ग़ाज़ा युद्ध: अन्धकार भरे दोराहे पर फंसे फ़लस्तीनी नागरिक, एक दुस्वप्न की जकड़ में | One year of bloodshed in Gaza

ग़ाज़ा में एक वर्ष का रक्तपात: भयावह स्थिति और मानवीय संकट

संयुक्त राष्ट्र की अपील: ग़ाज़ा में युद्धविराम और कूटनीतिक समाधान की आवश्यकता

  • इसराइली सैन्य कार्रवाई से ग़ाज़ा में बर्बादी: मानवतावादी संकट
  • ग़ाज़ा के शरणार्थियों के लिए स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है
  • मध्य पूर्व शांति की राह: दो-राष्ट्र समाधान की आवश्यकता पर जोर
ग़ाज़ा में एक वर्ष से जारी युद्ध और रक्तपात के कारण क्षेत्र अंधकार भरे दोराहे पर खड़ा है। संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक टोर वैनेसलैंड ने युद्धविराम और समन्वित कूटनीतिक प्रयासों का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस ख़बर से जानिए ग़ाज़ा में बढ़ते मानवीय संकट और युद्ध के प्रभावों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता क्यों है...
Web title : One year of bloodshed in Gaza: Dire conditions and humanitarian crisis
Web Title : One Year of bloodshed in Gaza: Dire Conditions and humanitarian crisis


ग़ाज़ा: अन्धकार भरे 'दोराहे' पर फँसे आम फ़लस्तीनी जन, एक 'दुस्वप्न' की जकड़ में

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक टोर वैनेसलैंड ने कहा है कि ग़ाज़ा में पिछले एक वर्ष से जारी भयावह युद्ध और रक्तपात के बाद, यह क्षेत्र एक हताशा भरे दोराहे पर खड़े होकर, एक दुस्वप्न को जी रहा है. उन्होंने सोमवार को सुरक्षा परिषद में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि क्षेत्र को इस ख़तरनाक मार्ग से पीछे हटाने के लिए अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को तुरन्त क़दम उठाने होंगे.

नवम्बर महीने के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष देश ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने सोमवार को युद्धग्रस्त ग़ाज़ा पट्टी में मौजूदा हालात पर सुरक्षा परिषद की बैठक की शुरुआत की.

ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य बलों की कार्रवाई, बमबारी व हमलों के बीच आम फ़लस्तीनी नागरिक घेराबन्दी में एक गहरे मानवीय संकट से जूझ रहे हैं. विशाल स्तर पर उपजी आवश्यकताओं के अनुरूप उन तक सहायता नहीं पहुँच पा रही है.

विशेष समन्वयक ने कहा कि 7 अक्टूबर 2023 को इसराइल के भीतर हमास व अन्य फ़लस्तीनी हथियारबन्द गुटों के आतंकी हमलों, लोगों को बन्धक बनाने और उन्हें अब भी असहनीय परिस्थितियों में बन्दी रखे जाने से इसराइल में भीषण पीड़ा उपजी.

इसके बाद, ग़ाज़ा में लम्बे समय से जारी युद्ध और तबाही लाने वाली इसराइली सैन्य कार्रवाई से विशाल संख्या में फ़लस्तीनी हताहत हुए हैं और बड़े पैमाने पर विध्वंस हुआ है.

टोर वैनेसलैंड ने सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को बताया कि हम जिन हालात में जी रहे हैं, वो यहाँ व्याप्त बेहद नाज़ुक हालात की लम्बे समय तक परीक्षा लेने का नतीजा है.

अकल्पनीय पीड़ा


उनके अनुसार, ग़ाज़ा में पिछले एक वर्ष से जारी भयावह युद्ध और रक्तपात की छाया में मध्य पूर्व क्षेत्र एक अंधकार भरे दोराहे पर खड़ा है. “हम एक दुस्वप्न को जी रहे हैं. जिस सदमे व पीड़ा को भुगता गया है, उसका अन्दाज़ा नहीं लगाया जा सकता है.”

विशेष समन्वयक ने ज़ोर देकर कहा कि मानवतावादी एजेंसियों को अपने कामकाज व सहायता अभियान संचालन में विशाल चुनौतियों व ख़तरनाक परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है. मानवीय सहायता क़ाफ़िलों पर फ़लस्तीनी हथियारबन्द गुटों व इसराइली सैन्य बलों द्वारा हमले हुए हैं, और इस समस्या से निपटा नहीं जा सका है.

टोर वैनेसलैंड ने आगाह किया कि सर्दी के मौसम की शुरुआत में ग़ाज़ा में हालात तबाही भरे हैं, विशेष रूप से उत्तरी ग़ाज़ा में जहाँ लगभग पूरी आबादी विस्थापित हो चुकी है, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के प्रति बेपरवाही के बाद स्थानीय इलाक़ों को बर्बाद और ज़मीन को साफ़ कर दिया गया है.

विशेष समन्वयक के अनुसार, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के विरुद्ध क़ानूनों को स्वीकृति दी गई है. आम फ़लस्तीनियों को समर्थन देने वाले संस्थागत फ़्रेमवर्क को ही ध्वस्त करने की कोशिश की जा रही है जिससे क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में हालात और बिगड़ने की आशंका है.

समन्वित प्रयास


उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा पट्टी में दीर्घकाल में किसी भी प्रकार से इसराइली सैन्य उपस्थिति को रोकना होगा. “ग़ाज़ा एक भावी फ़लस्तीनी राष्ट्र का एक अखंड हिस्सा है और इसे रहने देना होगा, इसके इलाक़े को कम किए बग़ैर.”

“ग़ाज़ा में ऐसा कोई दीर्घकालिक समाधान नहीं हो सकता है, जोकि बुनियादी रूप से राजनैतिक ना हो.”

वहीं, ग़ाज़ा और पश्चिमी तट की शासन व्यवस्था को फ़लस्तीनी प्राधिकरण द्वारा देखा जाना होगा और पुनर्बहाली के लिए सभी प्रयासों को दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में प्रयासों पर आधारित रखना होगा.

टोर वैनेसलैंड के अनुसार, क़ाबिज़ पश्चिमी तट में इसराइली बस्तियों का विस्तार बेरोकटोक जारी है. इसराइली सरकार ने इस प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिए अनेक क़दम उठाए हैं और कुछ मंत्री तो औपचारिक ज़मीन हड़प लेने की मांग कर रहे हैं.

उन्होंने ग़ाज़ा में तुरन्त युद्धविराम लागू किए जाने, सभी बन्धकों को रिहा किए जाने और मध्य पूर्व क्षेत्र में टकराव व तनाव में कमी लाने के लिए समन्वित कूटनैतिक प्रयास करने की अपनी अपील दोहराई.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।