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ग़ाज़ा में आम फ़लस्तीनियों के लिए ‘ना तो कोई घर, ना ही कोई उम्मीद’ : संयुक्त राष्ट्र महासचिव
'No home, no hope' for ordinary Palestinians in Gaza: UN Secretary-General 😰😯
ग़ाज़ा पट्टी में हालात पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (United Nations Secretary General Antonio Guterres) ने तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने की अपील दोहराते हुए कहा है कि बंधक बना कर रखे गए लोगों को तत्काल, बिना किसी शर्त के रिहा किया जाना होगा।
गुरूवार को न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए गुटेरेस ने ध्यान दिलाया कि रफ़ाह में ग़ाज़ा की क़रीब आधी आबादी ने शरण ली हुई है, और ना तो उनके पास जाने के लिए कोई घर है और ना ही कोई उम्मीद है.
संयुक्त राष्ट्र समाचार के मुताबिक उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व में दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में अन्तरराष्ट्रीय क़ानून, यूएन प्रस्तावों और अतीत के समझौतों के आधार पर वास्तविक, ठोस क़दम उठाए जाने होंगे।
गुटेरेस ने क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि बार-बार होने वाले रक्तरंजित टकराव, दशकों के तनाव व क़ब्ज़े से ना तो फ़लस्तीनियों को अपना देश मिला है और ना ही इसराइल को सुरक्षा हासिल हुई है।
उन्होंने कहा कि,
“मध्य पूर्व और विश्व भर में, हमें हर मायने में शान्ति की आवश्यकता है...हमारी दुनिया अब और प्रतीक्षा नहीं कर सकती है.”
2024 के लिए शान्ति, एक साझा डोर
संयुक्त राष्ट्र समाचार के मुताबिक यूएन महासचिव ने बुधवार को यूएन महासभा में अपने सम्बोधन का उल्लेख किया, जहाँ उन्होंने वर्ष 2024 के लिए अपनी प्राथमिकताओं को साझा किया था।
यूएन प्रमुख के अनुसार, गहराते टकरावों, भूराजनैतिक दरारों और समुदायों के बीच बढ़ते ध्रुवीकरण के इस दौर में, शान्ति ही वह साझा डोर है, जोकि विश्व में बहुआयामी चुनौतियों को एक साथ जोड़ती है।
गुटेरेस के मुताबिक, विश्व फ़िलहाल जलवायु आपात स्थिति से लेकर परमाणु हथियार और कृत्रिम बुद्धिमता के अनियंत्रित विस्तार तक ऐसी अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है जो कि उसके अस्तित्व के लिए ख़तरा हैं।
उन्होंने इसके मद्देनज़र समन्वित प्रयासों की पुकार लगाई है। उन्होंने कहा, “इसके लिए, विकसित व विकासशील देशों, धनी व उभरते हुए देशों, उत्तर व दक्षिण और पूर्व व पश्चिम के बीच एक गम्भीर बातचीत की ज़रूरत होगी।”
सुधार की आवश्यकता
यूएन प्रमुख ने संस्थागत सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया, जिसकी शुरुआत सुरक्षा परिषद, विश्व बैंक और अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (international monetary fund) में सुधार के ज़रिये की जानी होगी।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि दुनिया एकध्रुवीय व्यवस्था से बहुध्रुवीय जगत की ओर बढ़ रही है, जिसके मद्देनज़र, नए सिरे से समावेशी, बहुपक्षीय तंत्रों का निर्माण किया जाना होगा, ताकि जोखिमों को पनपने से रोका जा सके।
एंटोनियो गुटेरेस ने इस क्रम में सितम्बर 2024 में आयोजित होने वाली ‘भविष्य की शिखर बैठक’, शान्ति के लिए नए एजेंडा, एसडीजी स्फूर्ति पैकेज और कृत्रिम बुद्धिमता पर परामर्शदाता बोर्ड की अहमियत को रेखांकित किया।
यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि मौजूदा संस्थाओं को वर्तमान दौर के अनुरूप गढ़ा जाना होगा, और साथ ही, यूएन चार्टर, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून, और अन्तर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून (international humanitarian law) समेत अन्य सिद्धान्तों को सहेज कर रखना होगा।
यूक्रेन और ग़ाज़ा में हालात चिन्ताजनक (Situation in Ukraine and Gaza is worrying)
महासचिव ने कहा कि ग़ाज़ा और यूक्रेन में जारी हिंसक टकराव विशेष रूप से चिन्ताजनक हैं, जहाँ परिस्थितियाँ बद से बदतर होती जा रही हैं.
वहीं, यूएन मानवीय सहायता अभियानों को ज़रूरतमन्दों तक पहुँचने की अनुमति ना मिल पाने, देरी होने और अन्य ख़तरों से जूझना पड़ रहा है।
यूएन प्रमुख ने इसराइली सैन्य बलों द्वारा रफ़ाह को अपना अगला निशाना बनाए जाने की ख़बरों पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त की।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि रफ़ाह में ग़ाज़ा की क़रीब आधी आबादी ने शरण ली है, और ना तो उनके पास जाने के लिए कोई अन्य स्थान है और ना ही कोई उम्मीद है।
उन्होंने कहा “एक बात स्पष्टता से समझनी होगी- मानवीय सहायता मार्ग को नकारा जाना, आम लोगों के लिए मानवीय राहत को नकारा जाना है।”
Half of Gaza’s population is now crammed into Rafah with nowhere to go.
Reports that the Israeli military intends to focus next on Rafah are alarming.
Such an action would exponentially increase what is already a humanitarian nightmare with untold regional consequences.
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।
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