जलवायु परिवर्तन पर अलार्म! पेरिस समझौते का लक्ष्य अब भी संभव - यूएन महासचिव | Alarm on climate change! The goal of the Paris Agreement is still possible - UN Secretary General

2024: अब तक का सबसे गर्म साल

  • पेरिस समझौते के लक्ष्यों पर मंडराता खतरा?
  • ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन के नए रिकॉर्ड
  • महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की चेतावनी और अपील
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: इंसानों की सबसे बड़ी चुनौती
  • नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु समाधान की ओर कदम

समुद्री स्तर में वृद्धि और ग्लेशियरों का पिघलना: अटूट खतरा

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जलवायु परिवर्तन पर नई चेतावनी दी है। WMO रिपोर्ट के अनुसार, 2024 अब तक का सबसे गर्म साल रहा, लेकिन पेरिस समझौते का लक्ष्य अभी भी हासिल किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस खबर से जानिए कैसे जलवायु संकट को रोका जा सकता है।
UN Secretary-General Antonio Guterres
UN Secretary-General Antonio Guterres


जलवायु परिवर्तन: पेरिस समझौते के लक्ष्यों की प्राप्ति अब भी मुमकिन, यूएन महासचिव

19 मार्च 2025 जलवायु और पर्यावरण

विश्व मौसम संगठन (WMO) की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024 में, मानव-जनित जलवायु परिवर्तन का प्रभाव इतने ख़तरनाक स्तर तक पहुँच गया, जिसके कुछ परिणाम कई सदियों तक उलटने सम्भव नहीं होंगे.

वैश्विक जलवायु स्थिति की नवीनतम रिपोर्ट से स्पष्ट है कि वर्ष 2024, इस विषय पर 175 वर्ष पहले रिकॉर्ड आरम्भ होने के बाद का सबसे अधिक गर्म साल रहा है.

इस वर्ष तापमान, पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.55 डिग्री सैल्सियस ऊपर रहा. ऐसा पहली बार हुआ है कि तापमान, 1.5 डिग्री सैल्सियस की गम्भीर चेतावनी को पार कर गया है.

हालाँकि किसी एक वर्ष तापमान 1.5 डिग्री सैल्सियस से ऊपर जाने का मतलब यह नहीं हैं कि पेरिस समझौते के दीर्घकालिक लक्ष्य (1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे का दीर्घकालिक औसत) हासिल नहीं हो सकेगा. लेकिन यह रिकॉर्ड एक स्पष्ट चेतावनी ज़रूर देता है कि तत्काल उत्सर्जन घटाना बहुत आवश्यक हो गया है.

इसके अलावा अन्य कई जलवायु संकेतक भी नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहे हैं. वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता, 8 लाख वर्षों के अपने उच्चतम स्तर पर है, और महासागरों में अभूतपूर्व स्तर पर तापमान वृद्धि देखी जा रही है.

हिमनद और समुद्री बर्फ़ तेज़ी से पिघल रहे हैं, जिससे वैश्विक समुद्री स्तर में वृद्धि हो रही है, और दुनिया भर में तटीय पारिस्थितिकी तंत्र एवं बुनियादी ढाँचा ख़तरे में है.

साथ ही, पिछले साल उष्णकटिबन्धीय चक्रवातों, बाढ़, सूखे व अन्य ख़तरों के कारण, 16 वर्षों के भीतर सबसे अधिक नए विस्थापन दर्ज किए गए, जिससे खाद्य संकट और भी बदतर हो गया तथा बड़े पैमाने पर आर्थिक नुक़सान हुआ.

नवीकरणीय ऊर्जा और पूर्व चेतावनी प्रणालियों का लाभ

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, इन ख़तरनाक प्रवृत्तियों के बावजूद कहा है कि पेरिस समझौते के लक्ष्य हासिल करना अब भी सम्भव है. उन्होंने विश्व नेताओं से, तेज़ी से बढ़ते इस संकट से निपटने के लिए कार्रवाई बढ़ाने का आहवान किया.

