जानिए मस्तिष्क में असामान्य थक्के कैसे बनते हैं और इससे कैसे बच सकते हैं मस्तिष्क स्ट्रोक से? Brain Stroke Prevention
मस्तिष्क में असामान्य थक्के: क्या हैं इसके कारण?
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जानिए मस्तिष्क में थक्के बनने के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय।
डॉक्टरों की राय के साथ जानें, कैसे जीवनशैली में बदलाव और सही उपचार से
मस्तिष्क स्ट्रोक को रोका जा सकता है।
Health Tips : Brain Stroke Prevention Medical Awareness Healthy Lifestyle
मुंबई, 29 दिसंबर 2024 (न्यूज
हेल्पलाइन) मस्तिष्क के थक्के गंभीर चिकित्सा स्थिति हैं, जो रक्त प्रवाह में
रुकावट के कारण उत्पन्न होते हैं। भुवनेश्वर के मणिपाल अस्पताल के वरिष्ठ
न्यूरोसर्जन डॉ. अमित जायसवाल बताते हैं कि ये थक्के निम्न कारणों से हो सकते हैं :
- - उच्च रक्तचाप
- - घातक बीमारियाँ
- - मादक पदार्थों का सेवन
- - रक्तस्रावी स्ट्रोक और धमनीविस्फार जैसी स्थितियाँ
मस्तिष्क के थक्कों के लक्षण : जल्दी पहचानें
मस्तिष्क थक्कों के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं।
सामान्य लक्षणों में शामिल हैं :
- - सिरदर्द
- - दृष्टि में धुंधलापन
- - हाथ-पैरों में अचानक कमजोरी
- - बोलने में कठिनाई
गंभीर मामलों में, ये थक्के जानलेवा हो सकते हैं। डॉ. जायसवाल समय पर चिकित्सा
हस्तक्षेप के महत्व पर जोर देते हैं।
बार-बार मस्तिष्क स्ट्रोक और इसके उपचार
मस्तिष्क में बार-बार स्ट्रोक का मुख्य कारण रक्त के थक्कों
का बार-बार बनना है। डॉ.
हरीशा पी एन, मणिपाल
हॉस्पिटल्स यशवंतपुर में एक प्रशंसित न्यूरोसर्जन हैं, जिनके पास इस क्षेत्र में
18 वर्षों से अधिक का अनुभव है, बताते हैं कि :
- एम्बोलिक स्ट्रोक
तब होता है जब थक्का शरीर के अन्य भागों से मस्तिष्क तक पहुंचता है।
- एथेरोस्क्लेरोसिस
यानी धमनियों में वसा का जमाव भी मुख्य कारण है।
इसके उपचार में शामिल हैं :
- रक्त को पतला
करने वाली दवाओं का उपयोग
- उच्च रक्तचाप और
कोलेस्ट्रॉल का प्रबंधन
- धूम्रपान
छोड़ना
डॉ. हरीशा कहते हैं, "मस्तिष्क की धमनियों में बनने वाले थक्कों के
लिए, उपचार में अक्सर
कम खुराक वाली एस्पिरिन जैसी रक्त पतला करने वाली दवाएँ और जोखिम कारकों का
अनुकूलन शामिल होता है।"
मस्तिष्क स्ट्रोक से बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव
- नियमित व्यायाम
करें और स्वस्थ आहार अपनाएं।
- रक्तचाप, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को
नियंत्रित रखें।
- तनाव को प्रबंधित
करें और पर्याप्त नींद लें।
मस्तिष्क थक्कों और स्ट्रोक को रोकने के लिए शुरुआती पहचान
और जीवनशैली में बदलाव बेहद जरूरी हैं। डॉ. अमित जायसवाल और डॉ. हरीशा पी एन बताते
हैं कि सही समय पर उपचार और सावधानियों से जटिलताओं को टाला जा सकता है।
(डिस्क्लेमर- यह समाचार किसी भी हालत में चिकित्सकीय सलाह
नहीं है। यह जनहित में अव्यावसायिक जानकारी मात्र है। आप इस जानकारी के आधार पर
कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं। स्वयं डॉक्टर न बनें, किसी भी सलाह के लिए किसी योग्य चिकित्सक से
संपर्क करें)
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