सीरिया: विस्फोटक सामग्री से हर दिन 4 बच्चों की मौत, UNICEF ने दी चेतावनी

सीरिया में बच्चों पर मंडरा रहा विस्फोटक सामग्री का खतरा

गृहयुद्ध की विरासत: बारूदी सुरंगों से हर कदम पर मौत का डर

  • हर दिन 4 बच्चों की मौत: UNICEF की चिंताजनक रिपोर्ट
  • घातक विस्फोटकों से 50 लाख बच्चों का भविष्य खतरे में
  • यूनीसेफ़ ने की विस्फोटक हटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील
सीरिया में विस्फोटक सामग्री के अवशेष हर दिन 4 बच्चों की जान ले रहे हैं। UNICEF की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, गृहयुद्ध की इस घातक विरासत ने बच्चों के जीवन को खतरे में डाल दिया है। पिछले 9 वर्षों में बिना फटे विस्फोटकों की 4 लाख से अधिक घटनाएं हुई हैं, जिनमें सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे हुए हैं। बारूदी सुरंगों और विस्फोटक सामग्री को हटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तुरंत मदद की आवश्यकता है। पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह ख़बर
Syria: On average, four children die every day from explosive residue
Syria: On average, four children die every day from explosive residue


सीरिया: विस्फोटक सामग्री के अवशेषों से, औसतन हर दिन चार बच्चों की मौतें

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने आगाह किया है कि सीरिया में गृहयुद्ध के दौरान बिखरे विस्फोटक अवशेषों और बारूदी सुरंगों ने पिछले एक महीने में ही 100 बच्चों की जान ले ली है. इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि देश भर से आयुध सामग्री को हटाने की परियोजनाओं के लिए जल्द समर्थन दिए जाने की आवश्यकता है.

यूनीसेफ़ में आपात मामलों के लिए संचार अधिकारी रिकार्डो पिरेस ने राजधानी दमिश्क से जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि पिछले 9 वर्षों में अब तक, सीरिया के 14 गवर्नरेट में बिना फटे हुए विस्फोटकों से जुड़ी चार लाख 22 हज़ार से अधिक घटनाएँ हुई हैं.

इनमें कम से कम आधे हादसों में त्रासदीपूर्ण ढंग से बच्चे हताहत हुए हैं. “इस देश में लड़के-लड़कियाँ इन बिना फटे हुए विस्फोटकों के बर्बर असर के चिन्ताजनक दर से शिकार हो रहे हैं.”

यूनीसेफ़ अधिकारी के अनुसार, दिसम्बर (2024) में ही, 116 बच्चों की या तो मौत हो गई या फिर वे इन घटनाओं में घायल हुए, यानि हर दिन क़रीब चार का औसत.

हालाँकि, उनका मानना है कि वास्तविक पीड़ितों की संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका है.

हर क़दम पर त्रासदी

संचार अधिकारी रिकॉर्डो पिरेस ने बताया कि घातक विस्फोटकों से दूषित इलाक़ों में रहने वाले 50 लाख बच्चों पर ख़तरा है, और उनके हर क़दम में एक अकल्पनीय त्रासदी होने का ख़तरा होता है.

नए सिरे से विस्थापन की घटनाओं से यह जोखिम बढ़ा है. 27 नवम्बर के बाद से हयात तहरीर अल शाम (एचटीएस) के राजधानी दमिश्क की ओर बढ़ने से हिंसक टकराव में तेज़ी आई थी, जिससे ढाई लाख से अधिक बच्चे अपने घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर हुए.

यूनीसेफ़ अधिकारी ने कहा कि विस्थापित जन और अपने घर वापिस लौटने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए बिना फटे विस्फोटक एक बड़ा ख़तरा है, जिसे नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा सकता है.
8 दिसम्बर को असद शासन के पतन के बाद से यह ख़तरा और बढ़ा है, चूँकि अनेक हथियार, जिनमें विस्फोटक हथियार भी हैं, वे होम्स और दमिश्क समेत कई इलाक़ों में फैले हुए हैं.

जीवन बदल देने वाले घाव

रिकार्डो पिरेस ने कहा कि इस घातक विरासत के घावों को जिज्ञासु बच्चों को भुगतना पड़ता है. जो बच्चे इन विस्फोटो में बच भी जाते हैं, उनके लिए यह संघर्ष यहीं ख़त्म नहीं होता है.
“जीवन बदल देने वाली चोटों और विकलांगता का अक्सर अर्थ होता है कि वे अपने स्कूल नहीं लौट सकते हैं या फिर उनके लिए उपयुक्त स्वास्थ्य देखभाल पाना कठिन हो सकता है.”
यूनीसेफ़ ने बारूदी सुरंगों और बिना फटे विस्फोटकों को हटाने के लिए और अधिक स्तर पर मानवतावादी प्रयासों की पुकार लगाई है. साथ ही, बारूदी सुरंग के ख़तरों के प्रति लोगों को जागरूक बनाया जाना होगा और पीड़ितों के लिए समर्थन सुनिश्चित करना अहम है.
उन्होंने कहा कि सीरिया में पुनर्बहाली प्रयासों के तहत होने वाली चर्चाओं में यह ज़रूरी है कि देश के मैदानों को सुरक्षित और विस्फोटक रहित बनाने के लिए निवेश किए जाएँ.
यूनीसेफ़ प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने भी इस अपील का समर्थन किया है और ज़ोर देकर कहा है कि बारूदी सामग्री को हटाने के लिए लाखों डॉलर की धनराशि की आवश्यकता होगी, ताकि लोगों की ज़िन्दगियों की रक्षा की जा सके.
इससे सीरिया के लिए फिर से मध्यम-आय वाले देश के दर्जे की ओर लौट पाना भी सम्भव होगा.
Web Title: Syria: On average, four children die every day from explosive residue

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।