लेबनान संकट: हिंसक टकराव के बाद खाद्य सुरक्षा पर मंडराते खतरे | Food insecurity is worrying in Lebanon

लेबनान में खाद्य असुरक्षा की चिंताजनक स्थिति

हिज़बुल्लाह और इसराइल टकराव का प्रभाव

  • शरणार्थियों की दुर्दशा और बढ़ती भूख
  • महंगाई और कुपोषण: सबसे अधिक प्रभावित बच्चे और महिलाएँ
  • 2025 में लेबनान की खाद्य सुरक्षा का भविष्य
लेबनान में हिज़बुल्लाह और इसराइल के बीच टकराव के बाद खाद्य असुरक्षा तेज़ी से बढ़ी है। 16.5 लाख लोग भूख से जूझ रहे हैं, जिसमें शरणार्थी सबसे अधिक प्रभावित हैं। संयुक्त राष्ट्र समाचार की खबर से जानें लेबनान संकट की पूरी कहानी...
Food insecurity is worrying in Lebanon
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लेबनान: हिंसक टकराव के बाद, खाद्य सुरक्षा में चिन्ताजनक गिरावट

लेबनान में खाद्य सुरक्षा की स्थिति पर एक नए विश्लेषण के अनुसार, देश की क़रीब एक-तिहाई आबादी खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है और पिछले कुछ महीनों में अतिरिक्त संख्या में नागरिक इसका शिकार बने हैं. वर्ष 2024 के अन्तिम महीनों में हिज़बुल्लाह और इसराइल के बीच हिंसक टकराव भड़कने के बाद ये हालात उपजे हैं.

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और लेबनान के कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, हिंसक टकराव के कारण कृषि और अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर हुआ है, जिससे मौजूदा चुनौतियों से उबरने की रफ़्तार धीमी होगी.

लेबनान में 16.5 लाख लोग संकट या आपात स्तर पर भूख से जूझ रहे हैं. 2024 के शुरुआती दिनों मे खाद्य असुरक्षा का शिकार आबादी के आँकड़े में अतिरिक्त चार लाख लोग जुड़े हैं.

इनमें दो लाख से अधिक आपात परिस्थितियों में गुज़र-बसर कर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में प्रभावितों क संख्या दोगुनी हो चुकी है.

इसराइल और हिज़बुल्ला के बीच नवम्बर 2024 में एक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, जोकि नाज़ुक हालात के बावजूद अभी अमल में है. दक्षिणी लेबनान से इसराइली सैनिकों और हथियारबन्द गुट की वापसी हुई है और लेबनान के सुरक्षा बल, यूएन शान्तिरक्षकों के साथ मिलकर शान्ति बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं.

लेबनान में WFP के प्रतिनिधि मैथ्यू हॉलिंगवर्थ ने बताया कि यहाँ खाद्य सुरक्षा की बदतरीन स्थिति कोई हैरान कर देने वाली बात नहीं है. “महीनों से चले आ रहे टकराव के बाद, 66 दिनों के युद्ध ने ज़िन्दगियों व आजीविकाओं को बर्बाद कर दिया है.”

शरणार्थी आबादी

लेबनान में खाद्य असुरक्षा का सबसे अधिक बोझ यहाँ शरण लेने वाली आबादी को महसूस हो रहा है. क़रीब 40 फ़ीसदी सीरियाई और फ़लस्तीनी शरणार्थी देश में संकट स्तर पर भूख से पीड़ित हैं.

WFP के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, युद्धविराम के बाद कुछ लोग अपने घर लौट सकते हैं, अन्य को यह कटु वास्तविकता से जूझना पड़ेगा कि उनके पास लौटने के लिए कोई घर नहीं है.

लेबनान की अर्थव्यवस्था में, 2019 के बाद से अब तक 34 फ़ीसदी की गिरावट आ चुकी है और कृषि, पर्यटन व व्यापार समेत अन्य सैक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

कृषि भूमि व सम्पत्तियों को लड़ाई के दौरान नुक़सान पहुँचा, 12 हज़ार हैक्टेयर खेती योग्य भूमि को जला दिया गया, जिससे कृषि सैक्टर को ही एक अरब डॉलर से अधिक की चपत लगी है.

बढ़ती महंगाई और अनाज पर दी जाने वाली सब्सिडी को वापिस लिए जाने के बाद घर-परिवारों के बजट पर दबाव है, और सम्वेदनशील हालात में रह रहे अनेक परिवारों के लिए खाद्य क़ीमतें उनकी पहुँच से बाहर साबित हो रही हैं.

अहम खाद्य क़ीमतों में आए उछाल से परिवारों को भरपेट खाना ना खाने या कम पोषक आहार बनाने जैसे विकल्पों को चुनना पड़ रहा है.

सर्वाधिक निर्बलों पर जोखिम

कुपोषण एक बड़ा ख़तरा बन रहा है, विशेष रूप से महिलाओं व बच्चों के लिए.

एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, पाँच वर्ष से कम आयु के हर चार में से तीन बच्चों को विविधतापूर्ण आहार नहीं मिल पा रहा है. इसके उनके विकास पर असर पड़ा है और उनकी आयु के हिसाब से उनका वज़न कम है.

सीरियाई शरणार्थियों पर इसका ग़ैर-आनुपातिक असर हुआ है और राष्ट्रीय औसत की तुलना में उनकी आबादी में नाटेपन की दर अधिक है.

इन हालात में, WFP ने 2024 में साढ़े सात लाख लोगों तक ज़रूरी खाद्य सहायता पहुँचाई और इस वर्ष 25 लाख लोगों को मदद मुहैया कराए जाने की योजना है, जिनमें 9 लाख सीरियाई शरणार्थी भी हैं.

हालांकि सहायता धनराशि की क़िल्लत और अभियान संचालन सम्बन्धी चुनौतियों के कारण हिंसक टकराव से प्रभावित क्षेत्रों में मानवीय राहत पहुँचाने के प्रयासों में बाधाएँ आ रही हैं.

2025 में हालात

नवम्बर 2024 में युद्धविराम की घोषणा होने के बाद से पुनर्बहाली प्रक्रिया के सिलसिले में अनिश्चितता बरक़रार है.

बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, लेबनान में खाद्य असुरक्षा अगले तीन महीनों तक जारी रह सकती है और फ़िलहाल अल्पावधि में हालात में सुधार की सम्भावना कम है.

WFP प्रतिनिधि मैथ्यू हॉलिंगवर्थ ने कहा कि इस महत्वपूर्ण क्षण में उनके संगठन का मिशन स्पष्ट है: ज़िन्दगियों व खाद्य प्रणालियों को फिर से खड़ा करने में सरकार व आम नागरिकों को समर्थन देना.

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।