्लादेश का ढाका हो या चीन का शंघाई—हर शहर इस लड़ाई का हिस्सा है। फर्क बस इतना है कि सबकी चुनौतियां अलग-अलग हैं, लेकिन उनका दर्द एक जैसा है।”

डॉ. अंजल प्रकाश भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी), हैदराबाद, भारत में अनुसंधान निदेशक और सहायक एसोसिएट प्रोफेसर हैं। आईएसबी में शामिल होने से पहले, डॉ. प्रकाश ने टेरी- स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, नई दिल्ली, भारत में क्षेत्रीय जल अध्ययन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम किया।

नेपाल : हिमालय से पिघलती उम्मीदें


“काठमांडू को देखिए,” अंजल ने कहा, “यहां मौसम का मिज़ाज लगातार बिगड़ रहा है। ऊपर से हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं। आपको पता है, ये सिर्फ बाढ़ और सूखे की समस्या नहीं है, यह उन किसानों के लिए जीवन-मरण का सवाल है जो इन नदियों के पानी पर पूरी तरह निर्भर हैं। और शहर के लोग? उनके लिए ये पिघलते ग्लेशियर सिर्फ खबरें नहीं, उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुके हैं। पानी की किल्लत, अनियमित मौसम, और बाढ़ जैसे संकट उनके दरवाजे पर खड़े हैं। लेकिन उम्मीद की बात ये है कि नेपाल के लोग अब स्थायी जल प्रबंधन और हरित शहरीकरण जैसे उपायों पर ध्यान दे रहे हैं। बदलाव भले धीमा हो, लेकिन हो रहा है।”

भारत : महानगरों की लड़ाई

डॉ. अंजल ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “अब भारत के महानगरों की बात करें तो यह जलवायु परिवर्तन का एकदम सामने से सामना कर रहे हैं। मुंबई, दिल्ली, कोलकाता जैसे शहर—यहां की समस्याएं सिर्फ खबरों में सुर्खियां नहीं, यहां की असलियत हैं। अत्यधिक गर्मी, ऊष्णकटिबंधीय तूफान और बढ़ते जलस्तर ने न सिर्फ शहर के ढांचे को बल्कि वहां के लोगों की सेहत और आजीविका को भी झकझोर दिया है। पर अच्छी बात ये है कि भारत में ग्रीन बिल्डिंग्स बन रही हैं, अक्षय ऊर्जा का उपयोग बढ़ रहा है, और सार्वजनिक परिवहन को सुधारने की कोशिश हो रही है। ये छोटे-छोटे कदम आने वाले बड़े बदलावों की नींव रख रहे हैं।”

पाकिस्तान : कराची और जल संकट

“अब ज़रा पाकिस्तान के कराची को देखिए,” उन्होंने गंभीर होते हुए कहा। “यहां का तापमान बढ़ रहा है, मानसून अनियमित हो गया है, और पानी की कमी ने लोगों की ज़िंदगी को बेहद मुश्किल बना दिया है। कराची के बुनियादी ढांचे को बार-बार आने वाली बाढ़ ने कमजोर कर दिया है। लेकिन वहां भी लोग हरित वास्तुकला और बेहतर जल प्रबंधन की तरफ ध्यान दे रहे हैं। यह देखकर खुशी होती है कि लोग हार मानने के बजाय समाधान खोजने में जुटे हैं।”

बांग्लादेश : ढाका का संघर्ष

डॉ. अंजल ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “और ढाका? यहां की कहानियां सबसे ज्यादा दर्दनाक हैं। समुद्र का बढ़ता जलस्तर और बार-बार आने वाली बाढ़ ने यहां की ज़िंदगी को जैसे हिलाकर रख दिया है। लोग अपने घर खो रहे हैं, भोजन की कमी हो रही है, और स्वास्थ्य संकट बढ़ रहा है। लेकिन बांग्लादेश में सरकार और एनजीओ मिलकर बाढ़-प्रतिरोधी घर बना रहे हैं और सतत शहरी विकास की योजना पर काम कर रहे हैं। ये छोटे-छोटे प्रयास यहां के लोगों को जीने की एक नई उम्मीद दे रहे हैं।”

चीन : बीजिंग और शंघाई की कहानी

“चीन की कहानी थोड़ी अलग है,” उन्होंने समझाया। “यहां समस्या वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की है। बीजिंग और शंघाई जैसे शहर तेजी से औद्योगिक विकास के चलते पर्यावरणीय संकट झेल रहे हैं। लेकिन चीन सरकार ने बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन घटाने और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। उनके शहरों में हरियाली बढ़ रही है और यह बाकी देशों के लिए एक प्रेरणा है।”

समावेशी प्रयासों की ज़रूरत

बात खत्म करते हुए डॉ. अंजल बोले, “देखिए, जलवायु परिवर्तन का सामना कोई अकेला देश या शहर नहीं कर सकता। यह सबकी साझी समस्या है, और समाधान भी साझे होंगे। हमें तकनीकी नवाचारों को अपनाना होगा, लोगों को जागरूक करना होगा और एक-दूसरे का सहयोग करना होगा। बेहतर शहरी नियोजन और समुदाय का सशक्तिकरण ही इस संकट का स्थायी समाधान है।”

डॉ. अंजल प्रकाश की बातों में न सिर्फ तथ्यों की गहराई है, बल्कि एक उम्मीद भी है। उनका मानना है कि अगर हम समय रहते सही कदम उठाएं, तो हमारे शहर जलवायु परिवर्तन की इस लड़ाई में विजयी हो सकते हैं। उनके शब्दों में, “शहर सपनों का केंद्र हैं, और अगर हम इन्हें जलवायु संकट से बचा सके, तो यही सपने हमारी अगली पीढ़ियों को एक बेहतर भविष्य देंगे।”

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।