अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान द्वारा महिलाओं के अधिकारों पर नए प्रहार
- यूएन ने अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के मेडिकल प्रशिक्षण पर पाबंदी की आलोचना की
- यूएन उच्चायुक्त का तालिबान से महिलाओं के मेडिकल प्रशिक्षण पर पाबंदी वापिस लेने का आह्वान
महिलाओं के मेडिकल प्रशिक्षण पर पाबंदी: स्वास्थ्य सेवा पर क्या होगा असर?
अफ़ग़ानिस्तान में महिला अधिकारों पर तालिबान का असर : शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) ने अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के मेडिकल प्रशिक्षण पर लागू पाबंदी पर गहरी चिंता व्यक्त की है। यूएन उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इसे तालिबान प्रशासन द्वारा अफ़ग़ान महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ एक और हमले के रूप में देखा और इस पाबंदी को वापिस लेने की अपील की है। यूएन ने इस फैसले को भेदभावपूर्ण बताते हुए चेतावनी दी है कि इससे महिलाओं और लड़कियों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच और उनके जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर से जानिए कि कैसे अफ़ग़ानिस्तान में पहले से ही महिलाओं के अधिकारों पर कड़ा दबाव है, और यह नया कदम स्वास्थ्य सेवाओं में महिला कर्मचारियों की कमी को और बढ़ा सकता है। ![Afghanistan: UN demands withdrawal of ban on medical training for women Afghanistan: UN demands withdrawal of ban on medical training for women](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEit_gyLNdDhQadlgokzveWuLuF3ySWelSME62FGFdK3_RB66gEPcaTKz80ckJvdiF3eux6yxvy__MWI_5LNnL1kbAeGaYbpWhYtUNwg1aZEgTWvNAtWf8Yq5mBXCHmLEUNG8tNJJFNEzeQ0hCsA-xcr2fWP5hMTaW9xDWj1lYgOd_hzYAqfNz6AZuSi_nyT/s16000-rw/World%20news.jpg) |
Afghanistan: UN demands withdrawal of ban on medical training for women |
अफ़ग़ानिस्तान: महिलाओं के मेडिकल प्रशिक्षण पर पाबन्दी को वापिस लेने की मांग
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने अफ़ग़ानिस्तान के निजी चिकित्सा संस्थानों में महिलाओं द्वारा प्रशिक्षण हासिल करने पर थोपी गई पाबन्दी पर गहरा क्षोभ जताया है. यूएन उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इस प्रतिबन्ध को सत्तारूढ़ तालिबान प्रशासन द्वारा अफ़ग़ान महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध एक और सीधा प्रहार क़रार देते हुए इसे वापिस लेने की मांग की है.
यूएन कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने गुरूवार को उच्चायुक्त टर्क की ओर से जारी एक वक्तव्य में तालिबान प्रशासन के इस क़दम को बेहद भेदभावपूर्ण बताया और सचेत किया कि इससे महिलाओं व लड़कियों के जीवन के लिए कई प्रकार के जोखिम उत्पन्न होंगे.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, राजसत्ता द्वारा प्रायोजित भेदभावपूर्ण निर्णयों की एक लम्बी फेहरिस्त में यह नई कड़ी है, जिनके ज़रिये अब तक शिक्षा, कामकाज समेत अन्य क्षेत्रों में महिलाओं व लड़कियों को निशाना बनाया गया है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा है कि ऐसे क़दमों को उठा करके, अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य को पूरी तरह से अपने क़ब्ज़े में लेने की कोशिश की जा रही है.
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान ने अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता हथिया ली थी, जिसके बाद से महिला अधिकारों के लिए हालात तेज़ी से ख़राब हुए हैं.
महिला अधिकारों पर प्रहार
उनके बुनियादी अधिकारों और स्वतंत्रता को नकारा जा रहा है, जिनमें शिक्षा, कार्य, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य, आवाजाही, भय से आज़ादी, और भेदभाव से मुक्ति के अधिकार हैं.
लड़कियों को माध्यमिक स्तर की शिक्षा से दूर कर दिया गया है और महिलाओं के युनिवर्सिटी में पढ़ाई-लिखाई पर पहले ही पाबन्दी लगा दी गई थी.
महिलाओं व लड़कियों के मनोरंजन पार्क, सार्वजनिक स्नानघर, जिम, स्पोर्ट्स क्लब में जाने पर पाबन्दी है, और देश में महिलाओं व लड़कियों के लिए पोशाक संहिता सख़्ती से लागू की गई है. उन्हें बिना किसी पुरुष संगी के लम्बी यात्रा करने की अनुमति नहीं है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि इस तालेबानी फ़ैसले से महिलाओं व लड़कियों के लिए, उच्चतर शिक्षा की ओर जाने वाला एकमात्र रास्ता भी बन्द हो जाएगा. इससे देश में, महिला दाइयों, नर्स व चिकित्सकों की उपलब्धता पर असर होगा, जोकि पहले से ही कम है.
“इस निर्णय से महिलाओं व लड़कियों के लिए पहले से ही जोखिम से जूझ रहे स्वास्थ्य देखभाल सुलभता के अवसर सीमित होंगे. चूँकि पुरुष मेडिकल कर्मचारियों को पुरुष संगी की उपस्थिति के बिना, महिलाओं का उपचार करने पर मनाही है.”
पूर्ण आबादी का कल्याण ज़रूरी
मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में पहले से ही मातृत्व मृत्यु की ऊँची दर है और इसलिए यह ज़रूरी है कि स्वास्थ्य सैक्टर में उनकी उपस्थिति को बरक़रार रखा जाए.
उन्होंने कहा कि ऐसे क़दमों को पुरुषों द्वारा बिना किसी पारदर्शिता के उठाया जाता है और इस प्रक्रिया में किसी अन्य की हिस्सेदारी नहीं होती है. इनके ज़रिये सीधे तौर पर महिलाओं व लड़कियों को सार्वजनिक जीवन से बाहर रखने की कोशिश की जाती है.
यूएन कार्यालय ने ध्यान दिलाया है कि सत्तारूढ़ तालिबान का यह दायित्व है कि देश की पूर्ण आबादी के कल्याण, सुरक्षा व सलामती का ध्यान रखा जाए.
यूएन हाई कमिश्नर वोल्कर टर्क ने तालिबान से आग्रह किया है कि इस हानिकारक निर्देश को वापिस लिए जाने की ज़रूरत है. अब समय आ गया है कि अफ़ग़ानिस्तान अपने अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों को निभाए और महिलाओं व लड़कियों के मानवाधिकारों को सुनिश्चित किया जाए.
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