दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा अकेलापन, जानिए सामाजिक बंधन और स्वास्थ्य का संबंध

अकेलेपन से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं

  • सोशल आइसोलेशन का मानसिक स्वास्थ्य पर असर
  • COVID-19 और टूटते सामाजिक रिश्ते
  • रिश्तों की क्वालिटी और लंबी उम्र
  • बुज़ुर्गों में अकेलापन कैसे कम करें
  • युवाओं में बढ़ता अकेलापन
  • कम्युनिटी कनेक्शन के फायदे
  • सामाजिक संबंध बनाने के आसान तरीके
  • मानसिक सेहत और सामाजिक जुड़ाव
  • रिश्तों से तनाव कैसे कम होता है

सामाजिक दूरी और उसका स्वास्थ्य पर प्रभाव

Learn about the connection between social connections and health.
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दुनिया भर में तेजी से अकेलापन बढ़ रहा है। आज लगभग हर तीसरा वयस्क खुद को अकेला महसूस करता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि सोशल आइसोलेशन और अकेलापन दोनों ही दिल की बीमारी, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, एंग्जायटी, डिमेंशिया और समय से पहले मौत तक का जोखिम बढ़ा देते हैं।

बचपन से हम सीखते आए हैं कि अच्छा खाना, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद हमारी सेहत की नींव हैं। लेकिन अब विज्ञान यह बता रहा है कि सामाजिक बंधन — यानी हमारे रिश्ते, बातचीत और जुड़ाव — भी उतने ही अधिक महत्वपूर्ण हैं।

क्रोनिक इन्फ्लेमेशन क्यों होता है

विशेषज्ञ बताते हैं कि मनुष्य स्वभाव से सामाजिक प्राणी है। जब हम खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं तो शरीर तनाव की स्थिति में चला जाता है, जिससे क्रोनिक इन्फ्लेमेशन होता है। यह इन्फ्लेमेशन उम्र से लेकर कैंसर तक कई समस्याओं की जड़ बन सकता है।


सोशल आइसोलेशन और अकेलापन अलग-अलग चीज़ें हैं, लेकिन दोनों हमारी सेहत को चोट पहुंचाते हैं। कुछ लोग अकेले रहकर खुश रह सकते हैं, जबकि कुछ भीड़ में भी अकेलापन महसूस करते हैं।

बुज़ुर्गों में अकेलेपन का जोखिम ज़्यादा माना जाता है, लेकिन हालिया शोध बताता है कि युवाओं में भी यह तेजी से बढ़ रहा है। रिश्तों की क्वालिटी—यानी समझ, सहानुभूति और साथ—हमारी लंबी उम्र और मानसिक स्थिरता से जुड़ी हुई है।

कम्युनिटी में छोटे-छोटे कदम—जैसे किसी पड़ोसी से बात करना, दुकान के क्लर्क से मुस्कुराकर मिलना, किसी बुज़ुर्ग की मदद करना—हमारी सामाजिक दुनिया को धीरे-धीरे मजबूत कर सकते हैं।

U.S. Department of Health and Human Services से संबद्ध National Institutes of Health के मासिक न्यूजलैटर में विस्तार से सोशल बॉन्ड और हमारे स्वास्थ्य के बीच संबंध को समझाया गया है। जिसमें U.S. Department of Health and Human Services से संबद्ध National Institutes of Health के मासिक न्यूजलैटर में विस्तार से सोशल बॉन्ड और हमारे स्वास्थ्य के बीच संबंध को समझाया गया है। जिसके मुताबिक-

वैज्ञानिक सोशल बॉन्ड और हमारी हेल्थ के बीच के कनेक्शन को बेहतर ढंग से समझने के लिए काम कर रहे हैं। और वे अकेलेपन और सोशल आइसोलेशन के असर को कम करने के तरीके ढूंढ रहे हैं।

NIH में सोशल और बिहेवियरल साइंस की एक्सपर्ट डॉ. एलिजाबेथ नेका कहती हैं, “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। हम जन्म से ही दूसरों पर बहुत ज़्यादा निर्भर रहते हैं। इसलिए, सामाजिक रूप से अकेला महसूस करने से आपको ऐसा लग सकता है कि आप बहुत ज़्यादा तनाव वाली स्थिति में हैं। और तनाव का संबंध क्रोनिक इन्फ्लेमेशन से रहा है, जिसका असर कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ पर पड़ सकता है।”



