'अब कोई बहाना नहीं’: महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए वैश्विक पुकार | 'No more excuses': Global call to end violence against women

महिलाओं के खिलाफ हिंसा का अंत: ‘अब कोई बहाना नहीं’ की पुकार 😨

यूएन महासचिव का संदेश: महिलाओं के खिलाफ हिंसा के वैश्विक संकट पर ध्यान

लिंग-आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए ठोस प्रगति और आगामी चुनौतियाँ

वैश्विक एकजुटता और जवाबदेही: महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम

  • महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता
  • बीजिंग घोषणापत्र और कार्रवाई के लिए प्लेटफ़ॉर्म की 30वीं वर्षगाँठ: नए संकल्प की आवश्यकता
  • लड़कों और पुरुषों को लिंग-आधारित हिंसा के खिलाफ सक्रिय रूप से भाग लेना होगा
  • महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर प्रभावी नीतियों की आवश्यकता: UN Women की प्रमुख सीमा बहाउस की राय
‘अब कोई बहाना नहीं’ की थीम पर आयोजित महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस में नेताओं ने लिंग-आधारित हिंसा के संकट को समाप्त करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। यूएन प्रमुख और अन्य वैश्विक नेताओं ने ठोस कदम उठाने का आह्वान किया। पढ़ें संयुक्त राष्ट्र समाचार की खबर
'No more excuses': Global call to end violence against women
'No more excuses': Global call to end violence against women


'अब कोई बहाना नहीं': महिलाओं के विरुद्ध हिंसा का अन्त करने की पुकार

इस वर्ष ‘महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के उन्मूलन के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ की 25वीं वर्षगाँठ मनाई जा रही है. इस अवसर पर सोमवार को विश्व नेताओं और लैंगिक पैरोकारों ने यूएन मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया जिसमें एक कटु वास्तविकता पर ध्यान केन्द्रित किया गया: महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा एक वैश्विक संकट के रूप में बरक़रार है.

‘कोई बहाना नहीं’ की थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में लिंग-आधारित हिंसा पर विराम लगाने के लिए पुकार लगाई गई. इस दिशा में प्रगति की दरकार है और इसके लिए तत्काल क़दम उठाए जाने होंगे.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस दिवस पर अपने सन्देश में मौजूदा चिन्ताजनक आँकड़ों पर क्षोभ व्यक्त किया.

“हर दिन, 140 महिलाओं व लड़कियों को उनके ही परिवार के सदस्य जान से मार देते हैं. हमें कठोर सच्चाई का सामना करना पड़ेगा: हमारी लड़ाई अभी ख़त्म होने से बहुत दूर है.”

यूएन महासभा के अध्यक्ष फ़िलेमॉन यैंग ने अपने सम्बोधन में ध्यान दिलाया कि इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस का उपयोग, सर्वोत्तम तौर-तरीक़ों का आदान-प्रदान करने, गम्भीर ख़ामियों की शिनाख़्त करने और महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा के उन्मूलन के लिए हमारे संकल्प को मज़बूती प्रदान करने में करना होगा.

चुनौतियों के बावजूद प्रगति


पिछले कुछ वर्षों में, लिंग-आधारित हिंसा पर लगाम लगाने के लिए ठोस प्रगति दर्ज की गई है. योरोपीय संघ की साझेदारी में ‘यूएन-स्पॉटलाइट’ पहल ने दर्शाया है कि प्रगति सम्भव है.

यूएन उप महासचिव आमिना जे. मोहम्मद ने इस कार्यक्रम की उपलब्धियों को साझा किया. “इस पहल ने ठोस प्रगति को दर्शाया है, जिसमें क़रीब 550 क़ानूनों व नीतियों को पारित करना या उन्हें लागू किया जाना भी है.”

इस पहल के ज़रिये, 30 लाख महिलाओं को अति-आवश्यक सेवाएँ प्रदान की गई हैं, और 80 लाख युवजन के लिए लैंगिक समानता कार्यक्रमों को लागू किया गया है.

महिला सशक्तिकरण के लिए यूएन संस्था (UN Women) की प्रमुख सीमा बहाउस के अनुसार, इन उपलब्धियों के बावजूद, लैंगिक हिंसा की रोकथाम के लिए अधिक स्तर पर निवेश की आवश्यकता है.

“हमें किसी भी रूप में वास्तविक प्रगति को नीचा दिखाने से बचना होगा, मगर हमें अपने साथ ईमानदार भी होना होगा कि यह अभी बहुत धीमी है, और राजनैतिक से लेकर टैक्नॉलॉजी तक, उभरती हुई चुनौतियों से ये ख़तरे में है.”

कार्रवाई की पुकार


कार्यक्रम के दौरान यह दोहराया गया कि लिंग-आधारित हिंसा को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए लड़कों व पुरुषों को सक्रियता से हिस्सा लेना होगा.

महासभा प्रमुख फ़िलेमॉन यैंग ने कहा कि इस लड़ाई में वे हमारे साथी हैं और उन्हें विचार करना होगा कि क्या कुछ बेहतर ढंग से किया जा सकता है.

साथ ही, उन्हें महिलाओं के विरुद्ध भेदभावपूर्ण रवैयों में बदलाव लाने और हिंसा की रोकथाम के लिए सक्रियता से क़दम उठाने होंगे.

आगामी दिनों में ‘बीजिंग घोषणापत्र और कार्रवाई के लिए प्लैटफ़ॉर्म’ की 30वीं वर्षगाँठ मनाई जाएगी. उससे पहले आयोजित इस कार्यक्रम में, वैश्विक एकजुटता व जवाबदेही और तीन दशक पहले किए गए वादों को पूरा करने के लिए नए सिरे से संकल्प लिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।