लिवर की बीमारी कर सकती है आपकी नींद को प्रभावित : अध्ययन | Liver disease can affect your sleep
लिवर की बीमारी और खराब नींद के बीच संबंध पर शोध
अध्ययन में खुलासा, एमएएसएलडी से पीड़ित मरीजों में नींद की समस्याएं बढ़ी
स्विट्जरलैंड के बेसल विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन में यह पाया गया कि मेटाबोलिक डिसफंक्शन-संबंधित स्टीटोटिक लिवर बीमारी (एमएएसएलडी Metabolic dysfunction-associated steatotic liver disease (MASLD)) से पीड़ित लोग स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में ज्यादा बार जागते हैं और नींद में गड़बड़ी का अनुभव करते हैं। इस अध्ययन के अनुसार, एमएएसएलडी से प्रभावित 32% मरीजों को मानसिक तनाव के कारण नींद में दिक्कतें आती हैं। यह अध्ययन लिवर और नींद के बीच के संबंध (The relationship between liver and sleep) को और भी स्पष्ट करता है, जो भविष्य में उपचार के दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है।
The relationship between liver and sleep |
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विस्तार :
स्विट्जरलैंड के बेसल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नया अध्ययन प्रकाशित किया है, जिसमें मेटाबोलिक डिसफंक्शन-संबंधित स्टीटोटिक लिवर बीमारी (एमएएसएलडी) और नींद में गड़बड़ी के बीच एक संभावित संबंध स्थापित किया गया है।
एमएएसएलडी क्या है ?
मेटाबोलिक डिसफंक्शन-संबंधी स्टेटोटिक यकृत रोग (एमएएसएलडी) एक दीर्घकालिक यकृत रोग है, जो यकृत में वसा के जमाव के कारण होता है।
इसे पहले नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (Non-alcoholic fatty liver disease) के नाम से जाना जाता था, लिवर की सबसे सामान्य बीमारी है और यह 30 प्रतिशत वयस्कों और 7 से 14 प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करती है। 100 में से 30 व्यक्ति या 100 मिलियन से अधिक अमेरिकी वयस्क MASLD से पीड़ित हैं।
यह नया अध्ययन इस बात को सिद्ध करता है कि एमएएसएलडी से पीड़ित लोगों के सोने-जागने के पैटर्न स्वस्थ व्यक्तियों से अलग होते हैं।
शोध के अनुसार, एमएएसएलडी के मरीज रात में 55 प्रतिशत ज्यादा बार जागते हैं और सोने के बाद 113 प्रतिशत ज्यादा समय तक जागते रहते हैं। इसके अलावा, इन मरीजों को दिन में अधिक समय तक और अधिक बार सोने की आवश्यकता होती है।
टीम ने 46 वयस्कों को अध्ययन में शामिल किया, जिन्हें एमएएसएलडी या एमएएसएच के साथ सिरोसिस था। इस अध्ययन में इनका मुकाबला 8 मरीजों से किया गया जिन्हें एमएएसएच से संबंधित लिवर सिरोसिस नहीं था और 16 स्वस्थ वॉलंटियरों से भी तुलना की गई।
शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद की गुणवत्ता और पैटर्न एमएएसएच, एमएएसएच के साथ सिरोसिस, और गैर-एमएएसएच सिरोसिस वाले मरीजों में समान रूप से प्रभावित थे।
अध्ययन में यह भी सामने आया कि एमएएसएलडी से पीड़ित 32 प्रतिशत मरीजों को मानसिक तनाव के कारण नींद में गड़बड़ी का अनुभव हुआ, जबकि स्वस्थ व्यक्तियों में यह आंकड़ा केवल 6 प्रतिशत था।
शोधकर्ताओं का मानना है कि नींद का टूटना एमएएसएलडी के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
डॉ. सोफिया शेफर (Dr. Sophia Schaefer, postdoctoral researcher at the University of Basel) ने कहा, "हमारे परिणामों से यह स्पष्ट होता है कि नींद में गड़बड़ी मानव एमएएसएलडी के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।" इस अध्ययन "Ribociclib-induced liver injury: a case report" के परिणाम लिवर की बीमारियों और नींद के पैटर्न को समझने में मददगार साबित हो सकते हैं और भविष्य में उपचार के लिए नई दिशाओं को खोल सकते हैं। अध्ययन कहता है यह मामला राइबोसिक्लिब द्वारा प्रेरित एक गंभीर इडियोसिंक्रेटिक हेपेटोसेलुलर पैटर्न DILI ग्रेड 3 (इंटरनेशनल DILI एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप) के विकास को दर्शाता है। उपचार के दौरान नियमित लिवर एंजाइम परीक्षण, लिवर एंजाइम के बढ़ने की स्थिति में तत्काल हेपेटोलॉजिक वर्क-अप और उपचार को रोकना अत्यधिक अनुशंसित है। गंभीर नेक्रोइन्फ्लेमेशन के मामलों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड उपचार (Corticosteroid treatment in cases of severe necroinflammation) पर विचार किया जाना चाहिए।
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