विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस : महिलाएँ मरुस्थलीकरण से सर्वाधिक प्रभावित
17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस (World Day to Combat Desertification and Drought in Hindi) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से मरुस्थलीकरण और सूखे के प्रभाव का मुकाबला किया जाए और इस मुद्दे की सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ावा दिया जाए।
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Drought and desertification |
नई दिल्ली/ 16 जून 2023 संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने ‘मरुस्थलीकरण एवं सूखे से मुक़ाबले के लिए विश्व दिवस’ के सिलसिले में आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए महिलाओं के भूमि अधिकार सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया है.
हर वर्ष 17 जून को मनाए जाने वाले विश्व दिवस पर इस साल अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शुक्रवार को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया.
महासचिव गुटेरेस ने इस अवसर पर अपने वीडियो सन्देश में कहा कि, “समान भूमि अधिकारों से भूमि की रक्षा होती है और लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलता है.”
उन्होंने सभी देशों की सरकारों से महिलाओं के भू-स्वामित्व के रास्ते में आने वाले सभी क़ानूनी अवरोधों को हटाने और उन्हें नीति-निर्धारण प्रक्रिया में शामिल किए जाने का आग्रह किया है.
“हम अपनी गुज़र-बसर के लिए भूमि पर निर्भर करते हैं, और फिर भी उसके साथ धूल जैसा बर्ताव करते हैं.” इसके मद्देनज़र, उन्होंने कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
विश्व में कृषि सम्बन्धी कार्यबल का महिलाएँ लगभग 50 फ़ीसदी हैं, मगर भूमि पट्टे, कर्ज़ सुलभता, समान आय, और निर्णय-निर्धारण प्रक्रिया में भेदभावपूर्ण तौर-तरीक़ों के कारण, भूमि को स्वस्थ बनाए रखने में उनकी सक्रिय भागीदारी प्रभावित होती है.
मरुस्थलीकरण से मुक़ाबले के लिए यूएन सन्धि (UNCCD) के अनुसार, विश्व भर में हर पाँच भू-धारकों में केवल एक महिला है.
यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि स्वाभाविक प्रक्रिया से भूमि बहाल होने की तुलना में खेती-बाड़ी के टिकाऊ तौर-तरीक़ों का इस्तेमाल ना किए जाने की वजह से भूमि का क्षरण 100 गुना तेज़ी से होता है.
पृथ्वी की क़रीब 40 फ़ीसदी भूमि अब क्षरण का शिकार है, जिससे खाद्य उत्पादन पर जोखिम, जैव विविधता के लिए ख़तरा है और जलवायु संकट गम्भीर रूप धारण करता जा रहा है.
“इससे महिलाएँ और लड़कियाँ सर्वाधिक प्रभावित होती हैं. भूमि के साथ हमारा ग़लत बर्ताव के परिणामस्वरूप भोजन के अभाव, जल की क़िल्लत, और जबरन प्रवासन का उन पर ग़ैर-आनुपातिक असर होता है, और फिर भी उनका सबसे कम नियंत्रण है.”
यूएन प्रमुख ने भूमि को सबसे मूल्यवान संसाधन बताया और कहा कि इसके संरक्षण के लिए महिलाओं व लड़कियों को हरसम्भव समर्थन प्रदान किया जाना होगा, ताकि 2030 तक भूमि क्षरण रोकने के लक्ष्य को एक साथ मिलकर हासिल किया जा सके.
विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस पर मुहिम
UNCCD ने इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस से पहले, #HerLand नामक एक मुहिम की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य बदलाव की वाहक महिलाओं और भावी चुनौतियों पर जागरूकता का प्रसार करना है.
यूएन संस्था के अनुसार, महिलाओं व लड़कियों की जब समान पहुँच सुनिश्चित की जाती है तो कृषि उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है, भूमि बहाल की जा सकती है और सूखे के प्रति सुदृढ़ता बनाई जा सकती है.
इस सिलसिले में आयोजित एक कार्यक्रम में वक्ताओं, महिला नेताओं, वैज्ञानिकों, भूमि कार्यकर्ताओं युवा प्रतिनिधियों ने सहमति जताई कि अब तक दर्ज की गई प्रगति के बावजूद, भूमि स्वामित्व के विषय में समान हालात बनाने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है.