उन्होंने आग्रह किया, “हमारा ग्रह अधिक संकटों का संकेत दे रहा है. लेकिन यह रिपोर्ट दर्शाती है कि दीर्घकालिक वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सैल्सियस तक सीमित करना अभी भी मुमकिन है."

"विश्व नेताओं को इसे साकार करने के लिए तत्काल क़दम उठाना चाहिए और इस वर्ष नवीन राष्ट्रीय जलवायु योजनाएँ आरम्भ करके, अपने देशवासियों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए किफ़ायती, स्वच्छ नवीकरणीय ऊर्जा के लाभ प्राप्त करना होगा.''

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ( WMO ) की प्रमुख, सेलेस्त साउलो ने रिपोर्ट के निष्कर्षों को, मानव जीवन, अर्थव्यवस्थाओं एवं ग्रह के सामने मौजूद ‘बढ़ते ख़तरे की चेतावनी’ क़रार दिया.

उन्होंने कहा, "चरम मौसम व जलवायु के प्रति निर्णयकर्ताओं व समाज की सहनसक्षमता बढ़ाने के लिए, WMO और वैश्विक समुदाय, प्रारम्भिक चेतावनी प्रणाली तथा जलवायु सेवाओं को मज़बूत करने के प्रयास तेज़ कर रहे हैं. इसमें प्रगति हुई है, लेकिन हमें तेज़ी से और आगे बढ़ने की ज़रूरत है."

ऐसा बदलाव, जिसे उलटना मुश्किल होगा

रिपोर्ट के अनुसार, 2023 और 2024 में रिकॉर्ड तोड़ वैश्विक तापमान की मुख्य वजह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि रही, जो ला-नीना से अल-नीनो में बदलाव के कारण और बढ़ गया.

इसमें योगदान देने वाले अन्य कारकों में, सौर चक्र भिन्नता, ज्वालामुखी गतिविधि और महासागर परिसंचरण (circulation) में जारी परिवर्तन शामिल हैं.

वैज्ञानिक भी कार्रवाई करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दे रहे हैं. इनमें से कुछ पहले से ही अपरिवर्तनीय बदलावों को रेखांकित करते रहे हैं, जिनमें समुद्री स्तर में वृद्धि की दर भी शामिल है. यह उपग्रह द्वारा माप शुरू होने के बाद से दोगुनी हो गई है.

अनुमानों से पता चलता है कि महासागरों की तापमान वृद्धि, अब तक के उच्चतम स्तर पर है. भले ही दुनिया उत्सर्जन में भारी कमी कर ले, लेकिन अब यह प्रवृत्ति 21वीं सदी व उसके पश्चात भी जारी रहेगी. इसी तरह, महासागरों का अम्लीकरण भी इस सदी में बढ़ता रहेगा, और उसकी वृद्धि दर, भावी उत्सर्जन पर निर्भर करेगी.

अन्य प्रमुख निष्कर्ष

• वैश्विक स्तर पर, पिछले दस वर्षों में से हर एक वर्ष, अपने-आप में रिकॉर्ड पर दर्ज दस सबसे गर्म वर्ष रहे.

• पिछले आठ वर्षों में से प्रत्येक वर्ष में महासागरीय ऊष्मा का एक नया रिकॉर्ड क़ायम हुआ.

• पिछले 18 वर्षों में, रिकॉर्ड पर दर्ज 18 सबसे कम आर्कटिक समुद्री बर्फ़ विस्तार दर्ज हुए.

• पिछले तीन वर्षों में, तीन सबसे कम अंटार्कटिक हिम विस्तार देखे गए.

• पिछले तीन वर्षों में, तीन साल के भीतर ग्लेशियर द्रव्यमान (glacier mass) की सबसे अधिक हानि देखी गई.

• 2024 में महासागरीय ऊष्मा, 65-वर्षीय अवलोकन रिकॉर्ड के अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गई.

• उष्णकटिबन्धीय चक्रवात, 2024 की कई सबसे अधिक प्रभाव वाली घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार रहे. इनमें वियतनाम, फ़िलीपींस और दक्षिणी चीन में आया तूफ़ान यागी शामिल है.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।