ग़ाज़ा में बनी हुई है विनाश और मौतों की स्थिति, लेबनान में राहत की आवश्यकता | Horrific situation of destruction and death continues in Gaza

ग़ाज़ा में विनाश और मौतों की बढ़ती संख्या 😰😰

  • संयुक्त राष्ट्र ने ग़ाज़ा के संकट पर गहरी चिंता जताई
  • लेबनान में युद्धविराम के बाद राहत की स्थिति

ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की सख्त आवश्यकता

  • युद्धविराम के बाद लेबनान में प्रभावितों के लिए मदद की पुकार
ग़ाज़ा में युद्ध के कारण भयावह स्थिति बरक़रार है, जिसमें खाद्य पदार्थों, पानी और आश्रय की कमी से लोग संघर्ष कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इस संकट को तत्काल रोकने की अपील की है, जबकि लेबनान में युद्धविराम के बाद राहत की आवश्यकता बढ़ गई है। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर से जानिए ग़ाज़ा की मौजूदा स्थिति के बारे में
Horrific situation of destruction and death continues in Gaza, affected people in Lebanon call for help
Horrific situation of destruction and death continues in Gaza, affected people in Lebanon call for help


ग़ाज़ा में विनाश और मौतों की भयावह स्थिति बरक़रार, लेबनान में प्रभावितों की मदद की पुकार

इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र – ग़ाज़ा में युद्ध के कारण अब भी भयावह स्थिति बनी हुई है. फ़लस्तीनी क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख अजिथ सुंघाय ने, इसराइल की घेराबन्दी के शिकार उत्तरी ग़ाज़ा इलाक़े का दौरा करके, ये जानकारी दी है. उन्होंने इस बार भूख के अत्यन्त गम्भीर स्तर पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है.

अजीत सुंघाय ने ग़ाज़ा में लगभग एक सप्ताह तक हालात का जायज़ा लेने के बाद, जॉर्डन की राजधानी अम्मान से वीडियो लिंक के ज़रिए, जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि ग़ाज़ा में तबाही का स्तर लगातार बद से बदतर हो रहा है, स्थानीय बाज़ार बिखर गए हैं.

उन्होंने बताया, "ग़ाज़ा में इस समय भोजन, पानी और आश्रय की सख़्त ज़रूरत है. मैंने देखा कि महिलाएँ और बच्चे, कूड़े-कचरे के ढेरों में, खाने-पीने की चीज़ें तलाश कर रहे थे. हर रोज़ लोगों की मौतें हो रही हैं, जबकि इन मौतौं को पूरी तरह से टाला जा सकता है."

"ग़ाज़ा के सभी लोगों की तरफ़ से ये गुहार नज़र आई कि इस विनाश को तत्काल रोका जाए."


अजीथ सुंघाय ने कहा कि खाद्य अभाव इस हद तक भयावह कर देने वाला है जैसा 13 महीने के युद्ध के दौरान कभी नहीं देखा गया. सार्वजनिक व्यवस्था ढह जाने के कारण संकट और भी गहरा हो गया है और बहुत कम संसाधनों के लिए लूटपाट और हिंसा की घटनाएँ बार-बार हो रही हैं.

उन्होंने कहा कि बहुत बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता की सख़्त ज़रूरत है.

लेबनान युद्धविराम के बाद की ज़रूरतें


इस बीच विभिन्न यूएन एजेंसियों ने, इसराइल और हिज़बुल्लाह के दरम्यान युद्धविराम का स्वागत करते हुए, इसे लाखों लोगों के लिए विशाल राहत क़रार दिया है.

ग़ौरतलब है कि इस सप्ताह हुए लेबनान युद्धविराम समझौते के बाद, वो लाखों लोग अपने घरों को वापिस लौटने लगे हैं, जो सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन कर गए थे.

जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय – OHCHR के प्रवक्ता जैरेमी लॉरेंस ने, तमाम पक्षों से, लेबनान युद्धविराम का सम्मान किए जाने और किसी भी तरह के विवादों को, इसी ढाँचे के तहत हल करने का आग्रह किया है.

प्रवक्ता जैरेमी लॉरेंस ने कहा कि अब ध्यान ज़रूरतमन्द लोगों की आवश्यक मदद करने पर लगाना चाहिए.

"इस अगले चरण के लिए, मानवाधिकारों को मुख्य केन्द्र में रखा जाना होगा. बहुत से लोगों को वापसी पर अपने घर रहने योग्य हालत में नहीं मिलेंगे. अस्पताल, स्कूल, प्रार्थना स्थल और अन्य अहम बुनियादी ढाँचे को व्यापक नुक़सान पहुँचा है."

उन्होंने कहा कि निर्बल परिस्थितियों वाले लोगों को संरक्षण मुहैया कराना प्राथमिकता होनी चाहिए.

प्रवक्ता जैरेमी लॉरेंस ने मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क की ये पुकार भी दोहराई जिसमें उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से इस युद्धविराम को लागू कराने में, समर्थन का आग्रह किया है.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।