पूर्व यूएन चीफ डैग हैमरशोल्ड की रहस्यमयी विमान दुर्घटना: 63 साल बाद आज भी अनसुलझी

डैग हैमरशोल्ड की रहस्यमयी मौत: 1961 का विमान हादसा

क्या सदस्य देश छुपा रहे हैं अहम दस्तावेज़?

संयुक्त राष्ट्र की जाँच प्रक्रिया और नई समीक्षा


  • विमान हादसे के संभावित कारण
  • तंज़ानिया के मुख्य न्यायाधीश की नवीनतम रिपोर्ट
  • डैग हैमरशोल्ड: एक दूरदर्शी और अभूतपूर्व राजनयिक

1961 में तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव डैग हैमरशोल्ड की विमान दुर्घटना की गुत्थी (Mysterious plane crash of former UN chief Dag Hammarskjöld) आज भी अनसुलझी है। हाल ही में हुई नई समीक्षा के मुताबिक़, कई अहम दस्तावेज़ अब भी छुपाए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर से जानिए इस ऐतिहासिक हादसे से जुड़े प्रमुख तथ्यों और नए खुलासों के बारे में।
Mysterious plane crash of former UN chief Dag Hammarskjöld: Still unsolved even after 63 years
Mysterious plane crash of former UN chief Dag Hammarskjöld: Still unsolved even after 63 years



पूर्व यूएन प्रमुख की विमान हादसे में मौत की गुत्थी, 63 वर्ष बाद भी अनसुलझी

संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में सबसे लम्बे समय तक जारी रहने वाले रहस्यों में से एक घटना है: 1961 में एक विमान हादसे में तत्कालीन यूएन महासचिव डैग हैमरशोल्ड समेत सभी सवार यात्रियों की मौत होना. मगर, यह अभी रहस्य की पर्तों में ही घिरी रहेगी. शुक्रवार को जारी एक नई समीक्षा के अनुसार, चन्द सदस्य देश इस घटना से जुड़े अहम तथ्यों को अब भी दबाए हुए हैं.

डैग हैमरशोल्ड ने यूएन के शीर्षतम अधिकारी के रूप में अपना दायित्व अप्रैल 1953 में सम्भाला और वह 56 वर्ष की आयु में अपनी मृत्यु तक इसी पद पर सेवारत रहे.

इस हादसे के समय वह अन्य यूएन कर्मचारियों के साथ चार्टर्ड ‘डगलस डीसी6’ एयरक्राफ़्ट में सफ़र कर रहे थे. SE-BDY के नाम से पंजीकृत यह विमान 17-18 सितम्बर 1961 की रात में ज़ाम्बिया (पूर्व उत्तरी रोडेशिया) के न्डोला के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

पूर्व महासचिव हैमरशोल्ड यूएन शान्तिरक्षकों और काँगो से अलग हुए क्षेत्र कटांगा के अलगाववादियों के बीच युद्धविराम पर बातचीत करने के लिए जा रहे थे. नए, स्वतंत्र काँगो के लिए एक शान्ति समझौता होने की भी सम्भावना थी.

इस विमान में सवार 15 में से 14 यात्रियों की तभी मौत हो गई थी, जबकि गम्भीर रूप से घायल एक व्यक्ति ने बाद में दम तोड़ा.

रोडेशियाई प्रशासन की आरम्भिक रिपोर्ट के अनुसार, इस हादसे के लिए विमान पायलट की ग़लती को ज़िम्मेदार माना गया था, लेकिन इस निष्कर्ष पर विवाद हुआ.

प्रत्यक्षदर्शियों के आधार पर अनेक सम्भावनाओं पर विचार हुआ है, जैसेकि आकाश में एक से अधिक विमान, शायद जेट को देखा गया था.

दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले SE-BDY विमान में आग लगी हुई थी, या फिर उस पर गोलीबारी हुई थी या किसी अन्य विमान द्वारा उसका पीछा किया जा रहा था.

जाँच कार्रवाई

समय बीतने के साथ, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पूर्व महासचिव की मौत की जाँच के लिए सिलसिलेवार ढंग से प्रयास किए हैं. इनमें सबसे नवीनतम जाँच दिसम्बर 2022 में, तंज़ानिया के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद चान्दे उथमान की अगुवाई में की गई.

