विस्थापन के दौरान महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा का खतरा बढ़ा: UNHCR ने दी चेतावनी | Women and girls also face severe violence during displacement

महिलाएं और लड़कियां कर रहीं लिंग आधारित हिंसा के बढ़ते मामलों का सामना

  • संघर्ष क्षेत्रों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की चौंकाने वाली वृद्धि
  • विस्थापन के दौरान महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा में वृद्धि : UNHCR की चेतावनी

विस्थापन और संघर्ष क्षेत्रों में महिलाओं के लिए संकटपूर्ण स्थितियां

  • महिला शरणार्थियों के लिए आवश्यक सेवाओं के लिए धन की कमी
  • विस्थापन और हिंसा से प्रभावित महिलाओं की मदद के लिए समर्थन बढ़ाने की जरूरत
दुनिया भर में विस्थापन के कारण 6 करोड़ से अधिक महिलाएं और लड़कियां लिंग आधारित हिंसा का सामना कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने 2023 में यौन हिंसा के मामलों में 50% वृद्धि की चेतावनी दी है, जबकि सहायता के लिए आवश्यक धन की भारी कमी है। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस ख़बर में पढ़ें कि कैसे युद्ध, संघर्ष, और विस्थापन के कारण महिलाओं की सुरक्षा संकट में है।

महिलाओं व लड़कियों को विस्थापन के दौरान भी करना पड़ता है गम्भीर हिंसा का सामना

दुनिया भर के अनेक देशों में, विभिन्न संकटों और समस्याओं के कारण अपने घर से उजड़ने के लिए मजबूर 6 करोड़ से अधिक महिलाएँ और लड़कियाँ, लिंग आधारित हिंसा (GBV) के उच्च जोखिम का सामना करती हैं, मगर उनकी सहायता करने के लिए जीवन रक्षक सेवाओं के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं है.
Women and girls are being exposed to heightened risks of sexual violence on a daily basis because gendered social roles and norms
Women and girls are being exposed to heightened risks of sexual violence on a daily basis because gendered social roles and norms


संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) का कहना है कि आँकड़ों से मालूम होता है कि वर्ष 2023 की तुलना में, इस वर्ष, टकराव से सम्बन्धित यौन हिंसा के मामलों में, 50 प्रतिशत की चौंकाने वाली वृद्धि दर्ज की गई है, और सत्यापित मामलों की 95 प्रतिशत संख्या महिलाओं व लड़कियों की है.

अलबत्ता, ये संख्याएँ "वास्तविकता का एक छोटा सा हिस्सा दर्शाती हैं" क्योंकि बहुत से मामले दर्ज नहीं कराए जाते हैं.

न्याय से वंचित

यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता शबिया मंटू ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों से कहा, "बहुत से दूरदराज़ इलाक़ों में मानवीय पहुँच बन्द है या संसाधन और सहायता दुर्लभ हैं."

"न्याय भी सीमित स्तर पर उपलब्ध है और पीड़ितों को प्रतिशोध की कार्रवाई व सामाजिक हाशिए पर धकेल दिए जाने का भी डर है."

प्रवक्ता ने कहा कि टकराव और युद्ध की स्थितियों में काम करने वाले सहकर्मियों को, क्रूर हिंसा, यातना, यौन शोषण, यौन हिंसा और युद्ध के हथियार के रूप में अन्य भयावह कृत्यों का सामना करने वाली पीड़ितों से, लगातार ख़बरें मिलती रहती हैं.

उदाहरण के लिए, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में, महिलाओं और लड़कियों के शरीर जैसे, चक्रीय हिंसा और बिगड़ती असुरक्षा के बीच "युद्ध के मैदान" का विस्तार बन गए हैं. विस्थापन स्थलों में भी इसी तरह के हालात हैं.

इसके अलावा, इस वर्ष लिंग आधारित हिंसा के मामलों में वृद्धि हुई है, जिनमें बलात्कार के मामले सबसे अधिक हैं.

