रियाद सम्मेलन 2024: भूमि और सूखा पर वैश्विक कार्रवाई के लिए महत्वपूर्ण निर्णय | COP16 Riyadh wrapped up
रियाद सम्मेलन 2024 में भूमि और सूखा संकट पर वैश्विक सहयोग की आवश्यकता
COP16 में भूमि क्षरण और सूखे से निपटने के लिए 39 महत्वपूर्ण निर्णय
- वैश्विक सूखा सहनशीलता के लिए AI-संचालित मंच और अन्य प्रमुख पहलें
- COP16 सम्मेलन: कृषि और चरागाह क्षेत्रों में स्थिरता के लिए नीतिगत निर्णय
- रियाद सम्मेलन में भूमि संकट से निपटने के लिए $12 अरब धन जुटाने की घोषणा
बीती 14 दिसंबर 2024 को सऊदी अरब के रियाद में संपन्न संयुक्त राष्ट्र का 16वां भूमि सम्मेलन (COP16) जलवायु परिवर्तन और भूमि क्षरण, मरुस्थलीकरण तथा सूखा जैसे संकटों से निपटने के लिए वैश्विक कदमों की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक बन गया। सम्मेलन में 200 देशों ने भूमि बहाली और सूखा सहनशीलता को राष्ट्रीय नीतियों में प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता जताई। वैश्विक सूखा से निपटने के लिए $12 अरब का धन जुटाने की घोषणा और AI-संचालित सूखा सहनशीलता मंच की शुरुआत की गई, जो आने वाले समय में भूमि और पर्यावरण संकटों से निपटने के लिए एक मजबूत वैश्विक नेटवर्क बनाने में मदद करेगा। पढ़ें संयुक्त राष्ट्र समाचार की खबर
UN News/Martin Samaan |
रियाद सम्मेलन में, भूमि व सूखा पर वैश्विक कार्रवाई के लिए एक मार्ग
14 दिसंबर 2024 जलवायु और पर्यावरण
संयुक्त राष्ट्र का सबसे बड़ा और सर्वाधिक समावेशी भूमि सम्मेलन शनिवार को सऊदी अरब के रियाद शहर में में संपन्न हुआ है, जिसमें दो सप्ताह तक चली गहन वार्ता के बाद वैश्विक कार्रवाई के लिए मार्ग तैयार किया गया है. इसमें भूमि क्षरण, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के तरीक़ों पर सघन बातचीत हुई है. इन चुनौतियों से विश्व का एक चौथाई हिस्सा प्रभावित है.
मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD) के 16वें सम्मेलन यानि COP16 में लगभग 200 देशों ने शिरकत की.
इन देशों ने भूमि बहाली व सूखे के प्रति सहनशीलता को राष्ट्रीय नीतियों और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग में प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्धताएँ व्यक्त कीं.
इस मुद्दे को खाद्य सुरक्षा व जलवायु अनुकूलन के लिए एक आवश्यक रणनीति समझा गया है.
पक्ष देश अलबत्ता, एक सूखा व्यवस्था की एक नई व्यवस्था पर सहमत नहीं हो सके मगर एक मज़बूत राजनैतिक घोषणा और 39 निर्णय अपनाए गए, जो आगे का रास्ता तय करते हैं.
यूएनसीसीडी की हाल ही में जारी विश्व सूखा एटलस और सूखा सहनशीलता के अर्थशास्त्र रिपोर्टों के अनुसार, सूखा दुनिया भर में 1.8 अरब लोगों की आजीविका को प्रभावित करता है, और यह पहले से ही कमज़ोर समुदायों को और परे हाशिए पर धकेल चुका है.
इससे प्रति वर्ष अनुमानित $300 अरब का नुक़सान भी होता है, जो कृषि, ऊर्जा व पानी जैसे प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों को, जोखिम में डालता है.
COP16 में हासिल हुए मुख्य परिणाम:
अन्तरराष्ट्रीय सूखा सहनशीलता वेधशाला का एक प्रोटोटाइप जारी किया गया है जो देशों को कठोर सूखे से निपटने के लिए उनकी क्षमता का आकलन करने और उसे बढ़ाने में मदद करने वाला पहला वैश्विक AI-संचालित मंच है.
‘भूमि के लिए करोबार’ नामक पहल के तहत निजी क्षेत्र की भागेदारी को जुटाना.
