ग़ाज़ा में पोलियो वायरस का फैलाव: यूएन एजेंसियों ने किया स्वास्थ्य संकट पर ध्यान केंद्रित
ग़ाज़ा में जारी भीषण युद्ध के बीच पोलियो वायरस फैलने का जोखिम बना हुआ है। यूएन एजेंसियाँ पोलियो संक्रमण रोकने के लिए व्यापक वैक्सीनेशन अभियान की अपील कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस ख़बर से जानें पोलियो के जोखिम, ग़ाज़ा में वैक्सीनेशन की स्थिति और यूएन के प्रयासों के बारे में।
ग़ाज़ा में पोलियो वायरस फैलने का उच्च जोखिम बरक़रार
पिछले लगभग दर महीनों से भीषण युद्ध से त्रस्त ग़ाज़ा में पोलियो फैलने का जोखिम बरक़रार है, ऐसे में यूएन मानवीय सहायता एजेंसियों ने इस गम्भीर स्वास्थ्य चुनौती का सामना करने के लिए तुरन्त और व्यापक कार्रवाई किए जाने की पुकार लगाई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनीसेफ़ ने ताज़ा जानकारी में बताया है कि इस संक्रामक बीमारी का फैलाव रोकने के लिए, पोलियो निरोधक वैक्सीन की कम से कम दो ख़ुराकें पिलाए जाने की ज़रूरत है.
यूएन एजेंसियों के अनुसार ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस और दियर अल बलाह इलाक़ों में 23 जून को गन्दगी के नालों से कुछ नमूने एकत्र किए गए थे जिनमें वैश्विक पोलियो प्रयोग शाला नैटवर्क (GPLN) ने, इन नमूनों में 16 जुलाई को पोलियो संक्रमण होने की पुष्टि की थी.
उसके बाद विभिन्न एजेंसियाँ पोलियो फैलाव के जोखिम को टालने के प्रयासों में सक्रिय हो गई हैं जिनके तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ सप्ताह पहले, पोलियो निरोधक वैक्सीन की लाखों ख़ुराकें, ग़ाज़ा में भेजने की घोषणा की थी.
पक्षाघात के मामले
ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने जुलाई के अन्त में पक्षाघात यानि फ़ालिज़ के तीन मामले दर्ज किए थे और उनके नमूने परीक्षण के लिए जॉर्डन भेजे थे.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) के अनुसार अत्यन्त गम्भीर क़िस्म का पक्षाघात होने के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें पोलियो वायरस भी एक है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ दिन पहले बताया था कि वैसे तो ग़ाज़ा में, युद्ध से पहले पोलियो निरोधक वैक्सीन की कवरेज शानदार स्तर की थी.
मगर कई महीनों के युद्ध ने पोलियो वायरस निरोधक वैक्सीन के कमज़ोर पड़ने के लिए सटीक वातावरण मुहैया करा दिया है.
ऐसे में पोलियो वायरस ने अपनी एक मज़ूबत रूप तैयार कर लिया है जो, उन लोगों में पक्षाघात या फ़ालिज़ उत्पन्न कर सकता है, जिन्होंने वैक्सीन की पूर्ण ख़ुराकें नहीं पी हैं.
WHO और UNICEF ने ग़ाज़ा पट्टी में जारी भीषण लड़ाई और असुरक्षा के हालात में, पोलियो वैक्सीन की ख़ुराकों की अपूर्ति में देरी पर भी चिन्ता व्यक्त की है.
इस बीच ग़ाज़ा युद्ध के कारण मध्य पूर्व क्षेत्र में तनाव भड़कने की आशंकाएँ भी उत्पन्न हो गई हैं.
सहायता कर्मियों की मदद की पुकार
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने ग़ाज़ा में दस वर्ष तक की उम्र के लगभग 6 लाख 40 हज़ार 500 बच्चों को पिलाए जाने के लिए, हाल ही में पोलियो निरोधक वैक्सीन की क़रीब 12 लाख 30 हज़ार ख़ुराकों को मंज़ूरी दी थी.
उस सन्दर्भ में यूएन एजेंसियों ने ज़ोर दिया है कि ग़ाज़ा में एक मानवीय युद्ध ठहरा की अत्यन्त आवश्यकता है ताकि पोलियो के संक्रमण फैलाव के जोखिम कम करने के लिए, बच्चों को वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाई जा सकें.
एजेंसियों का ये भी कहना है कि बड़े पैमाने पर चलाए जाने वाले वैक्सीन अभियान के असरदार साबित होने के लिए, स्वास्थ्यकर्मियों को लगातार सुरक्षा मुहैया कराया जाना बहुत ज़रूरी है.
उन्होंने यह ध्यान भी दिलाया है कि ग़ाज़ा में 36 में से केवल 16 अस्पताल ही, आंशिक रूप से काम कर पा रहे हैं. साथ ही 107 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से केवल 48 इकाइयाँ ही काम कर पा रही हैं.
WHO और यूनीसेफ़ ने बताया है कि ग़ाज़ा में, पोलियो निरोधक वैक्सीन पिलाए जाने की नियमित कवरेज वर्ष 2022 में 99 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2024 की पहली तिमाही में कम होकर 90 प्रतिशत पर पहुँच गई.
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