प्रवक्ता शाबिया मंटू ने कहा, "चाड में महिलाओं के साथ उस समय बलात्कार किया गया जब वो, सूडान में युद्ध से बचने के लिए सुरक्षा की तलाश में भाग रही थीं."

“अफ़गानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों पर बढ़ते प्रतिबन्ध, घरों पर परिवार सदस्यों के हाथों हिंसा की उच्च दर और कुल मिलाकर बिगड़ती आर्थिक स्थिति, मानसिक स्वास्थ्य संकट को बढ़ावा दे रही है.

UNHCR की साझीदार एजेंसियों ने, मदद मांगने वाले रोगियों की संख्या में वृद्धि होने की जानकारी दी है.

विस्थापन व पलायन के दौरान ख़तरा

भूमध्य सागर की ओर जाने वाले मार्गों पर जाने वाली महिला शरणार्थी और प्रवासी लगातार ख़बर दे रही हैं कि उन्हें यौन हिंसा और शोषण, दासिता और मानव तस्करी का सामना करना पड़ता है. मानवीय सहायताकर्मियों का अनुमान है कि उनमें से 90 प्रतिशत महिलाएँ बलात्कार का शिकार होती हैं.

इस बीच, यौन हिंसा से बचे जो पीड़ितों भागकर पड़ोसी देशों में पहुँचे हैं, वे अक्सर अनिश्चित परिस्थितियों में रहते हैं, क्योंकि उनके विस्थापन के दौरान उन्हें लिंग आधारित हिंसा के अतिरिक्त जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है, और सेवाओं तक पहुँच में देरी हो सकती है, जो वैसे भी सीमित हो सकती है.

प्रवक्ता शाबिया मंटू ने कहा कि जबरन विस्थापित महिलाओं और लड़कियों को, युद्ध व टकराव सम्बन्धी यौन हिंसा के अलावा, अपने अन्तरंग साथी की हिंसा के उच्च जोखिमों का भी सामना करना पड़ता है.

इसके अलावा, भेदभाव के परस्पर विरोधी रूप भी उनके लिए जोखिम बढ़ाते हैं, जिसमें महिलाओं और लड़कियों की विकलांगता, महिलाओं की निर्धनता, लैंगिक पहचान, लैंगिक अभिव्यक्ति और लड़कियों व महिलाओं की कुछ यौन विशेषताएँ जैसे हालात शामिल हैं.

समर्थन बढ़ाने की ज़रूरत

UNHCR की प्रवक्ता शाबिया मंटू ने कहा कि जबरन विस्थापन और टकराव व युद्ध से प्रभावित महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध होने वाली लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम के लिए, शुरुआती और प्रभावशाली उपाय, जीवरक्षक साबित होते हैं, मगर इन उपायों के लिए धन पर्याप्त धन की कमी है.

"उदाहरण के लिए, छह प्रमुख क्षेत्रीय शरणार्थी सहायता योजनाओं के लिए - डीआरसी., अफ़ग़ानिस्तान, सूडान, यूक्रेन, दक्षिण सूडान और सीरिया के शरणार्थियों के लिए, मानवीय ज़रूरतों को कवर करने और पूरे वर्ष के दौरान लिंग आधारित हिंसा के पीड़ितों की मदद करने के लिए, $23.6 करोड़ की राशि जुटाने की जो अपील की गई है, उसकी केवल 28 प्रतिशत रक़म प्राप्त हुई है.

यूएन शरणार्थी एजेंसी, लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ़ 16 दिनों की सक्रियता के दौरान, इस मुद्दे को उजागर कर रही है. यह एक वार्षिक वैश्विक अभियान है, जो 25 नवम्बर से 10 दिसम्बर तक चलता है.

UNHCR को डर है कि पर्याप्त धन के बिना, जबरन विस्थापित लाखों महिलाओं व लड़कियों को, अगले साल महत्वपूर्ण सेवाएँ नहीं उपलब्ध हो पाएंगी.

Web Title: Women and girls also face severe violence during displacement

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।