एक बेहतर दुनिया की रूपरेखा: 'भविष्य की शिखर बैठक' से जुड़ी पाँच महत्वपूर्ण बातें

भविष्य की शिखर बैठक: वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए एक नई शुरुआत


संयुक्त राष्ट्र समाचार की इस ख़बर में जानें कि कैसे 'भविष्य की शिखर बैठक' संयुक्त राष्ट्र के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर वैश्विक सहयोग को नया आकार देने का प्रयास कर रही है। बैठक के मुख्य विषय, महत्व, और आप इसमें कैसे भाग ले सकते हैं, के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
एक बेहतर दुनिया की रुपरेखा: 'भविष्य की शिखर बैठक' से जुड़ी पाँच महत्वपूर्ण बातें
UN Photo/Manuel Elias
 
यूएन मुख्यालय में आयोजित हो रहे कार्रवाई दिवस में शिरकत करने के लिए युवा कार्यकर्ता प्रतीक्षा कर रहे हैं.



एक बेहतर दुनिया की रूपरेखा: 'भविष्य की शिखर बैठक' से जुड़ी पाँच अहम बातें


क्या दुनिया को चलाने के लिए कोई दूसरी व्यवस्था भी हो सकती है? और इतने बड़े पैमाने पर चुनौतियों व संकटों के इस दौर में, हम भविष्य को किस प्रकार से न्यायसंगत बना सकते हैं? इसी सितम्बर महीने में, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक अहम आयोजन हो रहा है, जिसे किसी पीढ़ी में एक बार आने वाले अवसर के रूप में देखा जा रहा है. अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के पास यह एक मौक़ा है, ऐसे ही कुछ सवालों से जूझने का, और सभी के हित में भविष्य के लिए एक नया पथ तैयार करने का.

सितम्बर 2024 में आयोजित होने वाली इस बैठक के विषय में, यूएन न्यूज़ ने आपके लिए अहम जानकारी जुटाई है. एक नज़र...


1. भविष्य की शिखर बैठक क्या है?


वर्ष 2020 में, संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 75 वर्ष पूरे हुए थे, और उस अवसर पर भविष्य के लिए आकाँक्षाओं व आशंकाओं पर एक वैश्विक चर्चा आरम्भ हुई.

यह एक ऐसी प्रक्रिया की शुरुआत थी, जिसका समापन भविष्य की शिखर बैठक (Summit of the Future) के आयोजन के साथ होगा. यह बैठक सितम्बर महीने में न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में होगी. यूएन महासभा की वार्षिक उच्चस्तरीय डिबेट से ठीक पहले.

इस बैठक की रुपरेखा कोविड-19 महामारी के दौरान तैयार की गई थी, जब यूएन में एक धारणा थी कि आपसी सहयोग के ज़रिये वैश्विक स्वास्थ्य ख़तरे का सामना करने के बजाय, देश और आम नागरिक एक दूसरे से दूर हो रहे हैं.

इस शिखर बैठक के लिए नीति निदेशक मिशेल ग्रिफ़िन ने कहा था कि यूएन स्थापना की 75वीं वर्षगाँठ पर हमें इस संगठन के संस्थापकों की आकाँक्षाओं और मौजूदा दुनिया की वास्तविकता के बीच पसरी खाई का सामना करना पड़ रहा है.

“हमने समस्याओं, ख़तरों का सामना किया, और साथ ही अवसरों का, और उन पर हमारी प्रतिक्रिया में कमियों का भी.”

यूएन के सदस्य देशों ने वैश्विक सहयोग के भविष्य के लिए महासचिव एंतोनियो गुटरेश को एक दृष्टि विकसित करने का दायित्व सौंपा, और इसी सिलसिले में उन्होंने ‘हमारा साझा एजेंडा’ नामक रिपोर्ट प्रस्तुत की.

इस रिपोर्ट में विभिन्न प्रकार के जोखिमों व ख़तरों से जूझने के लिए वैश्विक सहयोग में नई ऊर्जा भरने पर केन्द्रित सिफ़ारिशें पेश की गईं. साथ ही, 2024 में भविष्योन्मुख शिखर बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया गया.

इस शिखर बैठक के दौरान अनेक सत्र आयोजित किए जाएँगे, जिनमें मुख्यत: पाँच विषयों पर ध्यान केन्द्रित होगा:

· टिकाऊ विकास व वित्त पोषण

· शान्ति व सुरक्षा

· सर्वजन के लिए डिजिटल भविष्य

· युवजन व भावी पीढ़ियाँ

· वैश्विक शासन व्यवस्था

इसके समानान्तर, मानवाधिकारों, लैंगिक समानता व जलवायु संकट समेत अन्य विषयों पर भी चर्चा होगी.

इस शिखर बैठक के समापन पर, ‘भविष्य के लिए वचन-पत्र’ (pact for the future) को, एक ‘वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट’ और ‘भावी पीढ़ियों के लिए घोषणापत्र’ के साथ अन्तिम रूप दिया जाएगा. ये सभी, शिखर बैठक के दौरान सदस्य देशों द्वारा पारित किए जाने की सम्भावना है.

2.यह शिखर बैठक किन मायनों में महत्वपूर्ण हैं?


इन सभी विषयों व मुद्दों पर अतीत में चर्चा हुई है, और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता व टिकाऊ विकास के लिए 2030 एजेंडा जैसे अति-महत्वपूर्ण समझौते भी हुए हैं.

