जलवायु आपदाओं, स्वास्थ्य संकटों और आर्थिक समस्याओं से दक्षिण एशिया में प्रभावित होंगे 4.7 करोड़ बच्चे | UNICEF warning
2025 में दक्षिण एशिया में 4.7 करोड़ बच्चों को होगी मानवीय सहायता की ज़रूरत: UNICEF की चेतावनी
- 2025 के लिए UNICEF की मानवीय सहायता अपील: 1.6 बिलियन डॉलर जुटाने की आवश्यकता
- अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में विशेष सहायता की आवश्यकता
UNICEF का फोकस: बच्चों की ज़िन्दगी और बुनियादी ज़रूरतों को सुरक्षित करना
- स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, और जलवायु संकटों के लिए तात्कालिक कदम
- विशेष रूप से अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश में सहायता योजनाएँ
UNICEF की दक्षिण एशिया में मानवीय कार्यवाही: एक बड़े संकट का समाधान
- अफ़ग़ानिस्तान में 1 करोड़ बच्चों के लिए जीवनरक्षक सहायता
- बांग्लादेश और पाकिस्तान में बच्चों के लिए सहायता प्रयास
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने 2025 में दक्षिण एशिया में लगभग 4.7 करोड़ बच्चों को जलवायु आपदाओं, स्वास्थ्य संकटों और आर्थिक अस्थिरता के कारण गंभीर मानवीय सहायता की आवश्यकता होने की चेतावनी दी है। UNICEF ने इस स्थिति से निपटने के लिए एक अरब 60 करोड़ डॉलर की अपील की है, ताकि अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अन्य प्रभावित देशों में बच्चों के लिए जीवनरक्षक सेवाएँ प्रदान की जा सकें। संयुक्त राष्ट्र समाचार का यह लेख उन बच्चों की ज़िन्दगियों पर पड़ने वाले प्रभाव और UNICEF की योजनाओं पर प्रकाश डालता है।
2025 में, दक्षिण एशिया में 4.7 करोड़ बच्चों को होगी मानवीय सहायता की ज़रूरत
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – UNICEF ने कहा है कि दक्षिण एशिया में वर्ष 2025 के दौरान जलवाय सम्बन्धी आपदाओं, अन्य प्रकार के संकटों, स्वास्थ्य आपदाओं और आर्थिक झटकों के कारण, लगभग 4 करोड़ 70 लाख बच्चों को मानवीय सहायता की आवश्यकता होगी.
यूनीसेफ़ ने दक्षिण एशिया के देशों में, वर्ष 2025 के दौरान लगभग 2 करोड़ 80 लाख लोगों तक जीवनरक्षक मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए, एक अरब 60 करोड़ डॉलर की रक़म जुटाने की अपील जारी की है.
इनमें लगभग एक करोड़ 60 लाख बच्चे होंगे और इनकी अधिकतर संख्या अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान व अन्य देशों में होगी.
दक्षिण एशिया के लिए यूनीसेफ़ के क्षेत्रीय निदेशक संजय विजेसेकेरा ने शुक्रवार को जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा है, “दक्षिण एशिया में लाखों बच्चे लगातार गम्भीर होती जलवायु सम्बन्धी आपदाओं से गम्भीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं, जिनमें बाढ़ें, भूस्खलन, समुद्री तूफ़ान और सूखा स्थितियाँ शामिल हैं और ये सब आपदाएँ अक्सर मानसून के मौसम में अधिक घटित होती हैं.”
उन्होंने कहा, “बच्चों के लिए इन चुनौतियों में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातस्थितियों, आर्थिक संकटों, और राजनैतिक अस्थिरता के हालात के कारण और भी बढ़ोत्तरी होती है.”
“इनके परिणामस्वरूप बच्चों की ज़िन्दगियाँ गम्भीर जोखिम में पड़ती हैं जिसमें उनके स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा के साथ-साथ अन्य बुनियादी ज़रूरतों में भी गम्भीर बाधाएँ उत्पन्न होती हैं.”
