फ्री होल्ड और लीज प्रॉपर्टी : 99 साल की लीज की अनूठी वजह और प्रभाव

जानें फ्री होल्ड और लीज प्रॉपर्टी में क्या फर्क है। क्यों लीज प्रॉपर्टी को 99 साल के लिए लीज पर दी जाती है? लीज की अवधि के बाद क्या होता है? विस्तार से जानकारी के लिए पढ़ें।
फ्री होल्ड और लीज प्रॉपर्टी: 99 साल की लीज की अनूठी वजह और प्रभाव
Freehold and leasehold properties: The unique reason and effect of a 99-year lease



फ्री होल्ड प्रॉपर्टी बनाम लीज प्रॉपर्टी : एक परिचय


प्रॉपर्टी दो तरह की होती हैं- फ्री होल्ड प्रॉपर्टी और लीज पर दी गई प्रॉपर्टी (Property on lease)। फ्री होल्ड प्रॉपर्टीज पर मालिक के अलावा किसी का हक नहीं होता। जबकि लीज प्रॉपर्टीज निर्माण के समय से लेकर 99 साल के लिए लीज पर दी जाती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 99 साल के लिए क्यों किसी संपत्ति को लीज पर दिया जाता है? लीज की अवधि खत्म होने के बाद या रिन्यूअल की स्थिति में प्रॉपर्टी का मालिक कौन होता है? आइये देखते हैं कि लीज 99 वर्ष के लिए ही क्यों दी जाती है?

99 साल की लीज की विशेषता: इसके पीछे के कारण


किसी इलाके का विकास प्राधिकरण बिल्डरों को जमीन के विकास का अधिकार देता है और 99 वर्षों के लिए संपत्तियों को लीज पर देता है। इसका मतलब है कि जो भी कोई रिहायशी या कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदता है, उसका 99 वर्षों के लिए उस पर अधिकार रहेगा। इसके बाद जमीन के मालिक के पास अधिकार आ जाएगा। लीज संपत्तियों के ग्राहकों को जमीन का किराया मालिक को देना पड़ता है। अवधि खत्म होने के बाद इन प्रॉपर्टीज का नवीकरण अर्थात् रिन्यूवल भी कराया जा सकता है।

लीज अवधि खत्म होने के बाद क्या होता है?

आमतौर पर लीज की अवधि खत्म होने के बाद सरकार कुछ पैसा चुकाने पर लीज प्रॉपर्टी को फ्री होल्ड में बदलने की मंजूरी दे देती है, या फिर एक और लीज खरीदने का अधिकार मुहैया कराती है।

पुरानी लीज प्रॉपर्टी खरीदने के फायदे और नुकसान

अगर किसी निवेशक की 30 साल पुरानी लीज संपत्ति पर नजर है तो उसे इसे आगे बेचने में मुश्किल हो सकती है, क्योंकि भावी खरीदारों को इसे फाइनेंस कराना आसान नहीं होगा। ऐसी संपत्तियों को लोग ज्यादा पसंद भी नहीं करते। खरीददार के सामने सबसे बड़ी चुनौती लीज खत्म होने के बाद व्यवसाय अनुबंध यानी ऑक्युपेंसी कॉन्ट्रैक्ट (Occupancy contract) पाने की होती है।

99 साल की लीज की कानूनी और वित्तीय वजहें

रिन्यूअल के अलावा पुरानी संपत्तियों में प्रॉपर्टी टैक्स जैसे अतिरिक्त खर्चे भी होते हैं। खरीदार को प्रॉपर्टी टाइटल और रजिस्ट्रेशन पेपर्स के ट्रांसफर में भी प्रॉब्लम हो सकती है।

दूसरी ओर अगर लीज प्रॉपर्टी के वंशजों का 99 वर्ष के लिए उस पर हक है तो उन्हें सिर्फ लीज रिन्यूअल का भुगतान करना होगा। वहीं बिल्डरों का मानना है कि जो प्रोजेक्ट्स कम अवधि की लीज पर दिए जाते हैं, उन्हें कंस्ट्रक्शन फंड नहीं मिल सकता, जिससे काम में देरी या निर्माण रुक सकता है।

लीज 99 साल के लिए ही क्यों ?

निश्चित रकम के बदले मालिक (लीज पर देने वाला) और ग्राहक (लेने वाला) के बीच एक समझौता होता है। इसमें संपत्ति पर कब्जे के लिए दोनों के अधिकार और दायित्वों का जिक्र होता है। अग्रीमेंट में नियम व शर्तें लिखी होती हैं, जिसमें अधिकारों की प्रकृति, लीज की अवधि, मालिक और ग्राहक के कर्तव्यों, शर्तें, टर्मिनेशन क्लॉज और विवाद निपटारा शामिल होता है।

समय अवधि का मकसद जमीन के बार-बार यूज और उसके ट्रांसफर पर लगाम लगाना है। शुरुआती दिनों में इसे एक सुरक्षित समय अवधि के विकल्प के तौर पर देखा गया था, जो लीज लाइफ को कवर करता है। साथ ही यह संपत्ति के मालिकाना हक को सुरक्षित रखने के लिए सही अवधि मानी गई।

लीज प्रॉपर्टी से जुड़ी कुछ अहम बातें | पुरानी लीज प्रॉपर्टी के चुनौतियाँ और समाधान

  • न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी (Noida) ने सिर्फ लीज वाली जमीन पर अपार्टमेंट बनाने का ऑफर दिया है।

  • कीमत चुकाने के बाद लीज की अवधि 999 साल तक बढ़वाई जा सकती है।

  • लीज पर दी गई प्रॉपर्टी खरीदने पर खरीदार को यह पुष्ट करना होगा कि विक्रेता को स्थानीय विकास प्राधिकरण से ट्रांसफर मेमोरेंडम (Transfer momorandam) मिला है।

बिल्डर्स लीज वाली जमीन पर फ्लैट बनाना क्यों पसंद करते हैं?

बिल्डर्स भी लीज वाली जमीन पर फ्लैट बनाना पसंद करते हैं, क्योंकि इनकी कीमत फ्रीहोल्ड वाली जमीनों की तुलना में कम होती है।

बैंक लीज प्रॉपर्टी की खरीद को फाइनेंस करना पसंद नहीं करते, खासकर उस वक्त जब बची हुई लीज की अवधि 30 साल से कम हो।

लीज प्रॉपर्टी में निवेश करने का सबसे अहम फायदा उसकी कीमत है, जो अकसर फ्रीहोल्ड जमीन पर बनी प्रॉपर्टी से कम होती है।

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।