इसके बावजूद, बड़े स्तर पर यह धारणा है कि संयुक्त राष्ट्र को जिस ढाँचे व ताने-बाने के साथ दशकों पहले स्थापित किया गया था, वो अब पर्याप्त रूप से कारगर या न्यायोचित नहीं हैं.

इस पृष्ठभूमि में, भविष्य की शिखर बैठक पहले किए गए सभी वादों को साकार करने, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को भविष्य के लिए तैयार करने और विश्व में दरकते भरोसे को फिर से बहाल करने का एक अवसर है.

नीति निदेशक मिशेल ग्रिफ़िन ने बताया कि अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के लिए, आपसी भरोसा सबसे अहम है. एक दूसरे में भरोसा. साझा मानवता का एक एहसास. और यह शिखर बैठक, हमें फिर से यही ध्यान दिलाने पर लक्षित है कि साझा समस्याओं का समाधान, हमें एक साथ मिलकर ही ढूंढना है.


3.इसमें किन पक्षों की प्रमुख भूमिका है?


इस शिखर बैठक से पहले, यूएन मुख्यालय में दो कार्रवाई दिवस भी आयोजित किए जाएँगे, जहाँ नागरिक समाज, निजी सैक्टर, शिक्षा जगत, युवजन, सदस्य देश समेत अन्य हितधारकों के पास कार्यक्रम की मुख्य थीम पर विचार-विमर्श करने का अवसर होगा.

मिशेल ग्रिफ़िन के अनुसार, “आप यूएन को देखते हैं और सोचते हैं कि सरकारें मुख्य पक्ष हैं. और यह सही है. वे ही मेज़ पर बैठी होती हैं, मगर वे ऐसा अपनी जनता की ओर से करती हैं.”

“नागरिक समाज कार्यकर्ता, युवजन इस पूरी प्रक्रिया का हिस्सा हैं और वे शिखर बैठक में उपस्थित होंगे. आम नागरिकों के जीवन व अवसरों को आकार देने में निजी सैक्टर की भूमिका को समझते हुए उसकी भी यहाँ मौजूदगी है.”

उन्होंने कहा कि यह शिखर बैठक हर किसी के लिए, हर किसी की ओर से है और हर एक को यहाँ अपने आपको परिलक्षित होते देखना चाहिए.

4.इस बैठक के बाद क्या होगा?


शिखर बैठक के आयोजकों ने ज़ोर देकर कहा है कि इस बैठक के समापन के साथ ही, चार दिनों तक चलने वाली चर्चा व मुद्दों का अन्त नहीं हो जाएगा.

बल्कि यह एक प्रक्रिया की शुरुआत होगी. इस शिखर बैठक के दौरान जिन बीजों को रोपा जाएगा, उन्हें फलने-फूलने में कुछ समय लगेगा. और सरकारों की जवाबदेही तय करने में हम सभी को शामिल होना होगा, ताकि वे अन्तरराष्ट्रीय मंच पर अपने संकल्पों को पूरा कर सकें.

इस शिखर बैठक के बाद, नज़रें ‘भविष्य के लिए वचन-पत्र’ की सिफ़ारिशों व संकल्पों पर केन्द्रित होंगी. फिर, नवम्बर में अज़रबैजान में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप29) का आयोजन हो रहा है, जहाँ जलवायु वित्त पोषण पर चर्चा होगी.

दिसम्बर में बोत्सवाना में भूमिबद्ध विकासशील देशों पर यूएन सम्मेलन होगा, जहाँ टिकाऊ विकास के लिए समाधान की तलाश की जाएगी. वहीं अगले वर्ष जून में, स्पेन में विकास के लिए वित्त पोषण पर अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान, विश्व बैन्क व अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत अन्य संगठनों में अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय तंत्र में सुधार के लिए प्रयास जारी रहेंगे.

5.मैं किस तरह से इसका हिस्सा बन सकता हूँ?


कार्रवाई, अभी कीजिए, संयुक्त राष्ट्र की एक वैश्विक मुहिम है, जोकि एक बेहतर, शान्तिपूर्ण व टिकाऊ भविष्य की दिशा में प्रयासों के लिए हर किसी को प्रोत्साहित करने पर केन्द्रित है.

इस प्लैटफ़ॉर्म का उद्देश्य अपनी आवाज़ उठाने वाले और दुनिया में एक सकारात्मक बदलाव लाने वाले लोगों की संख्या को बढ़ाना है.

फिर चाहे वो यह अपने समुदाय में स्वैच्छिक कार्य, स्थानीय समुदाय में निर्णय-निर्धारण के ज़रिये करें या फिर उपभोग की अपनी दैनिक आदतों में बदलाव लाकर और पर्यावरण के प्रति एक ज़िम्मेदार जीवनशैली को अपना कर.

इस शिखर बैठक से पहले, यूएन युवजन कार्यालय ने भी युवाओं की लामबन्दी के लिए #YouthLead नामक मुहिम की शुरुआत की है, जिसमें विश्व नेताओं से ऐसी नीतियाँ तैयार करने की अपील की गई है, जिनमें वे अपने समुदायों के हितों को ध्यान रख सकें.

टिप्पणियाँ

लेबल

ज़्यादा दिखाएं
मेरी फ़ोटो
Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।