नेका बताती हैं कि सोशल आइसोलेशन और अकेलेपन में फर्क होता है, लेकिन दोनों आपस में जुड़े हुए हैं। सोशल आइसोलेशन का मतलब है कि आपके दूसरे लोगों से कम कनेक्शन या कॉन्टैक्ट हैं। अकेलापन इस बात से जुड़ा है कि आप अकेले होने पर कैसा महसूस करते हैं, या आपका नज़रिया कैसा है।

मजबूत सोशल बॉन्ड्स न सिर्फ तनाव कम करते हैं, बल्कि हमें अर्थपूर्ण जीवन, सामुदायिक जुड़ाव और मानसिक दृढ़ता देते हैं।

नेका समझाती हैं, "कुछ लोग असल में सोशल आइसोलेटेड हो सकते हैं लेकिन अकेलापन महसूस नहीं करते। वे अकेलेपन का आनंद ले सकते हैं। दूसरे लोग लोगों से घिरे होने पर भी बहुत अकेलापन महसूस कर सकते हैं क्योंकि वे रिश्ते उनके लिए संतोषजनक नहीं होते।"

अकेलापन और सोशल आइसोलेशन दोनों ही सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। जो लोग सोशल आइसोलेटेड होने पर ठीक महसूस करते हैं, उन्हें भी खराब सेहत का ज़्यादा खतरा होता है।

नेका कहती हैं, "अगर आप अकेलापन महसूस कर रहे हैं या सामाजिक रूप से कटे हुए हैं, तो नए कनेक्शन बनाने की कोशिश करना मुश्किल लग सकता है। अच्छे कनेक्शन सबसे अच्छे होते हैं। लेकिन छोटी-मोटी बातचीत भी फर्क ला सकती है। यह पहला कदम हो सकता है।"

मसलन, आप हर हफ़्ते एक ही समय पर किराने की दुकान पर जा सकते हैं और उसी क्लर्क को देख सकते हैं। आप मुस्कुरा सकते हैं और थोड़ी देर बात कर सकते हैं। या आप देखते हैं कि आपके रेगुलर बस स्टॉप पर कोई हमेशा बैंगनी रंग के कपड़े पहनता है। आप पसंदीदा रंगों के बारे में बात कर सकते हैं। समय के साथ, आप अलग-अलग तरीकों से दूसरों से जुड़ने में ज़्यादा सहज महसूस कर सकते हैं।

दूसरों से कैसे जुड़ें

न्यूजलैटर में दुसरों से जुड़ने के कुछ गुर बताए गए हैं, जो निम्नवत् हैं-

कुछ नया सीखें -

किसी ऐसी ग्रुप में शामिल हों जिसे बुनाई, हाइकिंग, बर्डवॉचिंग, पेंटिंग या लकड़ी की नक्काशी जैसी किसी हॉबी में दिलचस्पी हो।

वॉलंटियर बनें -

किसी स्कूल, लाइब्रेरी, म्यूज़ियम, हॉस्पिटल या एनिमल शेल्टर में मदद करने के बारे में सोचें।

संपर्क में रहें -

परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ संपर्क में रहें। व्यक्तिगत रूप से, ऑनलाइन या फ़ोन पर जुड़ें।

अपना ज्ञान शेयर करें -

अपनी पसंदीदा हॉबी या स्किल, जैसे शतरंज या बेकिंग, नई पीढ़ी को सिखाएं।

स्टेज पर आएं -

किसी लोकल थिएटर ग्रुप में हिस्सा लें, किसी कम्युनिटी कोरल ग्रुप में गाएं, या किसी लोकल बैंड या ऑर्केस्ट्रा में बजाएं।

दूसरों की मदद करें -

जिन लोगों को चलने-फिरने में या ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कत होती है, उनके लिए छोटे-मोटे काम करें।

एक्टिव रहें –

योग, ताई ची या किसी दूसरी फिजिकल एक्टिविटी की क्लास लें।

अपने लोकल समुदाय में ज़्यादा एक्टिव रहें –

समुदाय या सीनियर सेंटर के इवेंट्स में हिस्सा लें। किसी ऐसे धार्मिक संगठन से जुड़ें जो आपके विश्वासों से मेल खाता हो।


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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।

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