गृह युद्ध की आग में जल रहा है सूडान का कोर्दोफ़ान: ड्रोन हमलों और हिंसा से भागते हज़ारों आम लोग
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सूडान के कोर्दोफ़ान क्षेत्र में हालात तेज़ी से बिगड़ते जा रहे हैं। भीषण हिंसा और ड्रोन हमलों के चलते आम नागरिकों का बड़े पैमाने पर पलायन जारी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, केवल बीते कुछ दिनों में एक हज़ार से अधिक लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।
नई दिल्ली 18 दिसंबर 2025. सूडान के कोर्दोफ़ान क्षेत्र में हालात (Situation in Sudan's Kordofan region) भयावह होते जा रहे हैं। भीषण टकराव, ड्रोन हमले और मानवीय संकट के बीच आम नागरिकों का पलायन तेज़ हो गया है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, केवल बीते कुछ दिनों में एक हज़ार से अधिक लोग कडूग्ली, डिलिंग और आसपास के इलाक़ों से सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन कर गए हैं।
सूडान: कोर्दोफ़ान क्षेत्र में हिंसा से बचने के लिए आम नागरिकों के पलायन में तेज़ी
सूडान का कोर्दोफ़ान क्षेत्र अब देश में चल रहे लंबे गृह युद्ध का नया केंद्र बनता जा रहा है। अप्रैल 2023 से जारी सत्ता संघर्ष के बाद दारफ़ूर और अब कोर्दोफ़ान में आम नागरिक इसकी सबसे बड़ी क़ीमत चुका रहे हैं।
सूडान के गृह युद्ध की पृष्ठभूमि
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार, बीती 4 दिसंबर के बाद से कोर्दोफ़ान क्षेत्र में हुए ड्रोन हमलों में 104 आम नागरिकों की जान जा चुकी है। बीते सप्ताहांत कडूग्ली में यूएन लॉजिस्टिक शिविर पर हुए हमले में छह बांग्लादेशी शान्तिरक्षकों की जान चली गई।
ज़मीन से रिपोर्ट
रविवार से अब तक, साउथ कोर्दोफ़ान प्रान्त की राजधानी कडूग्ली (Kadugli, the capital of South Kordofan province), डिलिंग नगर और आसपास के इलाक़ों से एक हज़ार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। लोग उत्तरी कोर्दोफ़ान, पश्चिमी कोर्दोफ़ान, ख़ारतूम और व्हाईट नाइल प्रान्तों में शरण ले रहे हैं।
मंगलवार को ही क़रीब 1,600 लोग व्हाईट नाइल प्रान्त के कोस्टी शहर पहुँचे, जिनमें अधिकांश महिलाएँ और बच्चे हैं।
सफ़र कठिनाई भरा
संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ (Farhan Haq. Deputy Spokesperson for the UN Secretary-General) के मुताबिक, कई परिवारों ने एक सप्ताह से अधिक का जोखिम भरा सफ़र तय किया है। कुछ मामलों में लोगों ने दक्षिण सूडान होकर वापसी का रास्ता अपनाया। विस्थापित लोग मानसिक आघात और भय में जी रहे हैं।
मानवीय सहायता बनाम वस्तुस्थिति
यूएन और उसके साझेदार अस्थायी आश्रय, स्वास्थ्य, पानी, साफ़-सफ़ाई और भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं, लेकिन संसाधन सीमित हैं। धन की कमी के कारण खाद्य सुरक्षा, आजीविका और नक़दी सहायता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
आंकड़ों में सूडान संकट
- सूडान के 18 प्रान्तों में 93 लाख से अधिक लोग विस्थापित
- विस्थापितों में 50 फ़ीसदी से अधिक बच्चे
- पिछले एक महीने में खाद्य असुरक्षा में तेज़ बढ़ोतरी
स्वास्थ्य और मानवाधिकार चिंता
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने चेतावनी दी है कि साउथ दारफ़ूर की राजधानी न्याला में 70 से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों और 5 हज़ार आम नागरिकों को जबरन हिरासत में लिया गया है।
टिप्पणी
कोर्दोफ़ान में जो कुछ हो रहा है, वह सिर्फ़ एक क्षेत्रीय संघर्ष नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति की चुप्पी का परिणाम भी है। जब तक आम नागरिकों की सुरक्षा और मानवीय गलियारों को प्राथमिकता नहीं दी जाती, सूडान का यह ज़ख़्म और गहराता जाएगा। कोर्दोफ़ान की यह कहानी केवल सूडान की नहीं, बल्कि उस वैश्विक उदासीनता की भी है, जहाँ युद्धों की ख़बरें सुर्ख़ियों से उतरते ही इंसानी त्रासदी भी ओझल हो जाती है।
पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह ख़बर
सूडान: कोर्दोफ़ान क्षेत्र में हिंसा से बचने के लिए आम लोगों के पलायन में तेज़ी
17 दिसंबर 2025 शान्ति और सुरक्षासंयुक्त राष्ट्र मानवतावादी कार्यालय ने बुधवार को जानकारी दी है कि सूडान के कोर्दोफ़ान क्षेत्र में भीषण टकराव और गहराती मानवीय आवश्यकताओं के बीच स्थानीय परिवार सुरक्षित आश्रय की तलाश में भाग रहे हैं.
