ऊंची है मंजिल मेरी

कक्षा 10 की छात्रा प्रियंका कोशियारी की प्रेरणादायक कविता 'ऊंची है मंजिल मेरी' में सफलता की ओर निरंतर बढ़ने की संकल्पशक्ति को दर्शाया गया है। प्रियंका कोशियारी की कविता आत्मविश्वास और मेहनत के महत्व को उजागर करती है, और बताती है कि कैसे कठिनाइयों के बावजूद लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए।
ऊंची है मंजिल मेरी



ऊंची है मंज़िल मेरी,


राह मैं ख़ुद बनाऊँगी,

डगमगा जाऊँ अगर कहीं,

तो फिर खड़ी हो जाऊँगी,

आगे बढ़ना सीखा है मैंने,

पीछे कैसे मुड़ जाऊँगी,

ना मानूँगी हार कभी,

सफलता तभी तो पाऊँगी,

तैयार है पूरी मेरी,

मेहनत करते जाना है,

सपना है यह मेरा,

मंज़िल तक मुझे जाना है,

रहे तो है कई मगर,

मंज़िल मेरी एक है,

बढ़ते रहना आगे निरंतर,

रास्ता भी होना नेक है।।

प्रियंका कोशियारी

कक्षा-10

कपकोट, उत्तराखंड

(चरखा फीचर)

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Amalendu Upadhyaya
वेबसाइट संचालक अमलेन्दु उपाध्याय 30 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वरिष्ठ पत्रकार और जाने माने राजनैतिक विश्लेषक हैं। वह पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, युवा, खेल, कानून, स्वास्थ्य, समसामयिकी, राजनीति इत्यादि पर लिखते रहे हैं।