फ़िनलैंड की पूर्व राष्ट्रपति और भूमि मामलों पर UNCCD की दूत तार्जा हेलोनेन ने कहा कि लैंगिक असमानताओं को सुलझाना अहम है. यदि महिलाएँ अपनी क्षमता, ज्ञान, प्रतिभा और नेतृत्व सम्भावना का उपयोग करने के लिए सक्षम हों, तो बेहतर समाजों का निर्माण किया जा सकेगा.
'लक्ष्य अभी दूर है'
यूएन महासभा के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने अपने सम्बोधन में कहा कि महिला किसानों के पास जब भूमि स्वामित्व होता है, तो वे और अधिक भोजन उगा सकती हैं और उनके देश भी.
“महिलाओं के भूमि व सम्पत्ति अधिकारों को मज़बूती प्रदान करने से खाद्य सुरक्षा बढ़ती है और कुपोषण में गिरावट आती है.”
उनके अनुसार इन सकारात्मक नतीजों से बड़ी तरंगे उठती हैं, जो अन्य बदलाव ला सकती हैं, और इसलिए निर्णय-निर्धारण प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी के रास्ते से अवरोध हटाना अहम है.
UNCCD के कार्यकारी सचिव इब्राहिम चियाउ ने कहा कि यह मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को इसी दिशा में प्रगति के लिए संगठित करने पर केन्द्रित है.
उनके अनुसार, विश्व भर में जितनी भी लैंगिक विषमताओं का अनुभव होता है, उनमें उर्वर भूमि तक महिलाओं की पहुँच में असन्तुलन सबसे स्तब्धकारी है.
उन्होंने कहा कि दुनिया के हर कोने में इस बड़ी लैंगिक खाई को पाटे जाने का काम अभी पूरा किया जाना बाक़ी है.
विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस के बारे में जानकारी
World Day to Combat Desertification and Drought (WDCDD) हर साल 17 जून को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है कि मरुस्थलीकरण और सूखे की उपस्थिति का जागरूकता बढ़ाया जाए, और मरुस्थलीकरण को रोकने और सूखे से पुनर्वास के तरीकों को प्रमुखता दी जाए।
यह दिवस 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव A/RES/49/115 के अनुसार शुरू हुआ था।13 इस दिन को संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन (UNCCD) के सचिवालय द्वारा संचालित किया जाता है।
2023 की WDCDD की थीम “Her Land. Her Rights” है, जो महिलाओं के समान भूमि पहुंच के हक को प्रमोट करती है। महिलाएं प्रकृति की सेहत में महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं, परंतु उन्हें भूमि के हक में समानता से महरूमी का सामना करना पड़ता है। 2023 में, WDCDD महिलाओं और लड़कियों को प्रकृति पुनर्स्थापना और सूखे प्रतिरोधी प्रयासों में सम्मिलित करने पर ज़ोर देगा।
पिछले दो दशकों (डब्ल्यूएमओ 2021) की तुलना में 2000 के बाद से सूखे की संख्या और अवधि में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जब 2.3 अरब से अधिक लोग पहले से ही जल संकट का सामना कर रहे हैं, तो यह एक बड़ी समस्या है।
(स्रोत- hastakshep.com)
Women’s roles in agrifood systems tend to be marginalized and their working conditions are likely to be worse than men’s.
— FAO Land and Water (@FAOLandWater) June 16, 2023
Women’s access to land, services, finance and digital technology, continues to lag behind men’s.
Learn more ➡️ https://t.co/ULjb8hvIXl#HerLand @UNCCD pic.twitter.com/VKviQVPW5f
Join @FAO to celebrate the World #DesertificationandDroughtDay and contribute to advancing gender equal tenure rights to improve land restauration for a better future!
— FAO Land and Water (@FAOLandWater) June 17, 2023
More info ➡️ https://t.co/ULjb8hvIXl#HerLand @UNCCD pic.twitter.com/FVZHlzV1u6
1/3 of the 🌍 agricultural lands is affected by human-induced degradation.
— Food and Agriculture Organization (@FAO) June 16, 2023
To protect our lands we need to 👇
🔹Eat local and seasonal products that use natural resources more wisely
🔹Reduce food waste
🔹Compost #DesertificationAndDroughtDay pic.twitter.com/MzRfSTd4rh
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