वह अतीत में भी, इस हादसे और उसके इर्दगिर्द घटनाक्रम पर कई अन्य जाँच प्रक्रियाओं का हिस्सा रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने शुक्रवार को तंज़ानिया के पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा तैयार इस रिपोर्ट को यूएन महासभा के लिए भेज दिया है.

अहम जानकारी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने बताया कि इस नवीनतम जाँच अपडेट में अहम जानकारी यूएन महासभा को सौंपी गई है.

ये जानकारी विमान हादसे के विषय में सदस्य देशों द्वारा गोपनीय ढंग से हासिल की गई सूचना, कटांगा के सशस्त्र बलों की SE-BDY विमान पर हमला करने की क्षमता, और विदेशी एजेंटों के इस घटना में शामिल होने या उनकी मौजूदगी से जुड़ी हुई है.

इसके अलावा, 1961 में हुए घटनाक्रम के सन्दर्भ में भी अतिरिक्त जानकारी साझा की गई है.

यूएन उप प्रवक्ता ने कहा, “इस पड़ाव पर [श्री उथमान] की समीक्षा के अनुसार यह सम्भव है कि बाहर से किया गया कोई हमला या धमकी, इस दुर्घटना की वजह हो.”

उन्होंने वैकल्पिक सम्भावना पर भी विचार किया है, जिसके अनुसार यह घटना जानबूझकर की गई तोड़फोड़ या ग़ैर-इरादतन मानवीय त्रुटि के कारण हुई हो.

दबे हुए दस्तावेज़

जाँचकर्ता के अनुसार, यह क़रीब निश्चित है कि कुछ अहम जानकारी को अब तक दबाकर रखा गया है, जोकि सदस्य देशों के रिकॉर्ड में तो है, मगर उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है.
यूएन उप प्रवक्ता ने बताया कि जाँच की अगुवाई कर रहे पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कुछ सदस्य देशों से जानकारी मुहैया कराने का अनुरोध किया है, मगर उन्हें कोई जवाब नहीं मिल पाया है.

संयुक्त राष्ट्र महाचसिव ने भी इस सिलसिले में इन निवेदनों की ओर सदस्य देशों का ध्यान आकृष्ट किया है, और उनके पास मौजूद प्रासंगिक जानकारी को मुहैया कराने की अपील की है.

“ठोस प्रगति दर्ज की गई है. महासचिव ने हम सभी से अपने निश्चय व संकल्प को फिर से मज़बूती देने का आग्रह किया है, ताकि 1961 की उस रात को हुए घटनाक्रम की पूरी सच्चाई को जाना जा सके.”

एक ‘अभूतपूर्व’ हस्ती

स्वीडन के डैग हैमरशोल्ड को केवल 47 वर्ष की आयु में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के तौर पर नियुक्त किया गया था. वह अब तक इस संगठन के सबसे युवा शीर्षतम अधिकारी रहे हैं.

उन्हें एक सुधारक और दूरदृष्टि वाले राजनयिक के रूप में देखा जाता है. उन्होंने विशाल वैश्विक तनावों के उस दौर में संयुक्त राष्ट्र को मज़बूती देने के प्रयास किए, और उसी समय अफ़्रीका व एशिया में देशों को औपनिवेशवाद के चंगुल से मुक्त कराया जा रहा था.

वर्ष 1956 के उथलपुथल भरे घटनाक्रम में उनका नेतृत्व बेहद महत्वपूर्ण था. उन्होंने मध्य पूर्व में युद्धविराम मिशन की अगुवाई की और स्वेज़ नहर संकट तक उसे जारी रखा.

स्वेज़ संकट के दौरान, उन्होंने मिस्र से विदेशी सेना की वापसी पर वार्ता में भूमिका निभाई और यूएन के पहले आपात शान्तिरक्षा मिशन की तैनाती की देखरेख की.

पूर्व महासचिव को सार्वजनिक सेवा में उनकी सत्यनिष्ठा व समर्पण के लिए जाना जाता है. यूएन चार्टर में अभिव्यक्त सिद्धान्तों व उद्देश्यों के अनुरूप, संयुक्त राष्ट्र को एक कारगर व सृजनात्मक अन्तरराष्ट्रीय संगठन के रूप में आकार देने में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

नोबेल से सम्मानित वे एकमात्र ऐसी हस्ती हैं, जिन्हें मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया था.


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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।