ग़ाज़ा के बच्चों की दुर्दशा: UN ने युद्ध से प्रभावित बच्चों के लिए मदद की अपील की | Plight of Gaza children: UN appeals for help for children affected by war

ग़ाज़ा में मानवीय संकट: बच्चों की भीषण स्थिति पर UN की चिंता

युद्धविराम का असर: सहायता और राहत में आया सुधार

गर्भवती महिलाओं और बच्चों की तकलीफ़ें: स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी

  • शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर युद्ध का प्रभाव
  • UNICEF की चेतावनी: एक पूरी पीढ़ी सदमे में
  • पश्चिमी तट की स्थिति: यहूदी बाशिन्दों के हमले और विस्थापन
  • सुरक्षा परिषद को तीन मुख्य अपीलें: फंड, क़ानून और शांति
ग़ाज़ा में बच्चों पर युद्ध का भयावह प्रभाव। संयुक्त राष्ट्र ने उनकी सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मदद की अपील की। पढ़ें संयुक्त राष्ट्र समाचार की पूरी रिपोर्ट।
Plight of Gaza children: UN appeals for help for children affected by war
Plight of Gaza children: UN appeals for help for children affected by war


ग़ाज़ा में बच्चों की भीषण तकलीफ़ें उजागर, मुसीबत में उनका साथ देने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र आपातकालीन राहत समन्वयक टॉम फ्लैचर ने, सुरक्षा परिषद को ग़ाज़ा में भयावह मानवीय स्थिति पर नवीन स्थिति से अवगत कराया है जिसमें जिसमें युद्ध की भीषण तबाही के ख़ामियाज़ा भुगत रहे बच्चों की दुर्दशा पर विशेष ज़ोर दिया गया है.

टॉम फ़्लैचर ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा, "आज एक ऐसा दुर्लभ अवसर है जब हम सकारात्मक घटनाक्रम को उजागर करने में सक्षम हैं, अलबत्ता, ग़ाज़ा में भयावह मानवीय ज़रूरतें बनी हुई हैं.

उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए युद्धविराम ने निरन्तर जारी युद्ध से ऐसी राहत मुहैया कराई है जिसका बहुत ज़रूरत थी, और युद्धविराम की बदौलत ही जीवनरक्षक मानवीय सहायता में वृद्धि हो सकी है.

टॉम फ़्लैचर ने युद्धविराम को सम्भव बनाने में अथक प्रयासों के लिए मध्यस्थों - मिस्र, क़तर और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रति आभार व्यक्त किया.

उन्होंने कहा, "यदि सभी पक्ष समझौते का सम्मान करना जारी रखते हैं, तो हम और अधिक ज़िन्दगियाँ बचा सकते हैं."

भूख और सर्दी से मौतें

टॉम फ़्लैचर ने पिछले 15 महीनों के युद्ध के दौरान, फ़लस्तीनी बच्चों के दर्दनाक अनुभवों का विवरण भी दिया. "बच्चों को मार दिया गया, उन्हें भूखा रखा गया और सर्दी से भी उनकी मौत हो गई, वे अपंग हो गए, अनाथ हो गए या अपने परिवार से अलग हो गए."

उन्होंने साथ ही यह भी बताया कि ग़ाज़ा में 17 हज़ार से अधिक बच्चे अपने परिवारों के बिना जी रहे हैं.

गर्भवती महिलाओं और नई माताओं की स्थिति भी उतनी ही भयावह है. अनुमान है कि ऐसी एक लाख 50 हज़ार महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं की सख़्त ज़रूरत है.

टॉम फ़्लैचर ने दुख व्यक्त करते हुए कहा, "कुछ बच्चे इस दुनिया में अपनी पहली साँस लेने से पहले ही मौत के मुँह में धकेल दिए गए - प्रसव के दौरान अपनी माताओं के साथ मौत के मुँह में चले गए."

उन्होंने बताया कि शिक्षा पर भी गम्भीर असर पड़ा है, बहुत से बच्चों की स्कूली शिक्षा छूट गई है, और बहुत से बच्चे लम्बे समय से चल रही बीमारियों के लिए आवश्यक चिकित्सा देखभाल पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

टॉम फ़्लैचर ने बताया, "बहुत से बच्चों ने यौन हिंसा का सामना किया है.”

