वैक्सीनेशन में निवेश से एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) से निपटने में मदद: एंटीबायोटिक उपयोग में कमी और मृत्यु दर में रोकथाम

एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) और इसके खतरनाक प्रभाव


वैक्सीनेशन के जरिए AMR पर नियंत्रण: WHO की रिपोर्ट


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) को रोकने में वैक्सीनेशन एक महत्वपूर्ण उपाय है। वैक्सीन का सही उपयोग दवाओं के बेअसर होने वाले रोगाणुओं से निपटने और एंटीबायोटिक उपयोग को 22% तक घटाने में मदद कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर में पढ़ें कि कैसे टीके AMR से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और लाखों मौतों को रोक सकते हैं।
Investing in vaccination helps tackle antimicrobial resistance (AMR): reduce antibiotic use and prevent mortality
Investing in vaccination helps tackle antimicrobial resistance (AMR): reduce antibiotic use and prevent mortality



दवाओं को बेअसर करने वाले रोगाणुओं से निपटने के लिए, वैक्सीन में निवेश ज़रूरी


एंटीमाइक्रोबियल यानि रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) के कारण होने वाली मौतों की रोकथाम करने और एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल में कमी लाने में वैक्सीन से बड़ी मदद मिल सकती है. इनमें से कुछ वैक्सीन पहले से ही उपलब्ध हैं, लेकिन उनके इस्तेमाल को बढ़ाने और नए टीकों को विकसित करने के लिए निवेश पर बल दिया गया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरूवार को प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट मे बताया है कि वैक्सीन में निवेश के ज़रिये, हर वर्ष एंटीबायोटिक दवाओं की 2.5 अरब ख़ुराकों के इस्तेमाल को भी कम किया जा सकता है.

समय बीतने के साथ जीवाणुओं, विषाणुओं, फ़ंगस और परजीवियों में आने वाले बदलाव रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) की वजह हैं, जिससे दवाएँ बेअसर हो जाती हैं.

एंटीबायोटिक्स से लेकर एंटीवायरल जैसी एंटीमाइक्रोबियल दवाओं ने, एक सदी पहले खोज होने के बाद से ही, औसत जीवन-प्रत्याशा को काफ़ी बढ़ा दिया है. हर रोज, ये ज़रूरी दवाएँ, लाखों लोगों का जीवन बचाने में कारगर साबित होती हैं. लेकिन सम्भव है कि एक दिन ये दवाएँ असर करना बन्द कर दें

यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और विकास के नज़रिये से एक विशाल ख़तरा है, और हर साल क़रीब 50 लाख मौतों के लिए ज़िम्मेदार है. इसकी एक बड़ी वजह एंटीबायोटिक दवाओं का ग़लत ढंग से या फिर अत्यधिक इस्तेमाल किया जाना भी है.

AMR की चुनौती पर पार पाने के लिए वैश्विक प्रयासों में वैक्सीन की भूमिका को बेहद अहम माना गया है. उनकी मदद से संक्रमण की रोकथाम की जा सकती है, एंटीमाइक्रोबियल दवाओं के इस्तेमाल में कमी लाई जा सकती है और दवाओं को बेअसर करने वाले रोगाणुओं के उभरने व फैलने की रफ़्तार को धीमा किया जा सकता है.

वैक्सीन, एक प्रमुख उपाय


यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने बताया कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से निपटना, संक्रमण की रोकथाम से शुरू होता है और इसके लिए वैक्सीन सबसे शक्तिशाली उपायों में है.

रिपोर्ट के अनुसार, 24 रोगाणुओं के विरुद्ध लड़ाई में वैक्सीन से मदद मिल सकती है, और एंटीबायोटिक के इस्तेमाल में 22 फ़ीसदी तक की कमी लाई जा सकती है.

बहुत सी वैक्सीन पहले से ही उपलब्ध हैं, मगर उनका इस्तेमाल कम किया जाता है, जबकि अन्य को जल्द से जल्द विकसित करके बाज़ार में लाए जाने की आवश्यकता है.

मौतों की रोकथाम


यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, न्यूमोकॉकस न्यूमोनिया, हेमोफ़िलुस इन्फ़्लुएंज़ा टाइप बी से बचाव के लिए पहले से ही टीकों का इस्तेमाल किया जाता रहा है, जोकि न्यूमोनिया, टायफ़ॉयड, मेनिनजाइटिस समेत अन्य बीमारियों के लिए ज़िम्मेदार हैं.

इसके इस्तेमाल से एक लाख मौतों को टालने में मदद मिल सकती है, जबकि टीबी और क्लेबसिएला न्यूमोनिए के लिए वैक्सीन से क़रीब साढ़े पाँच लाख मौतों की रोकथाम सम्भव है.

WHO महानिदेशक ने कहा कि उपचार से बेहतर रोकथाम है और मौजूदा टीकों की सुलभता बढ़ा करके और नई वैक्सीन को विकसित करके, ज़िन्दगियों की रक्षा करना और AMR को थामना अहम है.

टीकाकरण के दायरे में आए लोगों को संक्रमण होने की सम्भावना कम होगी और उन्हें अन्य प्रकार के संक्रमणों से भी बचाया जा सकेगा. साथ ही, उन्हें अस्पतालों में भर्ती करने और वहाँ एंटीबायोटिक दवाएँ देने की आवश्यकता नहीं होगी.

कार्रवाई की पुकार


रोगाणुरोधी प्रतिरोध की एक बड़ी आर्थिक क़ीमत भी है, और वैक्सीन के ज़रिये उसे रोका जा सकता है.

विश्व भर में, AMR के इलाज के लिए भर्ती होने वाले मरीज़ों पर हर वर्ष 730 अरब डॉलर ख़र्च होता है. उन्हें वैक्सीन के दायरे में लाकर, AMR की वजह से होने वाले अस्पताल ख़र्चों में एक तिहाई की कटौती की जा सकती है.

सितम्बर 2024 में, यूएन महासभा के वार्षिक उच्चस्तरीय सप्ताह के दौरान, विश्व नेताओं ने एक राजनैतिक घोषणापत्र पारित किया था, जिसमें AMR पर पार पाने के लिए ठोस लक्ष्य स्थापित किए गए हैं. इनमें AMR के कारण होने वाली मौतों में वर्ष 2030 तक 10 प्रतिशत की कमी लाना भी है.

राजनैतिक घोषणापत्र में कई अहम उपायों पर बल दिया गया है, जैसेकि वैक्सीन, दवाओं, उपचार व निदान की सुलभता बढ़ाना; और शोध व नवाचारी समाधानों को प्रोत्साहन देने के लिए वित्तीय समर्थन सुनिश्चित करना.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।