इन्फ़्लुएंज़ा का बढ़ता ख़तरा और अहमियत वैक्सीन की : एक ज़रूरी चेतावनी


The Growing Threat of Influenza and the Importance of Vaccines: An Important Reminder

The Growing Threat of Influenza and the Importance of Vaccines: An Important Warning



नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2025. दुनिया एक बार फिर श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते ख़तरे की ओर बढ़ती दिख रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में एक चेतावनी जारी कर साफ़ कर दिया है कि उत्तरी गोलार्द्ध में इन्फ़्लुएंज़ा और इससे जुड़ी बीमारियाँ (Influenza and related illnesses in the Northern Hemisphere) तेज़ी से फैल रही हैं।

WHO की यह चेतावनी ऐसे समय आई है, जब कई देशों में सर्दियों और छुट्टियों का मौसम शुरू हो चुका है, यानी संक्रमण के फैलने के लिए माहौल अनुकूल है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मौसमी इन्फ़्लुएंज़ा के हर साल एक अरब से ज़्यादा मामले सामने आते हैं। इनमें से लगभग 50 लाख मामले गंभीर श्वसन रोगों में तब्दील हो जाते हैं और करीब 6.5 लाख लोगों की जान चली जाती है। ये आंकड़े सिर्फ़ संख्या नहीं हैं, बल्कि वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर पड़ने वाले भारी दबाव की तस्वीर भी दिखाते हैं।

नया वैरीएंट, पुरानी चुनौती

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी (United Nations health agency) ने बताया है कि इन्फ़्लुएंज़ा वायरस का एक नया वैरीएंट—J.2.4.1 या सबक्लेड K—तेज़ी से फैल रहा है। इसकी पहचान सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में हुई थी, लेकिन अब यह 30 से अधिक देशों तक पहुँच चुका है। इसके अलावा, इस साल AH3N2 वायरस का नया रूप भी उभरकर सामने आया है।

हालाँकि WHO के विशेषज्ञ डॉक्टर वेनकिंग झांग का कहना है कि मौजूदा महामारी विज्ञान संबंधी आंकड़ों में इस नए वैरीएंट से बीमारी की गंभीरता बढ़ने के संकेत नहीं मिले हैं। फिर भी, यह वायरस के निरंतर बदलते स्वभाव—एक ऐसी सच्चाई, जिससे चिकित्सा विज्ञान लगातार जूझता रहा है, की याद दिलाता है।

वैक्सीन में बदलाव क्यों ज़रूरी है?

इन्फ़्लुएंज़ा वायरस की सबसे बड़ी चुनौती (The biggest challenge of the influenza virus) यही है कि यह लगातार अपना रूप बदलता रहता है। इसी वजह से इसकी वैक्सीन को भी समय-समय पर अपडेट करना पड़ता है।

WHO की वैश्विक निगरानी प्रणाली, जिसमें 130 देशों की प्रयोगशालाएँ और इन्फ़्लुएंज़ा केंद्र शामिल हैं, साल में दो बार वैक्सीन को लेकर सिफ़ारिशें जारी करती है।

भले ही इस समय उत्तरी गोलार्द्ध के लिए तैयार की गई वैक्सीन नए वैरीएंट के अनुरूप न हो, लेकिन शुरुआती साक्ष्य बताते हैं कि मौजूदा वैक्सीन भी गंभीर बीमारी से बचाव में काफ़ी हद तक प्रभावी है।

सबसे भरोसेमंद बचाव वैक्सीन

WHO विशेषज्ञों के अनुसार, टीकाकरण अब भी इन्फ़्लुएंज़ा से बचाव का सबसे कारगर उपाय (The most effective way to prevent influenza) है—ख़ासकर बच्चों, बुज़ुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए। आंकड़े बताते हैं कि बच्चों में वैक्सीन गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के ख़तरे को 75 प्रतिशत तक कम कर देती है, जबकि वयस्कों में यह असर लगभग 35 प्रतिशत है।

छुट्टियों के मौसम में यात्रा, भीड़ और सामाजिक मेल-जोल बढ़ने से संक्रमण के मामलों में उछाल आ सकता है। ऐसे में समय रहते वैक्सीन लगवाना, स्वास्थ्य सेवाओं को तैयार रखना और लोगों को जागरूक करना बेहद ज़रूरी है।
आगे की राह
WHO ने देशों से अपील की है कि वे लैब में वायरस की पहचान की क्षमता को मज़बूत करें और वैश्विक निगरानी नेटवर्क में सक्रिय भागीदारी निभाएँ। महामारी के कठिन वर्षों के बाद यह साफ़ हो चुका है कि रोकथाम ही सबसे सशक्त हथियार है।

कोई नई बीमारी नहीं है इन्फ़्लुएंज़ा

इन्फ़्लुएंज़ा कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन इसकी बदलती शक्ल हमें बार-बार आगाह करती है कि लापरवाही की गुंजाइश कतई नहीं है। वैक्सीन, सतर्कता और मज़बूत स्वास्थ्य व्यवस्था, ये तीन स्तंभ हैं, जिन पर इस चुनौती से निपटने की रणनीति टिकी है।

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।

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