उन्होंने माहवारी के दौरान देखभाल के साधनों तक पहुँच की कमी वाली लड़कियों द्वारा, अतिरिक्त अपमान सहन किए जाने के मुद्दे की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया.

एक पूरी पीढ़ी सदमे में

संयुक्त राष्ट्र बाल संगठन – UNICEF के अनुसार, ग़ाज़ा में दस लाख बच्चों को अवसाद, चिन्ता और आत्महत्या के विचार आने के हालात में, मानसिक स्वास्थ्य और मनो-सामाजिक सहायता की आवश्यकता है.

टॉम फ़्लैचर ने कहा, "एक पीढ़ी सदमे में है "

अलबत्ता, इन चुनौतियों के बावजूद, युद्धविराम ने मानवीय संगठनों को अपनी सहायता बढ़ाने का मौक़ा दिया है.

टॉम फ़्लैचर ने बताया, "सुरक्षित, मानवीय सहायता की निर्बाध पहुँच, युद्ध की अनुपस्थिति और आपराधिक लूटपाट की लगभग पूर्ण समाप्ति ने, हमारी [सहायता] संचालन क्षमता में बहुत सुधार किया है."

संयुक्त राष्ट्र और भागीदारों ने सहायता सामग्री की आपूर्ति के प्रवाह को बढ़ाया है, भंडारण क्षमता को बढ़ाया है और महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की मरम्मत की है.

टॉम फ़्लैचर ने सदस्य देशों और निजी क्षेत्र द्वारा सहायता सामग्री के भंडार की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने का आहवान करते हुए कहा, "पूरा ग़ाज़ा – 20 लाख से अधिक लोग - हमारी मानवीय सहायता पर निर्भर हैं."

पश्चिमी तट में लड़ाई, यहूदी बाशिन्दों के हमले

टॉम फ़्लैचर ने फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट में, अक्टूबर 2023 के बाद से, हताहतों की संख्या, विस्थापन और सहायता उपलब्धता पर प्रतिबन्धों के रिकॉर्ड-उच्च स्तर का भी ज़िक्र किया.

उन्होंने बताया, "इसराइल के यहूदी बाशिन्दों ने, फ़लस्तीनी गाँवों पर हमला किया है, घरों और सम्पत्तियों को आग लगा दी है." आवागमन पर बढ़ी पाबन्दियों के परिणामस्वरूप, बुनियादी सेवाओं तक पहुँच में बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं.

जेनिन में स्थिति विशेष रूप से चिन्ताजनक है, जहाँ हाल ही में इसराइली सैन्य हमलों के कारण, और अधिक विनाश और विस्थापन हुए हैं.

टॉम फ़्लैचर ने कहा कि इससे पहले, फ़लस्तीनी प्राधिकरण लगभग एक सप्ताह तक अभियान चलाया था जिसके कारण लगभग 2 हज़ार परिवारों को विस्थापित होना पड़ा.

तीन आहवान

टॉम फ़्लैचर ने, सुरक्षा परिषद से तीन ज़रूरी अपीलें कीं: युद्धविराम की निरन्तरता सुनिश्चित करना, इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय क़ानून को बनाए रखना और मानवीय अभियानों के लिए धन सुरक्षित करना.

उन्होंने कहा, "हमारी 2025 की औचक अपील के लिए ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में तीस लाख लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, 4 अरब 7 करोड़ डॉलर की रक़म की आवश्यकता है."

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इसमें से लगभग 90 प्रतिशत धनराशि की, ग़ाज़ा के लिए ज़रूरत है.

टॉम फ़्लैचर ने कहा, "ग़ाज़ा के बच्चे, युद्ध की चपेट में आई कोई अवांछित चीज़ नहीं हैं. वे दुनिया भर के बच्चों की तरह ही सुरक्षा, शिक्षा और उम्मीद के हक़दार हैं."

"हमें बिल्कुल इसी क्षण, उनके लिए वहाँ मौजूद होना चाहिए."

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।