यूक्रेन के जनसांख्यिकी संकट की गहराती चुनौती : आबादी में 1 करोड़ की गिरावट | Ukraine's population has declined by 10 million since the war

युद्ध के चलते विस्थापन और इसका प्रभाव

यूक्रेन का जनसांख्यिकी संकट: कारण और प्रभाव

आबादी में गिरावट के प्रमुख कारण

UNFPA की जनसांख्यिकी रणनीति

शांति और स्थिरता की आवश्यकता

  • जन्म दर में गिरावट और जनसांख्यिकी संकट
  • विस्थापन के आर्थिक और सामाजिक परिणाम
  • मानव पूंजी और यूक्रेन की राष्ट्रीय रणनीति
  • जनसांख्यिकी संकट के समाधान के लिए उठाए गए कदम
  • यूक्रेन में शांति और पुनर्निर्माण का महत्व

यूक्रेन 2014 के बाद से गंभीर जनसांख्यिकी संकट का सामना कर रहा है। युद्ध के बाद से आबादी में 1 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई है, जिसमें से 80 लाख लोग विस्थापित हुए हैं। UNFPA ने मानव पूंजी और सामाजिक-आर्थिक सुधारों पर ज़ोर दिया है। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस ख़बर से जानते हैं पूरा प्रकरण
Ukraine's population has declined by 10 million since the war
Ukraine's population has declined by 10 million since the war



यूक्रेन, जनसांख्यिकी संकट की चपेट में; 2014 के बाद से आबादी में 1 करोड़ की गिरावट


यूक्रेन एक बड़े जनसांख्यिकी संकट से जूझ रहा है. यहाँ बच्चों की जन्म दर पहले से ही ढलान पर थी, मगर रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के बाद से यह स्थिति और चिन्ताजनक रूप धारण कर रही है. यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के लिए यूएन एजेंसी (UNFPA) ने मंगलवार को अपने एक विश्लेषण यह चेतावनी दी है.

युद्ध के कारण यूक्रेनी नागरिक अन्य देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हैं, प्रजनन दर घट रही है और लड़ाई में लोग हताहत हो रहे हैं. पहले वर्ष 2014 और फिर 2022 में रूसी आक्रमण के बाद से जनसांख्यिकी सम्बन्धी रुझान बद से बदतर हुए हैं.

वर्ष 2014 में रूसी आक्रमण के बाद से अब तक, यूक्रेनी आबादी में कुल एक करोड़ की गिरावट दर्ज की गई है, जिसमें से क़रीब 80 लाख 2022 के बाद विस्थापित हुए हैं.

यूक्रेन से अन्य देशों में शरण लेने वाले शरणार्थियों की संख्या अब 67 लाख तक पहुँच चुकी है. युवा आबादी के देश छोड़ने से अर्थव्यवस्था पर गहरा असर हुआ है.

यूएन एजेंसी ने जनसांख्यिकी की गहराती चुनौती से निपटने के लिए ऐसी रणनीतियों को अपनाने पर बल दिया है, जोकि मानव पूंजी को प्रोत्साहन देने व सामाजिक-आर्थिक सुधारों पर केन्द्रित हों.

पूर्वी योरोप व मध्य एशिया के लिए UNFPA की क्षेत्रीय निदेशक फ़्लोरेंस बाउर ने जिनीवा में बताया कि हिंसा के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, हज़ारों की मौत हो चुकी है.

उनके अनुसार, देश को मौजूदा संकट से उबारने के लिए मानव पूंजी बेहद आवश्यक है मगर इसमें गम्भीर पतन हो रहा है.

जनसांख्यिकी संकट


यूएन एजेंसी का कहना है कि युद्ध शुरू होने से पहले से ही, यूक्रेन व्यापक पैमाने पर जनसांख्यिकी चुनौतियों से जूझ रहा था. यहां प्रति महिला बाल दर एक पर है, जोकि योरोप में सबसे कम है.

योरोप के अन्य देशों की तुलना में कम जन्म दर होने के अलावा, यहाँ की आबादी बुज़ुर्ग हो रही है और बड़ी संख्या में लोग अवसरों की तलाश में अन्य देशों का रुख़ कर रहे हैं.

इसके जवाब में, यूक्रेन ने UNFPA के समर्थन से एक राष्ट्रीय जनसांख्यिकी रणनीति विकसित की है, जिसमें केवल बाल जन्म दर बढ़ाने के बजाय मानव पूंजी पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.

शान्ति की अहमियत


यूक्रेन सरकार का मानना है कि जनसांख्यिकी संकट के समाधान के लिए यह ज़रूरी है कि इसकी सामाजिक-आर्थिक वजहों से भी निपटा जाए.

इसके तहत, देखभाल व्यवस्था को लोगों तक पहुँचाना, स्वास्थ्य सेवा व शिक्षा के दायरे में विस्तार करना, और युवजन व परिवारों के लिए बेहतर जीवन के नए अवसर सृजित करना है.

इस रणनीति में स्वीडन जैसे देशों के अनुभवों से सबक़ लिया गया है, और इसमें लैंगिक समानता व कार्यस्थल पर परिवार-अनुकूल माहौल तैयार करने और समावेशी सामाजिक व आर्थिक नीतियों को अपनाने की पैरवी की गई है.

क्षेत्रीय निदेशक फ़्लोरेंस बाउर ने कहा कि जनसांख्यिकी संकट के समाधान की ओर जाने वाला रास्ता, इस बात पर भी निर्भर करेगा कि यूक्रेन में शान्ति कब लौटेगी. इसके बावजूद, देश को इस समस्या से उबारने के लिए नींव अभी तैयार की जा सकती है.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।