आदिवासी जन और स्थानीय समुदायों के लिए एक व्यवस्था सृजित - यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके अद्वितीय दृष्टिकोण और चुनौतियों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो.
ऑस्ट्रेलिया के आदिवासीजन के प्रतिनिधि ओलिवर टेस्टर का कहना था, "आज, इतिहास रच दिया गया है. हम एक समर्पित व्यवस्था के माध्यम से धरती माता की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं और यहाँ से भरोसे के साथ रवाना हो रहे हैं कि हमारी आवाज़ सुनी जाएगी."
वैश्विक सूखा व्यवस्था
इस सम्मेलन में देशों के बीच, भविष्य की वैश्विक सूखा व्यवस्था के लिए आधार तैयार करने के मुद्दे पर भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, 2026 में मंगोलिया में COP17 में पूरा करने का इरादा व्यक्त किया गया है.
COP16 में, प्रमुख विषयों पर, वार्ता प्रक्रिया के ज़रिए 30 से अधिक निर्णय जारी किए गए, जिनमें प्रवास, धूल के तूफान, विज्ञान, अनुसन्धान और नवाचार की भूमिका को बढ़ाना, और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए महिलाओं को मज़बूत बनाना शामिल है.
कुछ निर्णयों से एजेंडे में नए विषय शामिल हुए हैं, जिनमें पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणालियाँ और चरागाह का मुद्दा, जो तमाम भूमि के 54 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हैं. केवल चरागाहों के क्षरण से ही, वैश्विक खाद्य आपूर्ति का छठा हिस्सा ख़तरे में पड़ जाता है, जिससे पृथ्वी के कार्बन भंडार का एक तिहाई हिस्सा समाप्त हो सकता है.
साथ ही, दुनिया भर में भूमि चुनौतियों से निपटने के लिए, $12 अरब का धन जुटाने की प्रतिबद्धताएँ व्यक्त की गईं, विशेष रूप में, सबसे कमज़ोर देशों में.
इस समय चरागाह क्षेत्रों में रहने वाले लगभग दो अरब लोग, मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे की स्थितियों को देखते हुए, दुनिया के सबसे कमज़ोर लोगों में शुमार हैं.
अब होता है काम शुरू
COP16 सम्मेलन, UNCCD का, अब तक का सबसे बड़ा और सबसे विविधतापूर्ण COP सम्मेलन था. इसमें 20 हज़ार से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए, जिनमें से लगभग 3,500 नागरिक समाज से थे.
सम्मेलन के काम में ग़ैर-सरकारी हस्तियों व संगठनों को शामिल करने के लिए प्रथम एक्शन एजेंडा के हिस्से के रूप में 600 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए.
संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे. मोहम्मद ने कहा कि अब, शुरू होता है काम.
उन्होंने प्रतिनिधियों से कहा, "हमारा काम COP16 के समापन के साथ समाप्त नहीं होता है. हमें जलवायु संकट का मुक़ाबला जारी रखना होगा. यह हम सभी के लिए समावेश, नवाचार और लचीलेपन को अपनाने का आहवान है."
उन्होंने कहा कि युवाओं और आदिवासी जन, इन वार्तालापों के केन्द्र में रखा जाना चाहिए. "उनकी बुद्धि, उनकी आवाज़ और उनकी रचनात्मकता अपरिहार्य है क्योंकि हम एक नई उम्मीद के साथ, आने वाली पीढ़ियों के लिए, एक स्थाई भविष्य तैयार कर रहे हैं."
UNCCD के कार्यकारी सचिव इब्राहीम चियाउ ने अपने समापन भाषण में, पूरे COP16 के दौरान सुने गए एक आम सन्देश को संक्षेप में प्रस्तुत किया.
उन्होंने कहा, "जैसा कि हमने चर्चा की और देखा, समाधान हमारी पहुँच में हैं.”
“आज हमने जो क़दम उठाए हैं, वे न केवल हमारे ग्रह के भविष्य को आकार देंगे, बल्कि उन लोगों के जीवन, आजीविका और अवसरों को भी आकार देंगे जो इस पर निर्भर हैं."
📣After 2 weeks of negotiations, #COP16Riyadh wrapped up with global commitments to prioritize land restoration & drought resilience in national policies and invest $12bn+ in tackling land degradation, desertification and drought. Full press release: https://t.co/RrPysVI8Xz
— Global Goals (@GlobalGoalsUN) December 14, 2024
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