ग़ाज़ा में पोलियो वैक्सीनेशन अभियान का दूसरा दिन: हज़ारों बच्चों को मिली जीवन रक्षा

Day 2 of polio vaccination campaign in Gaza: thousands of children saved


ग़ाज़ा में पोलियो वैक्सीनेशन अभियान (Polio vaccination campaign in Gaza) के दूसरे दिन सोमवार 02 सितंबर 2024 को हज़ारों बच्चों को सुरक्षित किया गया। युद्धविराम के बीच चल रहे इस अभियान के तहत 87 हज़ार बच्चों को वैक्सीन दी गई, जबकि एक लाख 56 हज़ार का लक्ष्य है। UNRWA और अन्य यूएन एजेंसियाँ युद्ध के बीच मानवीय ठहराव की अपील कर रही हैं। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र समाचार की ख़बर ...
UN News/Ziad Taleb ग़ाज़ा में रविवार (2 सितम्बर) को पोलियो निरोधक वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाने का अभियान जारी रहा जिसके लिए लोगों की भारी दिलचस्पी देखी गई है.
UN News/Ziad Taleb ग़ाज़ा में रविवार (2 सितम्बर) को पोलियो निरोधक वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाने का अभियान जारी रहा जिसके लिए लोगों की भारी दिलचस्पी देखी गई है.



ग़ाज़ा: पोलियो वैक्सीन मिशन का दूसरा दिन, हज़ारों बच्चों को मिली सुरक्षा


ग़ाज़ा में पोलियो निरोधक वैक्सीन की ख़ुराके पिलाने का अभियान सोमवार को दूसरे दिन भी जारी रहा जिस दौरान हज़ारों बच्चों को, जीवन भर के लिए अपंग बना देने वाली इस बीमारी से सुरक्षित बनाया गया है. इस बीच युद्धक गतिविधियों में मानवीय ठहराव लागू रहा है.

यूएन एजेंसियों के नेतृत्व में रविवार को शुरू हुए इस अभियान के पहले दिन 87 हज़ार बच्चों को वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाई गईं.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA की वरिष्ठ संचार अधिकारी लुइस वॉटरिज ने बताया है कि इस अभियान के दौरान ग़ाज़ा के केन्द्रीय इलाक़े में एक लाख 56 हज़ार बच्चों को ख़ुराकें पिलाने का लक्ष्य रखा गया है.

लुइस वॉटरिज ने कहा कि यह देखना बहुत सुखद है कि ख़ान यूनिस से आए लोगों ने अपने बच्चों को वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाने के लिए रुचि दिखाई है. दक्षिणी इलाक़े से आए लोग यूएन कर्मचारियों से सम्पर्क कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि उनके बच्चों की बारी कब आएगी.

उन्होंने इस बीच पोलियो निरोधक वैक्सीन अभियान को सफल बनाए जाने के लिए, युद्धविराम और हमास की हिरासत में रखे गए बाक़ी बचे बन्धकों की तत्काल रिहाई की ज़रूरत पर ज़ोर भी दिया है.

लुइस वॉटरिज ने कहा, “इन बच्चों को इस समय सबसे अधिक जिस चीज़ की ज़रूरत है वो है तत्काल युद्धविराम.”

रविवार को वैक्सीन टीमों ने UNRWA के स्वास्थ्य केन्द्रों, सचल चिकित्सा केन्द्रों और शिविरों में से काम किया और सोमवार को भी ऐसा ही संचालन जारी रहा.

UNRWA ने सोशल मीडिया मंच पर लिखा है, “हम यह सुनिश्चित करने के लिए यथासम्भव प्रयास कर रहे हैं कि 10 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को वैक्सीन की ख़ुराकें पिला दी जाएँ.”

एजेंसी ने कहा है कि बच्चों को वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाने के लिए, युद्ध में अस्थाई ठहराव अत्यावश्यक है. युद्ध ठहराव से भी अधिक इन बच्चों को एक ऐसी वैक्सीन की आवश्यकता है जिसमें पहले ही बहुत देरी हो चुकी है.

इलाक़े बेहद ख़तरनाक

ग़ौरतलब है कि कुछ सप्ताह पहले ग़ाज़ा में 10 महीने के एक बच्चे में पोलियो संक्रमण का मामला दर्ज किया गया था जोकि पिछले 25 वर्षों में ग़ाज़ा में ऐसा पहला मामला था.

उसके बाद ही लगभग 6 लाख 40 हज़ार फ़लस्तीनी बच्चों को पोलियो से बचाने वाली वैक्सीन की ख़ुराकें की यह तीन दिवस अभियान चलाया गया है.

बच्चों को पोलियो से पूर्ण संरक्षण मुहैया कराने के लिए, उन्हें चार सप्ताह के अन्तराल से दो ख़ुराकें पिलाई जाएंगी. इस अभियान के लिए ग़ाज़ा में पहले ही 12 लाख से अधिक ख़ुराकें पहुँच चुकी हैं, और लगभग चार लाख अन्य ख़ुराकें भी जल्दी ही पहुँचाए जाने की सम्भावना है.

फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय की अगुवाई में चलाए जा रहे इस अभियान में अनेक यूएन एजेंसियाँ मदद कर रही हैं, जिनमें UNRWA, WHO, यूनीसेफ़ इत्यादि शामिल हैं.

ग़ाज़ा पर लगभग 11 महीने से जारी इसराइल की भीषण बमबारी और हमास के साथ उसकी लड़ाई के दौरान, हेपेटाइटिस, डायरिया और अन्य रोकथाम योग्य बीमारियाँ फैली हैं. इन हालात में यूएन एजेंसियों ने सभी पक्षों से युद्धक गतिविधियों में मानवीय ठहराव का पालन किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है.

UNRWA की वरिष्ठ संचार अधिकारी लुइस वॉटरिज ने यूएन न्यूज़ से कहा है, “हम अब भी वैक्सीन अभियान वाले इलाक़ों में सुविधाओं और परिवारों के साथ-साथ बच्चों तक पहुँचने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं. उन सभी के लिए यात्रा करना और कहीं बाहर निकलना बहुत ख़तरे से भरा है, क्योंकि वहाँ लड़ाई जारी है.”

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।