रविवार से अब तक, एक हज़ार से अधिक लोग साउथ कोर्दोफ़ान प्रान्त की राजधानी कडूग्ली, डिलिंग नगर व अन्य इलाक़ों से विस्थापित हुए हैं.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार, 4 दिसम्बर के बाद से अब तक, कोर्दोफ़ान क्षेत्र में हुए ड्रोन हमलों में 104 आम नागरिकों की मौत हो चुकी है.
बीते सप्ताहांत, कडूग्ली में यूएन के लॉजिस्टिक शिविर पर हुए एक ड्रोन हमले में 6 बांग्लादेशी शान्तिरक्षकों की मौत हो गई थी, जो दक्षिण सूडान की सीमा से लगे विवादित क्षेत्र आबिये में यूएन मिशन के लिए सेवारत थे.
सूडान में सशस्त्र बलों और अतीत में उसके सहयोगी रहे अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच, देश पर नियंत्रण के लिए अप्रैल 2023 में हिंसक टकराव भड़क उठा था, जिसमें जान-माल की भीषण हानि हुई है और सूडान एक गहरे मानवीय संकट से जूझ रहा है.
नॉर्थ दारफ़ूर प्रान्त का अल फ़शर शहर पिछले 1.5 साल से लड़ाई का एक केन्द्र था, जिसकी RSF लड़ाकों ने घेराबन्दी की हुई थी. उसके बाद, अर्द्धसैनिक बल का वहाँ अक्टूबर में क़ब्ज़ा हो गया और वहाँ फँसे आम लोगों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर अत्याचारों को अंजाम दिए जाने की ख़बरें आईं.
इसके बाद, लड़ाई अब कोर्दोफ़ान क्षेत्र को अपने चपेट में ले रही है. आपात राहत मामलों के लिए यूएन कार्यालय ने बताया कि विस्थापन का शिकार लोग चार अन्य प्रान्तों में शरण की तलाश कर रहे हैं: नॉर्थ कोर्दोफ़ान, वैस्ट कोर्दोफ़ान, ख़ारतूम, व्हाईट नाइल.
क़रीब 1,600 लोग मंगलवार को व्हाईट नाइल प्रान्त के कोस्टी शहर में पहुँचे, जिनमें अधिकाँश महिलाएँ व बच्चे हैं.
कठिनाई भरा सफ़र
संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने न्यूयॉर्क में पत्रकारों को बताया कि कई लोगों ने एक सप्ताह से अधिक का सफ़र तय किया है और कुछ मामलों में पड़ोसी देश दक्षिण सूडान से होकर ऐसा किया गया. सुरक्षित आश्रय की तलाश कर रहे लोग गहरे सदमे में हैं.
“हमारे मानवतावादी साझेदारों ने उनके लिए बुनियादी आश्रय, स्वास्थ्य, जल, साफ़-सफ़ाई, भोजन एवं संरक्षण सहायता की व्यवस्था की है, ज़रूरतें, उपलब्ध संसाधनों से कहीं अधिक हैं.”
यूएन प्रवक्ता ने कहा कि 3 हज़ार लोगों द्वारा हाल के दिनों में कोर्दोफ़ान क्षेत्र से दक्षिण सूडान के यिडा में प्रवेश किए जाने की ख़बर है, और आगामी दिनों में विस्थापन के और मामले सामने आ सकते हैं.
उन्होंने कहा कि विस्थापितों की संख्या बढ़ने की वजह से सहायता का स्तर भी बढ़ाया जा रहा है, लेकिन धनराशि की क़िल्लत के कारण खाद्य सुरक्षा, आजीविका और नक़दी सहायता मुहैया करा पाना चुनौतीपूर्ण है.
लाखों विस्थापित
यूएन प्रवासन एजेंसी (IOM) का अनुमान है कि सूडान के 18 प्रान्तों में 93 लाख से अधिक लोग देश की सीमाओं के भीतर अब भी विस्थापित हैं. इनमें से 50 फ़ीसदी से अधिक संख्या बच्चों की है.
बड़ी संख्या में विस्थापित परिवारों को पिछले एक महीने में गहरी खाद्य असुरक्षा से जूझना पड़ा है जबकि स्वास्थ्य देखभाल और साफ़-सफ़ाई सेवाओं का दायरा बहुत सीमित है.
इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिन्ता जताई है कि 70 से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों और 5 हज़ार आम नागरिकों को साउथ दारफ़ूर प्रान्त की राजधानी न्याला में जबरन हिरासत में ले लिया गया है.
बिगड़ते के बीच, संयुक्त राष्ट्र ने आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और मानवीय सहायता मार्ग उपलब्ध कराए जाने की अपील दोहराई है.



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