यूनीसेफ़ की प्रैस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मानवीय सहायता अपील के ज़रिए मिलने वाली धनराशि से, बच्चों और उनके परिवारों की स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, संरक्षण, पानी और स्वच्छता ज़रूरतों की पूर्ति सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी.
दक्षिण एशिया क्षेत्र में बच्चों के लिए मानवीय कार्रवाई के हिस्से के रूप में, तीन प्रमुख देशों में सहायता पहुँच बनाने की योजना है.
अफ़ग़ानिस्तान में लगभग एक करोड़ बच्चों तक, जीवनरक्षक सहायता और बुनियादी सेवाएँ मुहैया कराई जाएंगी.
बांग्लादेश में, क़रीब 5 लाख 29 हज़ार 623 रोहिंज्या शरणार्थियों सहित, कुल क़रीब 21 लाख लोगों तक, कई तरह की सहायता मुहैया कराई जाएगी जिसमें स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा ज़रूरतों को पूरा किया जाएगा.
इनमें लगभग 11 लाख बच्चे और स्वास्थ्य देखभाल कर्मी भी लाभान्वित होंगे जिन्हें मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक समर्थन मुहैया कराया जाएगा.
पाकिस्तान में लगभग 35 लाख बच्चों तक विभिन्न तरह की सहायता पहुँचाने की कोशिश की जाएगी.
अफ़ग़ानिस्तान
प्रैस विज्ञप्ति में बताया गया है कि अफ़ग़ानिस्तान में लगभग एक करोड़ 24 लाख बच्चों के लिए, मानवीय स्थिति अत्यन्त गम्भीर बनी हुई है. उनकी ज़िन्दगियाँ आर्थिक कठिनाइयों, जलवायु जनित झटकों, और महिलाओं पर लगी पाबन्दियों के कारण मुश्किल बनी हुई हैं.
इस हालात के परिणाम स्वरूप, अफ़ग़ानिस्तान, दक्षिण एशिया में एक ऐसा देश है जहाँ मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए सबसे बड़ी अपील जारी की गई है.
बांग्लादेश
बांग्लादेश जलवायु सम्बन्धित आपदाओं और लम्बे चल रहे रोहिंज्या शरणार्थी संकटों के बोझ से जूझ रहा है. ग़ौरतलब है कि बांग्लादेश में 10 लाख से भी अधिक रोहिंज्या शरणार्थी शरण लिए हुए हैं जो बहुत घनी आबादी वाले शिविरों में रहने को विवश हैं.
बांग्लादेश में लगभग 32 लाख बच्चे, बाढ़ों, तूफ़ानों और शरणार्थी संकटों के प्रभावों की चपेट में हैं.
पाकिस्तान
पाकिस्तान में, क़रीब दो करोड़ 47 लाख बच्चे जलवायु परिवर्तन, लैंगिक विषमताओं, खाद्य असुरक्षा, उच्च स्तर के कुपोषण और राजनैतिक व आर्थिक अस्थिरता के उच्च प्रभावों की चपेट में हैं.
दुनिया भर में जलवायु जोखिमों की दृष्टि से पाकिस्तान का पाँचवा स्थान है, जहाँ बाढ़ें, ताप लहरें जैसी अत्यन्त चरम मौसम घटनाएँ बहुत जल्दी-जल्दी घटित होने लगी हैं और वो अधिक विनाशकारी भी बन रही हैं.
अन्य देश
नेपाल भी भूकम्पों, बाढ़ों और भूस्खलों से लगातार प्रभावित होता रहा है. भूटान व नेपाल हिमालय क्षेत्र में, अपनी भूस्थिति के कारण भूकम्पों के उच्च जोखिम में बने हुए हैं.
लगातार आती बाढ़ें और सूखा स्थितियाँ, श्रीलंका की आर्थिक पुनर्बहाली के लिए भी ख़तरा बनी हुई हैं. मालदीव जलवायु परिवर्तन और बढ़ते समुद्री जल स्तर के साथ-साथ आर्थिक कठिनाइयों के भी जोखिम में हैं.
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