मध्य पूर्व संकट: सीरिया पर बढ़ता खतरा, सुरक्षा परिषद में चिंता

संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: युद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है

मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के चलते सीरिया में हालात गंभीर होते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने सुरक्षा परिषद में चेतावनी दी है कि क्षेत्रीय संकट का प्रभाव सीरियाई नागरिकों पर भी पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र समाचार की ख़बर से जानिए सीरिया में वर्तमान स्थिति और मानवीय संकट की गहराई के बारे में।

Middle East crisis: Growing threat to Syria, concern in Security Council
Middle East crisis: Growing threat to Syria, concern in Security Council


मध्य पूर्व: क्षेत्रीय संकट की आँच पहुँची सीरिया तक, सुरक्षा परिषद में चर्चा

सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने आगाह किया है कि मध्य पूर्व क्षेत्र में बढ़ते तनाव के कारण, सीरिया टकराव के गर्त में धँसता जा रहा है. हाल के दिनों में इसराइली हवाई हमलों, हिज़बुल्ला द्वारा रॉकेट दागे जाने और लेबनान में बड़े पैमाने पर पेजर विस्फोटों की पृष्ठभूमि में उन्होंने यह बात कही है.

यूएन दूत गेयर पैडरसन ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को सीरिया में हालात से अवगत कराया, जोकि 2011 से ही गृहयुद्ध में झुलस रहा है.

उन्होंने दमिश्क के अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में एक वाहन पर हुए हमले का उल्लेख करते हुए चिन्ता जताई है कि वृहद क्षेत्र में युद्ध भड़कने का ख़तरा बढ़ रहा है, जिसकी चपेट में सीरियाई नागरिक भी आ जाएंगे. 

इसके मद्देनज़र, तनाव में कमी लाने की अपील की गई है और ग़ाज़ा में युद्धविराम लागू किया जाना इसके लिए अहम है.

गेयर पैडरसन ने बताया कि सीरिया में सरकार-समर्थित समूहों और आतंकी गुटों हयात तहरीर अल-शम, इस्लामिक स्टेट (आइसिल-सीरिया) के बीच लड़ाई हो रही है, जिसमें भारी हथियारों, ड्रोन और निशानेबाज़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

गहरे विभाजन और टकराव से गुज़र रहे सीरिया में, लाखों नागरिक सरकारी नियंत्रण वाले इलाक़ों में हैं, मगर लाखों अन्य ऐसे इलाक़ों में रह रहे हैं, जहाँ अब राजसत्ता ख़त्म हो गई है.

इन हालात में, ग़ाज़ा युद्ध की पृष्ठभूमि में एक क्षेत्रीय संकट पनपा है, जिसका असर सीरिया में बड़े पैमाने पर होने का ख़तरा है. यूएन दूत ने चेतावनी जारी की है कि सैन्य और क्षेत्रीय दरारों के अलावा, सीरियाई समाज भी बँट गया है.

“हिंसक टकराव की वजह, कष्ट वास्तविक हैं और बरक़रार हैं. टकराव-पश्चात सीरिया के लिए अलग-अलग राय व दृष्टि हैं.”

विशेष दूत ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र, सीरिया में सभी पक्षों को एक साथ लेकर चलने के प्रतिबद्ध है. राजनैतिक पक्षों के साथ-साथ नागरिक समाज को भी, देश के हर कोने और विदेश में बसे सीरियाई नागरिकों को प्रतिनिधित्व दिया गया है.

गहराता मानवतावादी संकट

सीरिया फ़िलहाल गहन मानवीय संकट से जूझ रहा है, लाखों आम नागरिक, विशेष रूप से बच्चे, जो अभूतपूर्व चुनौतियों से जूझ रहे हैं.

यूएन मानवतावादी कार्यालय में समन्वय प्रयासों के लिए निदेशक, रमेश राजासिंहम ने बताया कि देश में 1.6 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता व संरक्षण की आवश्यकता है, जिनमें से आधी आबादी बच्चों की है.

हताशा व ज़रूरतों के कारण स्थानीय परिवार कठिन निर्णय लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं, जैसेकि अपने छोटी उम्र में ही लड़कों को काम पर भेजा जा रहा है और लड़कियों की कम आयु में शादी कराई जा रही है.

बच्चों के यौन हिंसा व अन्य प्रकार के दुर्व्यवहार की चपेट में आने का भी जोखिम है, विशेष रूप से उनके लिए जो अपने परिवारों से बिछुड़ने के बाद विस्थापितों के शिविरों में रह रहे हैं.

यूएन अधिकारी ने सचेत किया कि सीरिया में मानवीय आवश्यकताएँ उछाल पर हैं, पर उसके लिए संसाधनों की कमी है. सीरिया के लिए 2024 में चार अरब डॉलर की धनराशि की अपील की गई थी, मगर फ़िलहाल 25 फ़ीसदी रक़म ही जुट पाई है.

राजनैतिक प्रक्रिया पर बल

यूएन दूत गेयर पैडरसन ने कहा कि इन कठोर वास्तविकताओं की छाया में वह आगे बढ़ने के लिए रास्ते की तलाश करते रहेंगे.

उनकी जल्द ही सीरियाई विदेश मंत्री से मुलाक़ात होगी और अगले सप्ताह सीरियाई वार्ता आयोग के प्रमुख से न्यूयॉर्क में मिलने का कार्यक्रम है. इसके अलावा, अन्य हितधारकों और दानदाता देशों के प्रतिनिधियों से भी बातचीत की जाएगी.

यूएन दूत का सन्देश स्पष्ट है: यूएन के तत्वाधान में राजनैतिक प्रक्रिया को तीन अहम मोर्चे पर आगे बढ़ाया जाना होगा: संवैधानिक समिति के मुद्दे पर बातचीत को फिर से जीवित करना, भरोसा बढ़ाने के लिए क़दम उठाना और सभी पक्षों के हितों के लिए नए समाधान ढूंढना.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।