जनसंहार रोकथाम पर UN की सख्त चेतावनी—दुनिया कहाँ जा रही है?

दुनिया में बढ़ रहा है जनसंहार का ख़तरा? UN की बड़ी चेतावनी!

  • यूएन ने बजाई अलार्म बेल! आम लोगों पर बढ़ते अत्याचार की रिपोर्ट
  • सूडान से ग़ाज़ा तक… UN ने बताया क्यों बढ़ रहा है जनसंहार का जोखिम!
  • UN Advisor का बड़ा बयान: ‘ख़तरे की सीमा के बेहद क़रीब है दुनिया’
  • अत्याचार बढ़ रहे हैं! UN ने बताया—क्यों निशाने पर हैं आम लोग?

Never Again? UN की चेतावनी कहती है—ख़तरा लौट आया है!

UN Photo/Ariana Lindquist जनसंहार की रोकथाम के लिए, नवनियुक्त यूएन सलाहकार चलोका बेयानी, यूएन मुख्यालय में 'स्रेब्रेनीत्सा पुष्प' के उदघाटन पर. (2025)

UN Photo/Ariana Lindquist जनसंहार की रोकथाम के लिए, नवनियुक्त यूएन सलाहकार चलोका बेयानी, यूएन मुख्यालय में 'स्रेब्रेनीत्सा पुष्प' के उदघाटन पर. (2025)



नई दिल्ली, 10 दिसंबर 2025: दुनिया भर में टकराव, अस्थिर राजनीति और सशस्त्र संघर्षों के बीच आम नागरिकों की सुरक्षा अभूतपूर्व जोखिम में है। संयुक्त राष्ट्र के नव नियुक्त जनसंहार रोकथाम सलाहकार चलोका बेयानी (Mr. Chaloka Beyani of Zambia - Special Adviser on the Prevention of Genocide. Personnel Appointments ) ने आगाह किया है कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून की अनदेखी और नागरिकों को युद्ध के मैदान का लक्ष्य बनाने जैसी घटनाएँ तेज़ी से बढ़ रही हैं। सूडान के दारफ़ूर क्षेत्र से लेकर ग़ाज़ा, मध्य अफ्रीका और दुनिया के अन्य संकटग्रस्त इलाक़ों तक, हिंसा का चक्र न केवल दोहराया जा रहा है बल्कि और भी क्रूर रूप ले चुका है।

कौन हैं चलोका बेयानी

अभी लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस (LSE) के लॉ डिपार्टमेंट में इंटरनेशनल लॉ के एसोसिएट प्रोफेसर (1996 से) श्री बयानी के पास इंटरनेशनल लॉ और मानवाधिकारों में कानूनी, राजनयिक और राजनीतिक अनुभव है, जिसमें राष्ट्रीय संविधान और संधि बनाना शामिल है। वह आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों, जनसंख्या हस्तांतरण, भाड़े के सैनिकों और निजी सैन्य कंपनियों, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य, विकास और जलवायु परिवर्तन के लिए मानवाधिकार-आधारित दृष्टिकोण के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय, शरणार्थियों के लिए उच्चायुक्त कार्यालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष, संयुक्त राष्ट्र महिला विकास कोष, यूरोपीय संघ, राष्ट्रमंडल सचिवालय और अफ्रीकी संघ में कानूनी सलाहकार के रूप में काम किया है।

यूएन का जनसंहार रोकथाम कार्यालय के काम

यूएन का जनसंहार रोकथाम कार्यालय (UN Office on Genocide Prevention and the Responsibility to Protect - OAPG) एक शुरुआती चेतावनी प्रणाली के रूप में काम करता है—जहाँ नस्लीय, जातीय और धार्मिक समूहों को निशाना बनाने, हेट स्पीच की बढ़ोतरी, कानून के शासन के पतन और सशस्त्र समूहों की गतिविधियों जैसे 14 जोखिम संकेतकों की निगरानी की जाती है। यह कार्यालय समय रहते महासचिव, सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को चेतावनी देता है, ताकि किसी भी क्षेत्र में स्थिति “अत्याचार-अपराध” की सीमा लांघने से पहले कार्रवाई की जा सके।

सूडान का सबक

सूडान का उदाहरण बताता है कि दुनिया अभी भी अतीत की गलतियों से सबक नहीं ले सकी है। 1990 के दशक में हुई दारफ़ूर की हिंसा की जांच के बाद भी आज वही क्रूरता लौट आई है, और आम नागरिक ही सबसे ज्यादा मारे जा रहे हैं। इसी तरह, ग़ाज़ा में चल रहे संघर्ष पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) द्वारा जनसंहार रोकथाम कन्वेंशन के तहत अस्थायी उपाय लागू किए जाने ने एक बार फिर वैश्विक न्याय प्रणाली की अहमियत को रेखांकित किया है।

चलोका बेयानी के अनुसार, जनसंहार रोकने की लड़ाई केवल क़ानूनी ढांचे तक सीमित नहीं है,—यह दुष्प्रचार, हेट स्पीच और तकनीकी प्लेटफ़ॉर्मों पर हो रहे उकसावे से भी जुड़ी है। इसी कारण, यूएन का यह कार्यालय Meta, Google जैसे प्लेटफ़ॉर्मों और स्थानीय धार्मिक-सामुदायिक नेताओं के साथ मिलकर नफ़रत फैलाने वाली भाषा का मुकाबला करने की कोशिश कर रहा है। वहीं, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गिरावट ने भूमि और संसाधनों पर संघर्ष को और उभारा है, जिससे आदिवासी और कमजोर समुदायों पर खतरा बढ़ गया है।

बेयानी का मानना है कि केवल अतीत को याद करते रहना पर्याप्त नहीं, बल्कि दुनिया को “Never Again” के सिद्धांत को वास्तविक कार्रवाई में बदलना होगा। न्यायिक जवाबदेही बढ़ाने, नीतियों को मजबूत करने, और संघर्षों में शामिल सभी पक्षों को यह एहसास दिलाने की ज़रूरत है कि दुनिया उनकी गतिविधियों को देख रही है।

जनसंहार की रोकथाम का अर्थ

जनसंहार की रोकथाम का वास्तविक अर्थ—समय रहते हस्तक्षेप करना और आम नागरिकों की रक्षा सुनिश्चित करना—इसी चेतावनी से निकलता है।

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।

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