दुनिया को लड़कियों की बेहतरी के लिए कार्रवाई बढ़ानी होगी | UN appeals on International Day of the Girl Child

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर लड़कियों के अधिकारों के लिए विश्व की अपील


लड़कियों के लिए समान अधिकारों की ज़रूरत


  • लड़कियों की भविष्यवाणी के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग
  • शिक्षा और बाल विवाह के गंभीर मुद्दे
  • जलवायु परिवर्तन और वैश्विक संकटों का लड़कियों पर प्रभाव
  • लड़कियों की एजेंसी और उनकी आवाज़ को मान्यता देना
  • बीजिंग घोषणा और लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति

लड़कियों का साहस और संकल्प: एक नई शुरुआत की आवश्यकता


अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Day of the Girl Child) के मौके पर यूएन प्रमुख और कार्यकर्ताओं ने दुनिया से लड़कियों के अधिकारों और उनकी बेहतर भविष्यवाणी के लिए कार्रवाई की अपील की। संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस ख़बर से जानिए इस पर प्रमुख बयानों और मुद्दों के बारे में...
The world must increase action for the betterment of girls | UN appeals on International Day of the Girl Child
The world must increase action for the betterment of girls | UN appeals on International Day of the Girl Child



दुनिया को लड़कियों की बेहतरी की ख़ातिर कार्रवाई बढ़ानी होगी


शुक्रवार (11 अक्टूबर) को, अन्तरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर यूएन मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में युवती कार्यकर्ताओं को नीतिनिर्माताओं के साथ सीधे बातचीत करने और लड़कियों के अधिकारों को अमली जामा पहनाने के लिए क्या कुछ किया जाना चाहिए, इस बारे में सिफ़ारिशें पेश करना का मौक़ा मिला है.

संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक व सामाजिक परिषद – ECOSOC के अध्यक्ष बॉब राए ने इस बैठक का आयोजन किया.

उन्होंने कहा कि महिलाओं और लड़कियों क लिए, पूरी तरह से समान अधिकारों पर ज़ोर दिए जाने की महत्ता, दरअसल संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक प्रतिबद्धता है.

मगर ये एक ऐसी निजी प्रतिबद्धता भी है जिसके लिए हम सभी को जद्दोजेहद करनी चाहिए.

बॉब राए ने यवा अतिथितियों से आग्रह करते हुए कहा कि वो दुनिया में परिवर्तन करने के लिए एक ठोस आवाज़ बनें. “आपको अपनी आवाज़ बुलन्द करनी होगी. आपको एक रुख़ अपनाना होगा."

"आपको रुचि दिखानी होगी. आपको यौन भेदभाव और घृणा व भेदभाव जहाँ भी नज़र आएँ, उन्हें चुनौती देनी होगी.”

इस वर्ष इस दिवस की थीम है – “भविष्य के लिए लड़कियों की भविष्यदृष्टि, जिसमें एक ऐसी कार्रवाई तत्काल किए जाने की महत्ता को उजागर किया गया है जिसे दुनिया भर में लड़कियों की आवाज़ों से ऊर्जा मिले.

हाल के कुछ झटके

यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने इस दिवस पर अपने सन्देश में कहा है कि दुनिया भर में लगभग 1.1 अरब लड़कियों की सम्भावनाएँ अपार हैं.

“मगर हम जैसे-जैसे टिकाऊ विकास लक्ष्यों की समय सीमा 2030 के नज़दीक पहुँच रहे हैं, दुनिया लड़कियों की अपेक्षाओं पर नाकाम हो रही है.”

लड़कियों की आज की पीढ़ी, जलवायु, युद्धों व टकरावों और निर्धनता जैसे वैश्विक संकटों से अनुपात से कहीं ज़्यादा प्रभावित है.

इन संकटों ने उनकी ज़िन्दगियों, उनकी पसन्द व प्राथमिकताओं के साथ-साथ उनके भविष्यों के लिए भी जोखिम उत्पन्न कर दिया है.

इसके अतिरिक्त लैंगिक समानता के लिए टिकाऊ विकास लक्ष्य-5 की प्राप्ति के लिए प्रगति को भी जोखिम में डाल दिया है.

शिक्षा व बाल विवाह

यूएन महिला संस्था – UN Women के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 11 करोड़ 93 लाख लड़कियाँ, स्कूली शिक्षा से वंचित हैं, और क़रीब 39 प्रतिशत युवतियाँ, ऊपरी सैकंडरी स्तर की शिक्षा पूरी नहीं कर पाती हैं.

संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक और सांस्कृतिक संगठन – UNESCO ने अक्टूबर के आरम्भ में कुछ आँकड़े जारी किए जिनमें दर्शाया गया कि लड़कियों की शिक्षा प्राप्ति में मौजूद इस इस खाई से होने वाला नुक़सान, वर्ष 2030 तक, 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है.

इस बीच, बाल विवाह भी एक अहम मुद्दा बना हुआ है. बाल विवाह को रोकने के लिए अगर आज से भी शुरुआत की जाए तो भी इसे पूरी तरह ख़त्म करने में 68 वर्ष का समय लग सकता है.

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक मामलों के विभाग – DESA के अनुसार, वर्ष 2024 में 47 लाख बच्चों का जन्म ऐसी महिलाओं से हुआ है जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम उम्र थी. और इनमें से भी लगभग 3 लाख 40 हज़ार बच्चे ऐसी माताओं से जन्म जिनकी आयु 15 वर्ष से कम थी.

लड़कियों की ‘एजेंसी’

यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है, “लड़कियों के पास पहले से ही एक ऐसी भविष्यदृष्टि मौजूद है जिसमें वो ख़ुशहाल रह सकती हों. उन्हें इस समय ज़रूरत इस बात की है कि उनकी आवाज़ों को सुना जाए और उनकी महत्वाकांक्षाओं को समर्थन दिया जाए.”

महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग, बीजिंग घोषणा व कार्रवाई मंच को लागू करने के बारे में हुई प्रगति की समीक्षा, मार्च 2025 में करने वाला है.

30 वर्ष पहले अपनाए गए बीजिंग घोषणा व कार्रवाई मंच को, लैंगिक समानता के क्षेत्र में एक बहुत अहम समझौता माना जाता है.

यूएन प्रमुख ने निष्कर्षतः कहा, “लड़कियों का साहस, आशा और दृढ़ संकल्प, एक ऐसी शक्ति है जिसे मान्यता दिया जाना ज़रूरी है. ये सटीक समय है कि दुनिया आगे क़दम बढ़ाए और उनकी भविष्यदृष्टि व आकांक्षाओं को वास्तविकता में तब्दील करने में उनकी मदद करे.”

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।